ईमानदारी का इनाम
ईमानदारी का इनाम
रामपुर गाँव में एक गरीब किसान रघु रहता था। वह बहुत मेहनती और ईमानदार था। रघु के पास थोड़ी सी जमीन थी, जिस पर वह खेती करता और अपने परिवार का पालन-पोषण करता था।
एक दिन खेत की जुताई करते समय रघु के हल से एक चमकती हुई धातु की चीज टकराई। उसने मिट्टी हटाकर देखा तो वहाँ एक पुराना, भारी बर्तन था, जिसमें सोने के सिक्के भरे हुए थे। रघु हैरान रह गया। उसकी आँखों के सामने अपने सारे दुःखों का अंत होता दिखाई दिया।
लेकिन अगले ही पल उसके मन में गुरुजी की सीख गूँज उठी— "सच्ची संपत्ति ईमानदारी होती है।" रघु ने फैसला किया कि वह यह बर्तन गाँव के मुखिया को सौंप देगा।
रघु सोने का बर्तन लेकर मुखिया जी के पास गया और सारी बात बताई। मुखिया जी उसकी ईमानदारी से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने राजा को यह बात बताई। राजा ने रघु को दरबार में बुलवाया और उसकी ईमानदारी के लिए न केवल इनाम दिया बल्कि उसे पूरे गाँव का प्रधान भी बना दिया।
रघु ने ईमानदारी की राह पर चलकर अपनी गरीबी से तो छुटकारा पाया ही, साथ ही गाँववालों के दिलों में भी अपनी जगह बना ली।
सीख: ईमानदारी का फल देर से सही, लेकिन अवश्य मिलता है।
