शेर और जेब्रा की दोस्ती
शेर और जेब्रा की दोस्ती
जंगल में भयानक सूखा पड़ा था। पेड़ सूख गए थे, तालाब खाली हो चुके थे, और हर जानवर पानी की तलाश में इधर-उधर भटक रहा था। ऐसे में शेर और जेब्रा ने मिलकर पानी ढूंढने का फैसला किया।
दोनों ने एक साथ जंगल के भीतर चलना शुरू किया। सुबह से चल रहे थे, सूरज सिर पर था, और प्यास उन्हें परेशान कर रही थी। धीरे-धीरे शेर की ताकत जवाब देने लगी।
शेर थककर जमीन पर बैठ गया और उदास होकर बोला,
"अब मुझसे और नहीं चला जाता। शायद यही हमारी किस्मत है। बिना पानी के हम ज़िंदा नहीं रह सकते।"
जेब्रा ने शेर की तरफ देखा। उसने मुस्कुराते हुए कहा,
"शेर भाई, तुम जंगल के राजा हो। हार मानना तुम्हारे लिए
नहीं है। अगर तुम हार मानोगे, तो मैं भी हार जाऊंगा। लेकिन अगर तुम खड़े हो गए, तो हम दोनों ज़रूर बच सकते हैं। चलो, बस थोड़ा और!"
शेर ने जेब्रा की बात सुनी और गहरी सांस लेते हुए अपनी ताकत जुटाई। वह धीरे-धीरे खड़ा हुआ और दोनों फिर से आगे बढ़ने लगे।
कुछ देर बाद, दोनों ने दूर से एक नदी की झलक देखी। खुशी से उछलते-कूदते वे दोनों वहां पहुंचे। नदी का ठंडा पानी देखकर उनकी सारी थकान गायब हो गई। उन्होंने जमकर पानी पिया और एक-दूसरे को धन्यवाद दिया।
मोरल:
सच्चे दोस्त वही होते हैं, जो हमें हमारी सबसे कमजोर घड़ी में हिम्मत दें। और याद रखो, कोशिश करने से ही रास्ता बनता है।