अनजाना मुसाफिर
अनजाना मुसाफिर
शीतल, एक छोटी-सी कस्बे की लड़की, अपनी जिंदगी में खुश थी। लेकिन उसे हमेशा ऐसा लगता था कि उसकी जिंदगी में कुछ अधूरा है। वह अक्सर रात में आसमान के तारों को देखती और सोचती, "क्या मेरा जीवन भी इन तारों की तरह अनंत हो सकता है?"
एक दिन, शीतल अपने कॉलेज से लौट रही थी, तभी उसने देखा कि सड़क किनारे एक बूढ़ा व्यक्ति बैठा है। उसकी हालत खराब थी, और उसके कपड़े फटे हुए थे। शीतल ने बिना सोचे-समझे उसकी मदद करने का फैसला किया। वह उसे अपने घर ले आई, उसे खाना खिलाया और आराम करने को कहा।
व्यक्ति शांत स्वभाव का था, लेकिन उसकी आंखों में गहराई थी। उसने शीतल से कहा, "मैं अनजाना मुसाफिर हूं। मैं उन लोगों को रास्ता दिखाने आया हूं, जो अपने जीवन का उद्देश्य भूल गए हैं।"
शीतल ने हैरानी से पूछा, "क्या आप जानते हैं कि मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है?"
बूढ़े व्यक्ति ने मुस्कुराकर कहा, "यह तुम्हें खुद खोजना होगा। लेकिन याद रखो, तुम्हारा उद्देश्य तुम्हारे भीतर छुपा है। इसे ढूंढने के लिए खुद से प्यार करना और दूसरों की मदद करना जरूरी है।"
शीतल ने उस दिन से अपनी जिंदगी में एक बदलाव लाने का फैसला किया। उसने अपने गांव के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया, जो स्कूल नहीं जा पाते थे। धीरे-धीरे, उसने महसूस किया कि उसे दूसरों की मदद करके अपार खुशी मिलती है।
कुछ महीनों बाद, बूढ़ा व्यक्ति फिर से शीतल के घर आया। इस बार उसने शीतल को देखकर कहा, "तुमने अपने जीवन का उद्देश्य पा लिया। अब तुम एक तारे की तरह चमक रही हो।"
शीतल मुस्कुराई और कहा, "आपने मेरी आंखें खोल दीं। मैं अब जानती हूं कि असली खुशी दूसरों को खुशी देने में है।"
बूढ़ा मुसाफिर वहां से चला गया, और शीतल को यह अहसास हुआ कि वह व्यक्ति शायद उसकी कल्पना का ही हिस्सा था। लेकिन उसने जो सबक दिया, वह शीतल की जिंदगी हमेशा के लिए बदल गया।
संदेश:
जीवन का उद्देश्य खुद की खोज में नहीं, बल्कि दूसरों की मदद करने में छुपा है।
