जब सब थम सा गया(इक्कीसवाँ दिन)
जब सब थम सा गया(इक्कीसवाँ दिन)


आज का दिन बहुत ही उम्मीद भरा था।कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए जो 21 दिन का लॉक डाउन लिया गया था,आज उसका अंतिम दिन था।फिर भी मौजूदा हालात को देखते हुऐ, लॉक डाउन खुलने की संभावनाएं कम थी।कई राज्यो ने तो 30 अप्रैल तक लॉक डाउन बढ़ाने की अपील की हैं।अब जो भी आदेश आएगा वो तो दस बजे प्रधानमंत्री जी के संबोधन में ही पता चलेगा।
सुबह उठने के बाद मैं कमरे में ही लेटा था इतने मे आरोही बिटिया उठ गयी और भाई रूपेश ने गुड़िया को लाकर मुझे मेरे कमरे में दे दिया।मैं आरोही को अपने सीने पे लिटाकर मोबाइल में भजन सुनाने लगा।बहुत देर तक मेरे साथ खेलने के बाद मैं उसको नीचे ले गया और वॉकर में बैठा दिया।खेलते खेलते फिर मेरे गोदी में आकर सो गई।
कमरे में आ कर में नित्य क्रिया करके पूजा करने नीचे चला गया।नाश्ता करने के बाद मैं टीवी से जा चिपका क्योंकि मोदी जी का संबोधन था।संबोधन में अभी आधे घंटे का समय था तो मैंने अपने मोबाइल से बाबा साहेब भीमराव अंबेडकरजी के जन्मदिन के उपलक्ष्य पर सभी को बधाई संदेश भेजा। 10 बजे प्रधानमंत्रीजी का संबोधन शुरू हुआ।शुरुवात में उन्होंने सभी देश वासियों को बाबा साहेब की जयंती की बधाई देते हुए बाबा साहब के योगदान की सराहना की फिर लॉक डाउन पर बोलना शुरू किया। सबसे पहले प्रधानमंत्री जी ने सबकी प्रशंशा की और साथ देने के लिए धन्यवाद किया।ये सभी जान रहे थे की लॉक डाउन बढ़ना तय हैं।थोड़ी देर में कोरोना की संपूर्ण जानकारी देने के बाद उन्होंने 3 मई तक लॉक डाउन बढ़ाने का आदेश दिया।लेकिन 20 अप्रैल तक अच्छी तरह पालन करने वाले क्षेत्र को ढील देने का भी आदेश दिया।अंत में प्रधानमंत्रीजी ने 7 बातो पर सभी भारतीयों का साथ माँगा।जो की 7 महत्वपूर्ण बाते थी।जिसमे बुजुर्गों को सुरक्षित रखने के साथ साथ मास्क के प्रयोग तथा प्रतिरोधी समता को बढाए रखने के लिए गर्म पानी और काढ़े के सेवन का सुझाव दिया।जरुरत मंदो और गरीबो की मदद करने का भी निवेदन किया।
संबोधन के बाद मैं अपने कमरे में आकर कुर्सी पर बैठ गया और पढ़ने लगा।पढ़ते पढ़ते में 3 मई तक की सारणी बनाने लगा।फिर मैं बाबा साहब की किताब को पढ़ने लगा।बाबा साहब ने इस देश के लिए जो किया वो सराहनीय हैं। दोपहर के भोजन का समय हुआ था कि बिजली विभाग के लोग घर के सामने आये और तारों से लिपटे डालियो को छाटने लगे।तापमान अधिक होने की वजह से सभी लोग प्यासे थे।पिताजी और चाचाजी ने पूछा पानी पिएंगे आप लोग सभी सात लोगो ने कहा जी बिलकुल।पानी पीते पीते उन लोगो ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते कोई पानी भी नहीं पूछ रहा था।आप लोगो ने ही पूछा।चाचाजी बोले ऐसी कोई बात नहीं हैं।आपलोग रुके मैं लस्सी बनवा देता हूँ क्योंकि गर्मी बहुत हैं।लस्सी पीकर लोग चले गए और मैं सोच रहा था कि इस कोरोना के चलते कोई किसी को न पानी पूछ रहा हैं न खाने को,ऐसा नहीं हैं कि लोग मदद नहीं करते लेकिन हालात ऐसे हैं कि सब डर रहा हैं।दोपहर के भोजन के बाद में अपने कमरे में आया।कमरा बहुत गर्म था तो मैं नीचे वाले कमरे में चल गया औए लेटे लेटे कब सो गया पता नहीं चला।आँख खुली तो 5 बज रहे थे।मैं हाथ मुह धोकर पाने पीने किचेन की तरफ बढ़ तो नायरा मेरे पास आकर बोली,"मामा मम मम" बिटिया मुझसे पानी मांग रही थी।पानी पीकर बहार निकला तो कॉलोनी के बुजुर्ग अपने घर के सामने समूह में बात कर रहे थे।एक व्यक्ति ने कहा आप लोग झुंड में खड़े मत होइए,तो उनमें से एक बोले ,तू अपना काम कर।मैं देख कर उस व्यक्ति से बोला जाने दो भाई,ये महान लोग हैं इनको कोई बिमारी नहीं हो सकती हैं।इन सबके पास अनुमति हैं।वी आई पी लोग हैं।गुस्सा तो आ रहा था सभी को मुझ पर और मुझे उन पर।थोडी देर बाद पुलिस की गाड़ी आई तब भी लोग नहीं हटे।जबरन पुलिस वालों को समझाना पड़ा की आप लोगो को समझ नहीं आ रहा हैं,की क्या चल रहा हैं।समझ नहीं आ रहां तो चलो आप सबको 14 दिन घुमा कर लाऊं।सब धीऱे धीऱे निकल लिए।वास्तव में देश ऐसे ही लोगो से परेशान हैं।मैं टीवी वाले कमरे में गया तो खबर मुम्बई से आ रही थी।अचानक मुम्बई के बांद्रा में किसी ने अपवाह उड़ा दी की ट्रेन चल रही हैं।इतने में भगदड़ मच गयी और जनता स्टेशन पर भागने लगी।फिर पुलिस को मजबूरन लाठी चार्ज करके सबको भागना पड़ा।मै खबर देख कर अपनें मुम्बई में बसे रिश्तेदारों को फ़ोन करके पूछने लगा तो सब ठीक थे कोई स्टेशन नहीं गया था।मैंने भगवान् का सुक्रिया किया और सबके सलामत की प्रार्थना की।आरती का समय हो गया और आरती बाद हम सभी लोग लॉक डाउन के बढ़ने और आगामी दिनों के बारे में चर्चा करने लगे।उसी बीच भाई रुपेश के फ़ोन पर टिकट कैंसलेशन का सन्देश आया क्योंकि ट्रैन भी 3 मई तक बंद हैं।सब यही बोल रहे थे की देखो अब आगे क्या होता हैं।
रात्रि भोजन के बाद मैं कमरे में आ गया।और बैठ कर सोचने लगा कि जितने भी शक्तिशाली देश परमाणु बम और हथियारों का शक्ति प्रदर्शन करता हैं लेकिन इस छोटे से वायरस ने सबके घमंड को खत्म कर दिया।लेकिन अब बस यही सबकी इच्छा हैं कि सब सही हो जाये।फिर में बाबा साहब की किताब को पढ़ने बैठ गया।पढ़ने के बाद में अपनी आज 21 दिन के लॉक डाउन के अनुभवों का अंतिम भाग लिखने बैठ गया।वैसे तो लॉक डाउन बढ़ चुका था।परन्तु डायरी लेखन का आज अंतिम दिन था।इस 21 दिनों में मैंने अपने अनुभवों को लिखा।इसी दौरान स्टोरी मिरर के माध्यम से मुझे अपने 21 दिन के अनुभवों को प्रस्तुत करने का मौका मिलेगा।सब जल्दी ठीक हो जायेगा।इस उम्मीद के साथ मैं अपने 21 दिन की कहानी जब सब थम सा गया का आज अंतिम भाग लिख रहा हूँ।उम्मीद हैं कि सभी को ये अच्छा लगा होगा। वैसे कहानी तो जारी रहेगी और मुझे पक्का भरोसा है कि "हम होंगे कामयाब और कोरोना को अवश्य भगा दिया जायेगा।"
ये थे मेरे 21 दिन के अनुभव जब सब थम सा गया प्रथम दिन से इक्कीसवें दिन तक का सफर।