Dipesh Kumar

Abstract

4.7  

Dipesh Kumar

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जब सब थम सा गया(दिन-29)

जब सब थम सा गया(दिन-29)

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लॉक डाउन दिन 29

22.04.2020


प्रिय डायरी,

आज का तापमान अन्य दिनों से ज्यादा लग रहा था।रात से ही गर्मी लग रही थी।इस कारण मैं ढंग से सो भी नहीं पाया। 3 बजे भोर में मेरी नींद खुल गयी।तो मैं उठकर बालकनी में आ गया।कुछ देर बालकनी में पड़ी कुर्सी पर बैठा तो मच्छर काटने लगे।मैं फिर से कमरे में गया और बिस्तर पर लेटते ही सो गया।सुबह उठने के बाद में छत पर गया और योग करने लगा।

सूर्योदय से पहले ही मुझे गर्मी महसूस हो रही थी।कुछ देर छत पर बैठने के बाद में स्नान करके नीचे गया तो गेट के बाहर सब्जी वाला सब्जी बेच रहा था।माताजी सब्जियां ले रही थी।मैं मंदिर में पूजा पाठ करके अंदर आया तो देखा रेम्बो खाना नहीं खा रहा था।मैं समझ गया कि गर्मी के कारण ये हो सकता हैं।मैंने उसे नहलाने लगा।नहलाने के बाद वो बहुत सुकून महसूस कर रहा था।मैंने उसको अछि तरह पोछ कर खाना दिया तो वो खाना उसने खा लिया।नाश्ता करने के बाद मव टीवी देख रहा था तो कोरोना से उज्जैन में एक और पुलिस कर्मी की मृत्यु कोरोना के चलते हो गयी थी।बहुत ही दुखद समाचार था।बस ईश्वर से प्रार्थना कर रहा था सब की रक्षा करो।टीवी बंद करके में कमरे में आकर कहानी पढ़ने में लीन हो गया।पढ़ते समय मित्र राकेश का पंजाब से फ़ोन आया।जब भी राकेश का फ़ोन आता हैं तो हम लोग की बाते बहुत देर तक चलती हैं।बात खत्म करके मैं नीचे आया और दोपहर के भोजन के बाद हम सब बैठ कर बातें कर रहे थे।बात करते करते कैरम खेलने का कार्यक्रम बन गया।

2 बजे तक कैरम खेलने के बाद मैं अपने कमरे में आकर एक कविता लिखने लगा।लेकिन गर्मी के चलते बिलकुल भी मन नहीं कर रहा था इसलिए मैं नीचे के कमरे में आकर लेट गया।मैं सोच रहा था कि न जाने लोग अब किस तरह जिंदगी जियेंगे।इतने में स्कूल से एक मैसेज आया कि सीबीएसई द्वारा ऑनलाइन सेशन टीचर्स डेवलपमेंट के लिए चलाया जायेगा और आप सभी को इसमें अपना रजिस्ट्रेशन करवाना हैं।तो मैं कंप्यूटर खोलकर रजिस्ट्रेशन करने लगा जिसमे मैंने 23 अप्रैल को एक सेशन,25 अप्रैल को दो सेशन और 26 अप्रैल को एक सेशन में अपना रजिस्ट्रेशन करवाया।लेकिन ये मेरे लिए नई चीज थी।मैं बस 23 अप्रैल को पहले सेशन का इंतेजार कर रहा था।कुछ देर बाद साथ के ही एक शिक्षिका महोदय ने मुझे फ़ोन करके अपना रजिस्ट्रेशन करने को कहा क्योंकि वे कंप्यूटर पर उतना काम नहीं कर पाती हैं।उनका रजिस्ट्रेशन करने के बाद मैं नीचे आकर अपने रोजाना के कार्य पेड़ पौधों को सही करने लगा।

शाम की आरती के बाद हम सभी लोगो ने बैडमिंटन खेलने का विचार बनाया लेकिन कॉर्क न होने के कारण हम लोग फुटबॉल खेलने लगे।फुटबॉल हम लोग घर के आँगन में ही खेल रहे थे।खेलने के बाद हम सभी पसीने में हो गए क्योंकि गर्मी बहुत थी।कुछ देर आराम करने के बाद हम सभी हाथ पैर धोकर खाने बैठ गए।गर्मी के चलते अब भोजन की इच्छा काम होने लगी थी।लेकिन खाना बहुत जरुरी था।मैं भोजन के बाद चाट पर टहलने लगा।कुछ देर बाद जीवन संगिनी जी का फ़ोन आया और हाल चाल लेने के बाद उन्होंने बताया कि उनके घर से 20 कि मी दूर एक गाँव में 2 कोरोना पॉजिटिव केस मिले हैं इसलिए उस गाँव को सील कर दिया गया हैं।बात खत्म होने के बाद मैं यहॉ सोच रहा था कि ट्रेन कब से चलेगी।कब सब अपने निश्चित स्थानों पर पहुँच पाएंगे? छत पर टहलने के बाद में नीचे आकर अपने कमरे के खिड़की दरवाजो को खोलकर कुर्सी पर बैठ गया।कमरा गर्म था लेकिन कुछ देर बाद सब सही हो गया।मैं अपने टेबल पर जाकर बैठा और किताबे पढ़ने लगा।पढ़ते पढ़ते में टेबल पर सर रखकर ही सो गया। 2 बजे जब नींद खुली तो मैं कुर्सी से उठकर बिस्तर पर जाकर लेट गया।

इस तरह लॉक डाउन का आज का दिन भी समाप्त हो गया।लेकिन अब नकारात्मक विचारों से मन ख़राब हो रहा था और मैं धीऱे धीऱे चिड़चिड़ा होता जा रहा था,क्योंकि बात बात में जीवन संगिनी जी और घर के अन्य सदस्यों से भी हलकी नोक झोक हो जा रही थी।लेकिन मन को शांत कर में अपने मन को समझाने की पूरी कोशिश कर रहा हूँ।लेकिन कहानी अभी खत्म नहीं हुए हैं।कहानी अगले भाग में जारी रहेगी..........



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