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The_JAIPUR_ BOY

Classics

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The_JAIPUR_ BOY

Classics

इक लेखक का सपना

इक लेखक का सपना

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खाकी का एक मोटा सा कुर्ता, जिसकी जेब मे बटन वाला पेन और चश्मे का केस एवं कानपुरी चप्पल पहन, सूती थैला लटकाये गत कई सालों से रोजाना सुबहसुबह साइकिल पर सवार होकर सागर गाँव से बाहर तालाब किनारे जाया करता है। इसी तालाब के एक छोर पर वृहद शाको वाला बरगद का दरकत है। सागर खुद को लेखक कहता है, लेकिन आदिनांक तक उसके किसी लेख को किसी पत्रिका में जगह नहीं मिली।

हर रोज शाम को जब वो मोहल्ले से गुजरता तो कोई उससे पूछता कब तुम्हारा लेख किसी पत्रिका में छपेगा। इन शब्दों के पीछे कुछ का भाव चिढ़ाने का था तो कुछ मैं एक आशा होती थी। सागर के मन मे इन प्रश्नों को लेकर न कोई खीझ रहती न कोई चिड़ ओर न ही कोई गुस्सा। सागर हर रोज सालो से यह एक ही काम लगातार करता आ रहा था। हर रोज वो अपने लेख छपने को भेजता ओर रोज रिजेक्ट कर दिया जाता, ओर अगले दिन फिर पहले दिन वाली ही कहानी।

मोहल्ले से गुजरते वक़्त आज इक मेट्रिक स्तर के शरारती बालक नीरज ने लेखक महोदय को हस्यपात्र बनाने के लिए रोक लिया ।

नीरज "सागर भैया सालो से आप लिख रहे है और आपका एक भी लेख नहीं छपा.....क्या आप थके नहीं.......क्या आप का सपना आज भी जीवित है ?"

सागर "नीरज, एक लेखक वो है, जो सपने दिखाता है। जो पंख पाने की चाह उत्पन करता है। वो लेखक ही क्या जो जीवन की छोटीमोटी हताशाओ से हार कर कलम टांग दे।"

नीरज"भैया आज तक आपका लेख क्यों नहीं छपा ?"

सागर"नीरज, कलम किसी की मोहताज नहीं होती, वो अपने ढंग से ही चलती है। यह हवा की तरह है, जब चाहे जहा चाहे, जिस दिशा मे चाहे, चलने लगती है। अगर कोई इसकी दिशा मोड़ने लगे तो समझ लो कलम पराधीन हो गई। और पराधीनों का कोई विचार स्वतंत्र कैसे हो सकता है ? मेरी कलम स्वतंत्र रही है, इसने कभी समझौता नहीं किया। मेरे पास हज़ारो ऐसे मौके थे जब मैं अपने विचार किसी ओर के नाम से चला सकता था। लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। अगर ऐसा करता तो कही न कही मै उस विचार के साथ समझौता करता जहा से निष्पक्ष लेखन का कत्ल होता।"

नीरज"आपने इतना वक़्त गुजार दिया, आप जब पीछे देखते हो तो क्या आप को यह एहसास नहीं होता कि आप ने बहुत कुछ खोया है।"

सागर"नीरज, लेखक दाता है। वो अमरता देता है उन शब्दों को, जो शास्वत है। लेखक कभी मुड़ के पीछे नहीं देखता। अगर वाल्मीकि जी ने पीछे देखा होता तो शायद हमारे पास आज महान रामायण नहीं होती। लेखक वही होता है वो धैर्य को धारण करता है। इंसान मर जाते है पर लेखक नहीं मरता, क्योंकि यह किताब के काले अक्षरों से अमरत्व पाते है।" लेखक वो है जो पुस्तक के जरिये आने वाली पुशतो के लिए रास्ता बनाते है, रास्ते बनाने वाले कभी नहीं थकते।"

नीरज"क्या कभी आपका लेख छपेगा?"

सागर"एक दिन जरूर, जब भी होगा, पत्रिका मैं नहीं इतिहास के भाग सा छपेगा" पूर्ण विश्वास ही लेखक का बल है।"

अब नीरज के पास कोई और प्रश्न नहीं था। सागर की हंसी उड़ाने के लिए उसे रोकने वाले नीरज को आज पता लगा कि लेखक क्या होता है। क्या उसके सपने होते है। आज उसे जो ज्ञान प्राप्त हुआ उसने उसे सागर के कथनानुसार मार्ग दिखाया। उसने निर्णय लिया कि वो भी एक लेखक बनेगा और हर उस नैतिकता का पालन करेगा जो अभी सागर ने उसे बताया है।।

कल की सुबह सूरज के साथ जब सागर बरगद के नीचे पहुंचा तो नीरज खाकी का एक मोटा सा कुर्ता पहने लिखना शुरू कर चुका था। एक लेखक का सपना पूरा हो चुका था।


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