भोजन इतना भी अच्छा नहीं बनना चाहिए कि आदमी खाते-खाते प्राण ही त्याग दे। भोजन इतना भी अच्छा नहीं बनना चाहिए कि आदमी खाते-खाते प्राण ही त्याग दे।
"बजरंग दल वालो ने जबरन शादी करवा दी।" "बजरंग दल वालो ने जबरन शादी करवा दी।"
शर्मिष्ठा कहने को तो मेरी सखि है परन्तु वह मुझसे बहुत ईर्ष्या करती है। शर्मिष्ठा कहने को तो मेरी सखि है परन्तु वह मुझसे बहुत ईर्ष्या करती है।
"क्या तुम मुझसे मेरे मित्र के बारे में कोई अच्छी बात कहने जा रहे हो?" "क्या तुम मुझसे मेरे मित्र के बारे में कोई अच्छी बात कहने जा रहे हो?"
प्रत्येक जानवर के श्रेष्ठ अंग लेकर उन्होने एक स्त्री शरीर बनाया। प्रत्येक जानवर के श्रेष्ठ अंग लेकर उन्होने एक स्त्री शरीर बनाया।
तुम ऐसे ही बड़े हो- तो चंद्रभूषण की तरह इतने लोगों को इकट्ठा करके दिखाओ। तुम ऐसे ही बड़े हो- तो चंद्रभूषण की तरह इतने लोगों को इकट्ठा करके दिखाओ।
मुझे सुगंधित करना तेरा नूतन प्रकृति हो जाना प्रिय ! मुझे सुगंधित करना तेरा नूतन प्रकृति हो जाना प्रिय !
जिन लोगों ने उसे देखा है वे लोग उसके सौन्दर्य की प्रशंसा करते थकते नहीं थे । जिन लोगों ने उसे देखा है वे लोग उसके सौन्दर्य की प्रशंसा करते थकते नहीं थे ।
कुछ ईस कदर कभी बैर कर जाती जिंदगी नामुकम्मल ही गुजर जाती जिंदगी। कुछ ईस कदर कभी बैर कर जाती जिंदगी नामुकम्मल ही गुजर जाती जिंदगी।
सम्राट ने इशारे से राजशेखर को कहा कि जरा पता करो कि देवयानी के पास खड़ी वह सुन्दरी कौन। सम्राट ने इशारे से राजशेखर को कहा कि जरा पता करो कि देवयानी के पास खड़ी वह सुन्द...
स खुशी से राजा को ये मौक़ा हासिल हो जायेगा कि तत्काल उसे बांहों में कस कर चूम ले। स खुशी से राजा को ये मौक़ा हासिल हो जायेगा कि तत्काल उसे बांहों में कस कर चूम ले...
एक पिता अपने बालकों की त्रुटियों को कभी दिल से नहीं लगाते हैं। एक पिता अपने बालकों की त्रुटियों को कभी दिल से नहीं लगाते हैं।
तीस किलो का जोड़ा पहन कर चार कदम भी चलना उसके लिए दूभर हो रहा था । तीस किलो का जोड़ा पहन कर चार कदम भी चलना उसके लिए दूभर हो रहा था ।
यशोधर्मा ने चीते की तरह छलांग लगाकर समस्त तरबूजों को आकाश में ही एक ही वार से काट दिया। यशोधर्मा ने चीते की तरह छलांग लगाकर समस्त तरबूजों को आकाश में ही एक ही वार से का...
तू है वफादार , इसलिए सबका घर का तू है चौकीदार। तू है वफादार , इसलिए सबका घर का तू है चौकीदार।
देवयानी ने शुक्राचार्य के सम्मुख नतमस्तक होकर उन्हें बधाई दी । देवयानी ने शुक्राचार्य के सम्मुख नतमस्तक होकर उन्हें बधाई दी ।
मैं किसी निर्दोष पक्षी को मारकर अनावश्यक रूप से ऐसा पाप नहीं करना चाहता हूं। मैं किसी निर्दोष पक्षी को मारकर अनावश्यक रूप से ऐसा पाप नहीं करना चाहता हूं।
भगवान से अगर रिश्ता जोड़ लिया जाए तो वे भी संबंध को निभाते जरूर हैं। भगवान से अगर रिश्ता जोड़ लिया जाए तो वे भी संबंध को निभाते जरूर हैं।
कृष्णकांत जी ने कुछ कहने के लिए मुंह खोला ही था , लेकिन उनका शब्द मुंह से बाहर निकलने से पहले ही विर... कृष्णकांत जी ने कुछ कहने के लिए मुंह खोला ही था , लेकिन उनका शब्द मुंह से बाहर न...
लंका के प्रतिनिधियों और जनस्थान के निवासियों में संघर्ष बढ़ता ही जा रहा था। लंका के प्रतिनिधियों और जनस्थान के निवासियों में संघर्ष बढ़ता ही जा रहा था।