Ravindra Shrivastava Deepak

Abstract

4.1  

Ravindra Shrivastava Deepak

Abstract

हमसफ़र...एक प्रेम कहानी (अंतिम)

हमसफ़र...एक प्रेम कहानी (अंतिम)

5 mins
623


आज दोनों बहुत खुश थे। आख़िर बात ही ऐसी थी। प्रियंका ने एक सुंदर बच्चे को जन्म दिया था। 


"ये बिल्कुल मेरे पर गया है। देखो तो कैसा हंस रहा है। इसकी आंखे मेरे ऊपर गई है। इसके होठ तुम्हारे ऊपर गए हैं" ये बाते कहते हुए प्रो. विशाल फूले नही समा रहे थे। 


"प्रियंका, तुम बताओ। इसका नाम क्या रखा जाए ? " प्रो. विशाल ने पूछा।"


"मैं क्या बताऊँ। आप ही सोचिए। इतना तो कर ही सकते है।" प्रियंका ने कहा"


"ओके...इसनें हमारी जिंदिगी में खुशियों के रंग भर दिए है। इसके आने से हमारी जिंदिगी प्रकाशित हुई है। इसलिए आज से इसका नाम "प्रकाश" होगा। तुम्हारा क्या ख्याल है प्रियंका ? "प्रो. विशाल ने पूछा।"


प्रियंका ने इस नाम के लिए हामी भर दी। आपनें जो नाम बताया है वो बहुत अच्छा है।जल्द ही हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होकर प्रियंका घर आ गई। अब प्रो. विशाल प्रियंका का पहले से भी ज्यादा ख्याल रखने लगे थे। 


"कमला, मैडम का पूरा ख़्याल रखना। किसी तरह की दिक्कत नही होनी चाहिये। तुम अब यही पर रहना। मैडम को किसी भी चीज की जरूरत पड़े तो तुरंत देना। ठीक है।"

नौकरानी को समझाते हुए प्रो. विशाल ने कहा।


समय भी धीरे-धीरे चलता रहा। 10 साल बीत गए। प्रकाश अब पूरे 10 साल का हो गया था। पढ़नें में काफी अच्छा था। स्कूल में वो टॉप करता था। एक दिन, प्रियंका और प्रो. विशाल आपस में बातें करतें है।


"सुनिए, मैं कह रही थी कि आप कॉलेज चले जाते है। प्रकाश स्कूल चला जाता है। मैं दिनभर घर में बोर होती रहती हूँ। मैं सोच रही थी कि मैं भी कुछ करूँ। पर अगर आप चाहे तो।" प्रियंका ने कहा।"


"देखो सोनू। मुझे कोई एतराज नही है। मैं तुमपर कोई दबाव नही डालना चाहता। तुम स्वंतत्र हो। जो चाहे वो करो। मैं हरकदम पर तुम्हारे साथ हूँ। तुम्हारे हर फैसले का दिल से स्वागत करता हूँ। तुम जो भी करोगी अच्छा ही करोगी। तुम्हारा मन तो लगा रहेगा।कम से कम बिजी तो रहोगी।"


जल्द ही प्रियंका ने एक कॉलेज जॉइन कर लिया। वहां सीनियर क्लास में पढ़ाना भी शुरू कर दिया। प्रियंका को भगवान का दिया सबकुछ था। जिंदिगी काफी हंसी-खुशी बीत रही थी।मगर समय हमेशा खुशियां ही नही देता। इसके दामन में ग़म भी होते है। जो शायद अब इस हँसते खेलते परिवार पर बिजली बनकर गिरनेवाली थी। एक दिन, स्कूल से आने के बाद प्रकाश बेहोश होकर गिर पड़ा। कमला (नौकरानी) नें देखा तो घबरा गई। उसनें तुरंत प्रियंका को कॉल किया।


"हेलो मैडम...! आप जल्दी घर आ जाइए। प्रकाश बेहोश हो कर गिर गए है। अचानक स्कूल से आते ही चक्कर खाकर गिर पड़े। "


इतना सुनते ही प्रियंका ने सारी क्लासेस ड्राप कर सीधे घर पहुँची। प्रो. विशाल भी थोड़ी देर में पहुँचे। 


"बेटा, प्रकाश। (रोते हुए) ये कैसे हो गया ? तुम्हें को चोट तो नही लगी ? ये सब कैसे हो गया ?" प्रियंका ने पूछा"


"माँ, अचानक चक्कर आया और मैं गिर गया। मुझे पता भी नही की मैं यहां कैसे आया।" प्रकाश बोला"


डॉक्टर ने प्रकाश का हेल्थ चेकअप किया। लेकिन जब प्रकाश के टेस्टिंग रिपोर्ट्स आए तो वो चौकाने वाले थे। प्रियंका के जिंदिगी में सच में दुःख के काले बादल अब बरसनेवाले थे। जिससे प्रियंका का सामना होना अभी बाकी था।


"प्रकाश डायबिटीज के एक ऐसे बीमारी से ग्रसित है जो एक साल या 2 साल में ठीक होनेवाली बीमारी नही है बल्कि वो प्रकाश के लिए लाइफटाइम है। ये बीमारी डायविटीज टाइप-1 है। जो ठीक नही होनेवाली है। ये जिंदिगी भर रहनेवाली बीमारी है। हाँ, लेकिन इसे कंट्रोल किया जा सकता है। इसमें रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य से अधिक बनाता है।"


फिर डॉक्टर ने समझाया कि "इस टाइप 1 डायबिटीज में पैंक्रियाज़, इंसुलिन बनाने की क्षमता खो देता है क्योंकि शरीर का इम्यून सिस्टम इंसुलिन उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। यह बात कोई नहीं जानता कि ऐसा क़्यों होता है, लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि इसका जीनों से कोई संबंध है।"डॉक्टर ने प्रियंका को विस्तार से सारी बातें बताई।ये बात जानते ही प्रियंका रो पड़ी और रोते हुए बोली। 


"हे ईश्वर..! आख़िर ऐसा क्यों किये ? ये मेरे साथ ही क्यों ? " प्रो. विशाल प्रियंका को सम्भालते है। 


फिर डॉक्टर ने प्रियंका को समझाया। डॉक्टर ने दवाइयों के साथ इंजेक्शन भी लिखा और बताया कि ये इंजेक्शन अब इसके जीवनभर के लिए चलता रहेगा। डॉक्टर नें प्रकाश के डायटिंग को भी बताया और इसे फॉलो करने का लिए भी कहा। ऐसा करना बहुत ही जरूरी है। नही तो कुछ भी हो सकता है। 


अब प्रियंका की जिंदिगी और भी व्यस्त हो गई थी। घर, कॉलेज और प्रकाश की देखभाल। इन सब कामों में प्रियंका बस बंध के रह गई। इंजेक्शन भी अब रोज टाइम पर खुद प्रियंका ही देती थी। प्रकाश के डायटिंग का भी पूरा ख्याल रखती थी। कब और क्या खाना हैं, ये बखूबी प्रियंका को पता था। उसने अब ये मान लिया था कि ये बीमारी प्रकाश के जिंदिगी का एक अहम हिस्सा है। अब उसे ऐसे ही जीना पड़ेगा। मगर उसे इस बात की फिक्र थी कि मेरे बाद इतना ख़्याल कौन रखेगा ? 


प्रियंका और प्रो. विशाल ने एक बार दूसरे बच्चे का बारे में भी सोचा मगर दूसरे बच्चे का पैदा होना उनके नसीब में नही था। डॉक्टर ने प्रो. विशाल को इसके लिए दोषी माना। उनके मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक वो दुबारा बाप नही बन सकते थे।इसलिए अब दोनों ने ये मान लिया कि ये बीमारी हमसफ़र बन जिंदिगी भर साथ चलेगी और हमें इसके साथ ही चलना पड़ेगा। 


इस तरह की प्रेम कहानी शायद ही देखने को मिलती है जहां शिक्षक और स्टूडेंट्स में प्रेम हुआ और को एक दूसरे के हमसफ़र भी बन गए हो। प्रेम का ये रूप भी हमें देखने को मिला। इसका ये रूप भी निराला है। 


आज भी ये जोड़ी हंसी खुशी जिंदगी गुजार रहे हैं। अपनीं जिंदिगी में तमाम मुश्किलों के बावजूद इसके सुहाने पलों को बखूबी जी रहे है। प्रकाश भी अब और बड़ा हो चुका है और अपनी बीमारी का पूरा ध्यान रखते हुए अपनी जिंदिगी बड़े मजे से जी रहा है।


उम्मीद है ये जीवंत कहानी आपको पसंद आई होगी। आपकी प्रतिक्रियाओं का मुझे बेसब्री से इंतिजार रहेगा। आपकी प्रतिक्रियाएं मुझे मजबूती और उत्साह प्रदान करेगी ताकि भविष्य में और भी रचनाएं एवं कहानियां आपके समक्ष प्रस्तुत कर सकूँ। अपनीं रचनाओं से आपका मनोरंजन कर सकूं।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract