हमसफ़र...एक प्रेम कहानी (भाग-4)
हमसफ़र...एक प्रेम कहानी (भाग-4)


अगले दिन कॉलेज में काफी चहल पहल थी। चारो तरफ सिर्फ प्रियंका की सिंगिंग के ही चर्चे थे। सब उसकी तारीफ़ करते थक नही रहे थे।क्लासरूम में जैसे ही प्रियंका आई तो सब स्टूडेन्स नें उसका भरपूर स्वागत किया।
"अरे, यार। तुम इतनी सुन्दर गाती हो। इतनी प्रतिभा अपनें अंदर छुपा के रखी हो। आजतक हमें पता ही नही था। हम इतनें करीब थे। रूम भी शेयर करतें थे मगर हमें पता ही नही चला।" प्रिया और सुमन बोली।
'"अरे....! ऐसा कुछ भी नही है। बस थोड़ा मोड़ा गा लेती हूं। इतनी बड़ी सिंगर नहीं हूँ मैं।" प्रियंका नें कहा।
तभी प्रो. विशाल आते हैं। सभी बात करना बंदकर शांत हो जाते हैं और खड़े हो जाते हैं।
"सीट डाउन डिअर स्टूडेंट्स। आज मैं बहुत खुश हूँ। प्रियंका नें हमारे कॉलेज का नाम रौशन किया है। आजतक ऐसा कभी नही हुआ था कि इस कॉलेज के छात्र या छात्रा का नाम अख़बार में आया हो लेकिन प्रियंका नें वो कर दिखाया। हर जगह प्रियंका छाई हुई है। इसलिए कॉलेज प्रशासन प्रियंका को विशेष सम्मान से पुरस्कृत करने का निर्णय लिया है। वो पुरस्कार अगले कॉलेज फंक्शन पर दिया जाएगा जो जल्द ही होगी।"
सभी स्टूडेंट्स तालियां बजाकर प्रियंका का अभिवादन करते है। प्रो. विशाल भी प्रियंका का खूब तारीफ किये।
और इसी बीच..".डिअर स्टूडेंट्स। आज मैं आपसब के सामनें एक घोषणा करना चाहता हूँ। ये खासकर प्रियंका के लिए ही है।"प्रियंका...क्या तुम मेरी जीवनसंगिनी बनोगी ? मेरे साथ जीवन के हर कदम पर मेरा साथ दोगी ? विल यु मैरी मी ?"
ये सुनते ही सारे स्टुडेंट्स प्रो. विशाल को सपोर्ट करते हुए प्रियंका से हामी भरने के लिए कहने लगे। प्रियंका के लिए यह जीवन का सबसे बड़ा सरप्राइज़ था। यह सुनने के बाद प्रियंका स्तब्ध रह गई। मानो कि वह एक बुत बन गई हो। उसे इस बात का विश्वास ही नहीं हो रहा था। फिलहाल बिना कुछ बोले वह वहां से चली गई।
इस तरह प्रियंका का जाना प्रोफ़ेसर विशाल को अजीब सा लगा।सोचने लगे कि आखिर प्रियंका ऐसे क्यों चली गई। कहीं मैंने कुछ गलत तो नहीं कह दिया।अगले दिन प्रो. विशाल नें प्रियंका को कॉल किया। प्रियंका नें कॉल काट दिया। प्रो. को बहुत बुरा लगा। उन्होंने सोचा शायद प्रियंका को बुरा लगा हो।
अब मौसम भी काफी सर्द हो चुका था। ठंडी बढ़ गई थी। प्रियंका भी कॉलेज की छुट्टी में घर चली आई थी। मां और पापा के साथ कुछ दिन रहने के लिए।
उधर प्रो. विशाल कॉलेज के रिकॉर्ड की मदद से प्रियंका के घर पहुंच कर उसके घर के सामने खड़े हो गए। प्रियंका खिड़की बंद करने आई तो देखा कि प्रो. विशाल इतनी ठंडी में खड़े हैं और उसी की ओर देखे जा रहे हैं। फिर भी खिड़की बंद कर प्रियंका अंदर चली गई।अब ऐसा रोज होने लगा। प्रो. विशाल रोज आते और उसके खिड़की के तरफ मुँह कर खड़े हो जाते। ऐसा करते एक सप्ताह बीत गया।
फिर एक दिन," आख़िर आप चाहते क्या है ? मेरा पीछा करते करते हुए घर तक आ गए। आपको यहां का पता कैसे मिला ?" प्रियंका नें पूछा।
"प्रियंका। उस दिन बिना कुछ जवाब दिए क्यों चली आई। क्या तुम्हें मेरी बातों का बुरा लगा। अगर लगा हो तो सॉरी। बट ई लव यू सो मच। मैं शादी करना चाहता हूँ तुमसे।"
"ओक सर। आई रेस्पेक्ट यु। लेकिन ये संभव नही है। उम्र में हमदोनों का बहुत फर्क है। पापा, मां नही मानेंगें। पर अगर उनको मना लेंगे तो कुछ सोचा जा सकता है।" (प्रियंका ने कहा)
"वो तुम मुझपर छोड़ दो। मैं उन्हें मना लूंगा। अगले सप्ताह से कॉलेज खुल रहा है। आ रही हो न ?" प्रो. विशाल नें पूछा।
"जी सर आऊंगी।" (प्रियंका का घर कॉलेज से लगभग 5 किमी की दूरी पर था)
अब प्रो. खुद की कार से प्रियंका को कॉलेज ले आते और फिर उसे घर भी छोड़ आते थे। अबतक दोनों काफ़ी जान चुके थे एक दूसरे को।
"सर, आपको अब पापा से बात कर लेनी चाहिये। शादी के लिए उनसे बात कीजिये।" (प्रियंका नें कहा)
"ठीक है प्रियंका। कल मैं उनसे बात करूंगा।" (प्रो. विशाल नें कहा)
अगले ही दिन, प्रो. विशाल प्रियंका के पापा पंकज जी और मां वीनीता जी से मिलतें है।
"नमस्कार, आपदोंनो को। मैं जिस कॉलेज में प्रोफेसर हूँ उसी में प्रियंका पढ़ती है। मैं और मेरी माँ बस दो ही आदमी है फैमिली में। आपसे मैं एक बात कहना चाहता हूँ।" (प्रो. विशाल बोले)
"हैं....हां क्यों नही। आप बेधड़क कहिए।" (पंकज जी बोले)
"जी, मैं प्रियंका से प्यार करता हूँ और उससे शादी करना चाहता हूँ। अगर आपदोंनो इस शादी के लिए राजी हो जाएं तो बहुत मेहरबानी होगी। मैं उसे बहुत खुश रखूंगा। किसी बात की तकलीफ नही होने दूँगा। घर, गाड़ी, नौकर सब है मेरे पास। उसे रानी बना के रखूंगा। ये वादा है मेरा।"
"ठीक है..ठीक है। आप इतना कह रहे हैं तो अच्छी बात है। पर क्या प्रियंका चाहती है ? उसकी मर्जी भी जानना जरूरी है न। मेरी बेटी सदा खुश रहे इसमें ही हमारी खुशी है। और क्या चाहिये हमें। हम कल आपको फ़ोन कर बता देंगे।" (पंकज जी बोले)
अगले दिन, प्रो. विशाल को पंकज जी का कॉल आया जिसका प्रो. विशाल को बेसब्री से इंतजार था।
"हेलो- मैं पंकज जी बोल रहा हूँ। प्रियंका का पापा। हमें ये शादी मंजूर है। पंडित जी से शादी की मुहर्त निकलवाएं।"
इतना सुनते ही प्रो. विशाल खुशी से झूम उठे। उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। मानो आज उनकी जिंदिगी मिल गई हो। उन्होंने मां को बताया तो उन्होंने भगवान का भी शुक्रिया अदा किया।और फिर शुभ मुहर्त निकाल कर दोनों की शादी हो जाती है। अब दोनों का जीवन बड़ी ही खुशी के साथ गुजरने लगता है। प्रो. विशाल नें जैसा वादा किया था प्रियंका के पापा को वैसे ही प्रियंका को रखते थे। बिल्कुल एक राजकुमारी की तरह। कोई काम नही करने देते थे। सब काम के लिए नौकर रखे थे। उसके एक आह से प्रो. विशाल को दर्द उठता था। प्रो. विशाल प्रियंका को प्यार से "सोनू" पुकारा करते थे।
समय बीतता गया और 1 साल बाद प्रियंका नें एक बच्चे को जन्म दिया। लेकिन कहते है न जिंदिगी सुख और दुःख का संगम है। यहां हमेशा सुख या हमेशा दुःख नही रहता। आज दुःख की एक झोखे नें इस हँसते खेलते परिवार को भी नही छोड़ा। नियति नें उनदोनों के साथ ऐसा खेल रचाया की....
- आख़िर ऐसा क्या हुआ उनके जीवन में ?
- इस हँसते खेलते परिवार को किसकी नजर लग गई ?
- प्रो. विशाल और प्रियंका के साथ क्या हुआ ?
इन प्रश्नों के उत्तर अगली कड़ी में...