हमसफ़र... एक प्रेम कहानी (भाग-2
हमसफ़र... एक प्रेम कहानी (भाग-2


उस रोज प्रोफेसर विशाल को लगा कि मानों किसी नें दिल की तार को छेड़ दिया हो। दिल प्रेम के समंदर में गोते लगा रहा हो। मन में प्रेम की एक लहर सी दौड़ गई हो। लगा कि किसी नें मृत शरीर के हृदय में प्राण फूँक दिए हो और दिल कह रहा हो...
"तेरी खुशबू नें आज मन में हलचल मचा दिया,
तेरी गेसुओं नें जैसे सारे सितारों को समेट लिया,
इस दिल पर भी मेरा काबू अब बिल्कुल न रहा,
तेरी खूबसूरती नें मुझे अपना दिवाना बना दिया..."
सर, मे आई कम इन ? सररर, मे आई कम इन ?
प्रोफेसर नें अपनें को संभालते हुए बोले। यस, कम इन।
इतनी लेट क्यूँ आई ? वैसे मैंने तुम्हें पहले कभी यहां नही देखा।
जी सर। मेरा नाम प्रियंका है। मैं यहाँ नई आई हूँ। आज मेरा इस कॉलेज में पहला ही दिन है। समय मालूम नही था। देर होने के लिए सॉरी सर।
ठीक है। बैठ जाओ।
सुमन, इसे रूटीन समझा देना। हो सके तो लिखकर भी दे देना। ठीक है।
जी सर। मैं लिखकर दे दूंगी। (सुमन बोली)
उस दिन से प्रियंका, सुमन और प्रिया अच्छे दोस्त बन गए। आपस में हरेक बात शेयर करती थी।
प्रियंका, एक बेहद ही खुली मिजाज की लड़की थी। बिंदास, पढ़ाई में बढ़िया, चुलबुली और एक्टिव लड़की थी। वो हर प्लेटफार्म पर नंबर वन थी।
यार सुमन। कॉलेज का वार्षिकोत्सव आनेवाला है। सबनें अपनी अपनी तैयारी शुरू कर दी है। तुम्हारा क्या प्लानिंग है ? तुमनें परफॉर्मेंस के लिए कुछ किया है ? प्रिया नें पूछा।
यार प्रिया। मैं क्या करूँ इस बार। मुझे खुद समझ नही आ रहा। भाषण मुझे आती नही। भीड़ से डर लगता है। कोई कवियत्री तो हूँ नही की कविता ही सुना दूँ। इसलिए इस बार मैं तो भाग नही लेने वाली।
अरे प्रियंका। ऐसे अकेले क्या छुप के पढ़ रही हो ? हमलोग कुछ बात कर रहे है। परेशान है और तुमको कोई फिक्र ही नही है। हमारी मदद करो यार। वी नीड योर हेल्प। प्रिया और सुमन नें बोला और ज़िद्द करनें लगे।
ओके..ओके। मैं तुम्हारी मदद करूंगी। ठीक है।
फिर प्रियंका नें सुमन को स्पीच देने की सुझाव दिया और प्रिया को डांस करने के लिए कहा। अगले दिन से दोनों की ट्रेनिंग खुद देने लगी। सुमन को स्पीच लिखकर दी और प्रिया को डांस सीखाने लगी।
इधर, प्रो. विशाल का प्यार परवान पर था। एक रोज क्लास में...
प्रिया, आज प्रियंका नही आई ? क्यूँ, क्या हुआ उसे।
सर उसे मामूली सा वायरल फीवर है। वो होस्टल में है।
ओके। दवा लिया उसनें। जी सर, लिया है उसनें।
उसे पता है कि हमारे कॉलेज में वार्षिकोत्सव होनेवाला है जिसमें हर स्टूडेंट्स को परफॉर्मेंस देना पड़ता है। उसे कहना कि तैयारी करे। किसी भी तरह का समस्या हो तो मुझे सीधे संपर्क कर सकती है। ये लो मेरा कार्ड। उसे दे देना।
ओके सर, मैं दे दूंगी। (प्रिया नें कहा)
इधर होस्टल में। यार प्रियंका। तुमनें तो आग ही लगा दी। आजतक जो इंसान हमलोगों को कभी घास नही डाला वो लगता है तुमपर फिदा है। तुमपर लट्टू हो गया है।
क्यूँ...! क्या हुआ। तुमदोनों इतनी उतावली क्यूँ हो। बताओ बात क्या है ? प्रियंका नें पूछा।
ये लो नम्बर। विशाल सर का है। उन्होंने तुम्हारे बारे में पूछा तो हमनें बता दिया कि तुम बीमार हो। उन्होंने तुम्हें भी कॉलेज वार्षिकोत्सव में भाग लेने के लिए कहा है। उन्होंने ये भी कहा है कि किसी चीज की जरूरत हो तो उन्हें बताना। तेरी तो सेट हो गई प्रियंका...हा..हा..हा। सुमन और प्रिया हंसते है।
अरे, तुमलोगों को समझ ही नही है क्या। कुछ भी बोलती रहती हो। उनके और मेरे में जमीन आसमान का फर्क है। कम से कम उम्र तो देखो। लगभग 15 साल का अंतर है। फिर भी तुमदोनों ऐसी बातें करती हो ? हद है यार। प्रियंका बोली।
अगले दिन। क्लास में प्रोफेसर विशाल का सामना फिर प्रियंका से होता है और उनकी दिल के अंदर से आवाज़ आती है...
"मयखाना जाना तो हमनें कब का छोड़ दिया,
जब से देखी आंखे तुम्हारी बोतल तोड़ दिया,
अब नशा तुम्हारा ऐसा चढ़ा की उतरता नही,
जब से जाना मैंने, कसम से सोना छोड़ दिया...
सर...सर...कहाँ खो गए आप। लड़को के शोरशराबा से ध्यान टूटते ही प्रो. विशाल खुद को संभालते हुए बोले।
सॉरी गाइज। मैं कुछ सोंच रहा था। सब जोर से हंस पड़ते है।
अपनें दिल के जज्बातों को दबाते हुए प्रो. विशाल ने प्रियंका से बेधड़क पूछा।
अब तुम कैसी हो प्रियंका ? हाऊ डु यु फीलिंग नाउ ?
मैं ठीक हूँ सर। पहले से अच्छा फील कर रही हूँ। (प्रियंका ने कहा)
तुम्हें पता है कि कॉलेज का वार्षिकोत्सव आने वाला है। इसमें प्रत्येक स्टूडेंट को भाग लेना आवश्यक होता है। तुम इस वार्षिकोत्सव में क्या करनेवाली हो ? प्रोफेसर विशाल ने पूछा।
सर अभी तो मैंने कोई निर्णय नहीं लिया है कि मैं क्या करूंगी। लेकिन अगर भाग लेना जरूरी है तो मैं इसके बारे में अवश्य सोचूंगी। प्रियंका ने कहा।
ठीक है। जरूर सोचना लेकिन जल्दी क्योंकि समय कम है। ठीक है। प्रोफेसर विशाल नें कहा।
ठीक है सर, बिल्कुल। प्रियंका नें हामी भर दी।
अगले दिन प्रियंका के दरवाजे पर दस्तक हुई। खट..खट...खट...
जब उसनें दरवाजा खोला तो स्तब्ध रह गई। उसनें देखा कि...
दरवाजे पर किसनें दस्तक दी ? वो कौन था ?
ऐसा प्रियंका नें क्या देखा कि स्तब्ध रह गई ?
इतनी सुबह दरवाजे पर कौन हो सकता है ?
इन प्रश्नों के उत्तर अगले अंक में...