गुडबाय
गुडबाय
जल्दी करो किरण...
आ रही हूँ ...आ रही हूँ...
जतिन, मोटर साइकिल स्टार्ट कर किरण के आने का इंतज़ार कर रहा था ।आजकल पंद्रह दिनों से रोज़ जतिन, किरण को इंग्लिश स्पीकिंग क्लास छोड़ने जाता था।
किरण, जब से नए सोसायटी में आई है,सोसायटी की महिलाओं को अंग्रेज़ी बोलते सुन उसे ग्लानि होती।हीन भावना से ग्रसित सोसायटी के कार्यक्रमों में भी नहीं जाती।तब जतिन ने समझाया ।क्या हुआ ?”अपनी मातृभाषा में ही संवाद करो और गर्व करो”देखो सरकार ने कार्यालयों में भी हिंदी अपनाने पर ज़ोर दिया है।लेकिन चंचल, शोख किरण अंतर्मुखी होती जा रही थी।बच्चे घर पर कोशिश करते किरण से अंग्रेज़ी बोलना पर वो संकोच करती ।तब बच्चों के कहने पर जतिन ने किरण को इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स में दाख़िला करा दिया।
आज सोसायटी में दिवाली मिलन समारोह में किरण भी आई थी उसका आत्मविश्वास कुछ कुछ लौट आया था।
सकुचाई सी किरण महिलाओं से टूटी फूटी इंग्लिश बोल पा रही थी।
पार्टी ख़त्म हुई सभी एक-दूसरे को हैप्पी दिवाली,गुड नाइट बोल रहे थे।किरण भी सभी को बदले में हैप्पी दिवाली और गुडबाय बोल रही थी-मैंने धीरे से किरण को चिकोटी काटी।किरण समझ गई कुछ गड़बड़ हो रहा है।
घर आकर बच्चों का हँसते हँसते बुरा हाल था।
किरण के चेहरे पर प्रश्न चिन्ह देख जतिन ने समझाया,”गुडबाय किसी को विदाई देते वक़्त कहते हैं ।जैसे मान लो हमें 2020के वर्ष को अलविदा कहना हो तो अंग्रेज़ी में गुडबाय 2020 कहेंगे...”।
अरे !“नहीं, मैं तो बैडबाय कहूँगी इस कोरोना काल को “और किरण खिलखिला पड़ी।
