Swati Rani

Abstract Drama Inspirational

4.5  

Swati Rani

Abstract Drama Inspirational

ग्लोब

ग्लोब

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"रौशनी खड़ी हो जाओ", मैडम ने अपने गोल चश्मे के उपर से देखते हुए कहा। 

रौशनी खड़ी होती है और बोलती है", य.. य.. यस मैम"। 

"इस ग्लोब में बताओ इंडिया कहा है", मैडम बोली। 

"म.. म.. मैम", रौशनी बिल्कुल डर गयी। 

" गेट आऊट, कल अपने पिताजी को ले आना", मैम चिल्लायी। 

वैसे तो रौशनी पढने में काफी होशियार थी, पर भूगोल के क्लास से पता ना क्यों भागती थी।

रौशनी,उसके पापा और मैम स्कूल मे एक टेबल पर बैठे होते है। 

"वैसे तो रौशनी पढने में अच्छी है सर मैंने इसके रिजल्ट देखे हैं, पर भूगोल के क्लास मे पता नहीं क्यों ये कुछ नहीं बताती, अगर यही हाल रहा तो अगले महीने से फाईनल परीक्षा है, मुझे डर है ये अगले क्लास मे नही जा पायेगी। ग्लोब देखते ही एकदम से डर जाती है पता नहीं क्यो, मैने जरूरी समझा सो बता दिया,आप ध्यान दिजिए, नमस्कार ", मैडम बोलते हुये चली गयी। 

रौशनी कि ये हालत बचपन से थी, दरअसल पड़ोस में एक लड़का रहता था जो रौशनी को काफी मानता था। 

उस वक्त रौशनी सिर्फ 8 साल कि थी, वो लडका भूगोल में डाक्टरेट कर रहा था, क्योंकि उसके माँ-पापा का मन था वो प्रोफेसर बने, पर ऊसका मन गायन में था।

रौशनी घंटो उस लडके के पास खेलती ग्लोब से। 

फिर एक दिन वो लडका फेल हो गया और उसने खुदकुशी कर ली। 

तबसे रौशनी के मन में ग्लोब से डर बैठ गया था। 

एक बार उसके जन्मदिन पर भी किसी ने ग्लोब दिया था तो उसने डर कर फेक दिया था। 

रौशनी के पापा घर पर आ कर उसकी माँ से बात करते हैं और वो दोनो रौशनी को मनोवैज्ञानिक के पास ले जाने कि सोचते हैं। 

मनोवैज्ञानिक, "कबसे है इसको ये दिक्कत"? 

"जबसे 8 साल कि थी तबसे", रौशनी कि माँ बोली। 

मनोवैज्ञानिक रौशनी को ग्लोब देता है वो डर जाती है। 

"सर इसको स्फेराफोबिया नामक बिमारी है, मतलब ग्लोब से डर बैठ गया है इसके मन में, भूतकाल में हुयी कोई अप्रिय घटना से", मनोवैज्ञानिक बोला। 

रौशनी के पापा ने सारी घटना बता दी। 

"दवाई तो मै दे दुंगा पर वो ज्यादा कारगर नहीं होगा, आपको रौशनी के मन से इसका डर निकालना होगा", मनोवैज्ञानिक रौशनी के पापा को अलग ले जा कर बोला। 

रौशनी के पापा रात भर सोचते रह गये कि क्या रौशनी कभी ग्लोब पर पढ नहीं पायेगी, भूगोल में पास नहीं हो पायेगी। 

अगले दिन रौशनी के पापा ने उसको पास बुला कर बैठाया और एक बडी सी फुटबाल और एक मार्कर ले कर आये। 

पापा बोले, "रोशनी बेटा समझो ये पृथ्वी है"। 

इसके चारो तरफ जो इसको आधा काटता है उसको इक्वेटर कहते है, उन्होंने लाईन खिंचते हुये बतायी।

यहाँ सबसे ज्यादा धुप होती है। 

पृथ्वी उपर और नीचे दोनो से चपटा है, इनको आर्कटिक और अंटार्कटिका कहते है। यहाँ 6 महिने बरफ, 6 महिने धुप रहती है। 

सीधी और सोयी रेखाओ को रेखांश, अक्षांश कहते है। 

रौशनी ध्यान से सुन रही थी। 

पता है बेटा इस पृथ्वी पर 3 भाग पानी है, बस 1 भाग सतह। 

ये सतह ही द्वीप,महाद्वीप बनाते हैं। 

"क्या,हम भारत को इसमें ढुढ़ सकते है", रौशनी ने पुछा। रौशनी के पापा बोले "बिल्कुल और ये भी जान सकती हो इसके पडोसी देश कौन से है"। 

"पापा प्लीज बताओ ना भारत कहाँ है", रौशनी की आंखे कौतुहल से चमकी। 

" कल बताऊंगा बेटी, अभी सो जाओ", रौशनी के पापा बोले। 

सुबह सुबह रौशनी खाने के टेबल पर,"पापा प्रोमिस याद है ना"। 

"हाँ बेटा शाम में", रौशनी के पापा बोले। 

शाम में जैसे रौशनी के पापा आये उनके हाथ में एक गिफ्ट था पर उससे ज्यादा कौतुहल रौशनी को भारत देखने में था। 

" पहले गिफ्ट खोलो बेटा", पापा बोले। 

रौशनी ने जैसे गिफ्ट खोला ये क्या उसमें ग्लोब था। 

वो डर कर पीछे हटी। 

पापा बोले, "कल से दिमाग खा रही थी,इसी में तो है इंडिया,ये हि है मिनी पृथ्वी,लाओ इधर"। 

रौशनी ग्लोब दे के पापा से दुर बैठती है थोड़ा। 

पापा बोले "ये देखो, इंडिया, ये अमेरिका, जहाँ मै पिछले साल गया था"। 

" ओ... आप इतनी दुर गये थे पापा", रौशनी बोली। 

"ये इक्वेटर, ये आर्कटिक, ये अंटार्कटिका", पापा बोले। 

रौशनी अब पापा के नजदीक आ कर ग्लोब को छु छु कर सारे देश देख रही थी, उसका डर खत्म हो रहा था, उसको भुगोल में जिज्ञासा जो हो रही थी।

वाकई पापा इसमें तो बहुत कुछ है, मैं फालतू में इससे डर रही थी। 

" पर पापा ये झुका हुआ क्यों है", रौशनी ने पुछा। 

"क्योंकि पृथ्वी भी अपनी धुरी पर झुकी हुई है बेटा, तुम इसको मिनी पृथ्वी ही मानो", रौशनी के पापा ने बोला।

रौशनी के मन से अब ग्लोब का डर पूरी तरह जा चुका था।


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