एक लक्ष्य

एक लक्ष्य

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राज अपनी असफलता के कारण निराश था, जिसके कारण वह मानसिक रूप से व्यथित था।वह मन को शांत रखने के लिए प्रकृति का सहारा लेने लगा। कभी शहर के कोलाहल से दूर नदी किनारे बैठकर बहते पानी के स्वरों में खो जाता,तो कभी नदी किनारे पेड़ों पर बैठे पक्षियों के कलरव में खो जाता । प्रकृति के कुशल चितेरे ईश्वर की हर शाम बदलती आकाश की आकृति,सूरज का डूबने से लालिमा के चित्र देखता।यही उसकी दिनचर्या बन गयी थी। कभी कभी वह इन जगहों पर अपनी असफलता पर भी विचार करता ।

एक दिन वह खेत में काम कर रहे एक किसान को देख रहा था। जो उस समय खेत में सिंचाई कर रहा था, खेत में पानी मोरी (नाली) के सहारे जा रहा था। मिट्टी की मोरी को वह फावड़े से ठीक करता और आगे बढ़ जाता,लेकिन बार बार मोरी से पानी सीधे न पहुंचकर मोरी फूटने के कारण बाहर बह रहा था। अतः वह मोरी को सुधारकर करके यह प्रक्रिया दोहरा रहा था। इसके कारण पानी अब बाहर की ओर न फैलकर सीधे मोरी से आगे बढ़ रहा था। अब नाली का पूरा पानी किसान तक पहुंच रहा था।

इस घटना को देखकर राज को सीख मिली । उसने अपना मूल्यांकन किया कि वह बहुत से कार्यांे में ध्यान बंटाने के कारण असफल हो रहा था। अब उसने अपनी भूल सुधारने का फैसला किया। उसने अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए केवल एक मार्ग चुनने का फैसला किया । सूर्य धीरे धीरे अस्त हो रहा था,लेकिन राज को एक नई सुबह का इंतजार था।


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