Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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दिव्यांश का छोटा भीम

दिव्यांश का छोटा भीम

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मेरे द्वारा डोर बेल बजाए जाने पर घर की पहली मंजिल की खिड़की से मेरे मित्र अमर सिंह जी के सुपुत्र दिव्यांश ने ऊपर से ही देखा और मुझे पहचानते ही उसने वहीं ऊपर से ही कहा-"नमस्ते ताऊजी, अभी आकर मैं दरवाजा खोलता हूं ।"


नीचे दरवाजा खोलते ही उसने अपने हाथ में पकड़ी हुई सैनीटाइजर की बोतल से स्प्रे करवाने का इशारा मुझे किया ।मैंने दरवाजे के साथ रखी हुई शू रैक में जूते निकाल कर रखे।इसी बीच उसने पहले अपने हाथों को सैनीटाइज किया । उसके बाद मेरे हाथ सैनिटाइज करवाकर मेरे चरण स्पर्श किए क्योंकि अब मेरे हाथ सैनीटाइज हो चुके थे। मैंने उसके सिर पर हाथ रख कर उसे आशीर्वाद दिया। उसने पुनः एक बार मेरे हाथों को सेनिटाइज करने के बाद अदब के साथ सिर झुका कर नाटकीय ढंग से बैठक की ओर चलने का इशारा किया।


"आइए ताऊ जी, पिताश्री बैठक में विराजमान हैं तब तक मैं आपके आगमन की सूचना माताश्री को देकर आता हूं"- दिव्यांशु ने प्रफुल्लित होते हुए कहा।


अमर सिंह जी एक विख्यात फार्मेसी के मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के रूप में कार्यरत हैं। बैठक में बैठे हुए वे अपना कार्य करने में व्यस्त थे। औपचारिक अभिवादन के बाद हम दोनों ने एक दूसरे की और एक दूसरे के परिवारों की कुशलक्षेम पूछी। अपनी माता जी को मेरे आगमन की सूचना देकर दिव्यांश बैठक में आ गया।


दिव्यांश अमर सिंह जी से कहा-"पापा जी ,आप ताऊ जी के चरण स्पर्श कर सकते हैं। उसके पश्चात में आपके हाथों को सैनिटाइज करवा दूंगा। हमारी संस्कृति और संस्कारों के बीच में कोरोना क्या कोई भी बाधा आड़े नहीं आ सकती। हम अपनी संस्कृति के पालन के लिए नवीन मार्ग खोज ही लेंगे। ताऊ जी के चरणों को भी मैंने सैनिटाइज कर दिया है।"


अमर सिंह जी मेरे मित्र हैं पर मेरी आयु अधिक होने के कारण वे मेरे चरण स्पर्श करके मुझे अपना अग्रज होने का पूरा सम्मान देते हैं।दिव्यांश की कोराना वैश्विक महामारी के प्रति जागरूकता और समझदारी की बात जेहन में आते ही मैंने और अमर सिंह जी ने एक दूसरे की ओर देखा और मुस्कुराए बिना नहीं रह पाए। इतने में दिव्यांश की मम्मी अर्थात अमर सिंह जी की धर्मपत्नी भी चाय लेकरआ गईं और उन्होंने भी पूरे श्रद्धाभाव के साथ मेरे चरण स्पर्श किए। मैंने भी हमेशा की भांति उनके सिर पर हाथ रखकर हृदय की गहराइयों से उन्हें आशीर्वाद दिया।


मैंने उनके ड्राइंग रूम की टेबल पर एक एंटीबायोटिक सीरप देखा जिस पर स्ट्रॉबेरी फ्लेवर पैलेटेबल सिरप लिखा था। अपनी जिज्ञासा को शांत करने के उद्देश्य से मैंने अमर सिंह जी से पूछा - "भाई इस एंटीबायोटिक सीरप को स्वादिष्ट क्यों बनाया गया है?"


अमर सिंह जी ने मुझे बताया कि यह पैलेटेबल अर्थात स्वादिष्ट सीरप बच्चों के लिए बनाया गया है। छोटे बच्चे कड़वी या अरुचिकर दवाई तो ठीक से ले नहीं पाएंगे। वे अपनी दवाई ठीक से ले पाएं इसके लिए बच्चों की दवाइयां स्वादिष्ट रखने का भरसक प्रयास किया जाता है । उन्हें अगर टेबलेट के रूप में दवाई देनी होती है तो उनकी टेबलेट डिसपर्सिबल बनाई जाती है ताकि वे पानी में आसानी से घुल सकें और उन्हें आसानी से दिया जा सके।


दिव्यांश ने अपनी बात रखते हुए कहा-"सभी लोग हम बच्चों का बड़ा ही ख्याल रखते हैं। घर में भोजन बनाने से पहले मेरी रुचि को ध्यान में रखते हुए मम्मी बहुत भोजन तैयार करती हैं। कॉमिक बुक्स के माध्यम से किताबों प्रति हमारी रुचि को बढ़ाया जाता है। बच्चों को ध्यान में रखते हुए बाल फिल्में बनाई जाती हैं। टी वी वाले कार्टून फिल्म और और कार्टून सीरियल बनाते हैं।"


" भाई साहब,दिव्यांश ऑनलाइन क्लास खत्म होने के तुरंत बाद कार्टून देखने बैठ जाता है। फिर इसे खाने पीने का कुछ भी होश नहीं रहता।"- अमर सिंह जी की धर्मपत्नी ने मेरी ओर मुखातिब होते हुए कहा।


मैंने कहा-"वास्तव में यह कार्टून वगैरह-वगैरह बनाने वाले लोग बाल मनोविज्ञान को पूरी तरह से समझने के बाद ही इन्हें बनाते हैं। ये बाल फिल्में और कार्टून इतने ज्यादा दिलचस्प होते हैं कि बच्चे इन की ओर बरबस आकर्षित होते हैं ।यही तो उन कार्टून निर्माताओं व्यवसायिक सफलता है। यहां हम अभिभावक लोगों का दायित्व बढ़ जाता है कि हम किस प्रकार योजनाबद्ध तरीके से अपने बच्चे को किस प्रकार  संभालते हैं। हमें उनके मनोरंजन ,शारीरिक ,मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक अर्थात उनके सर्वांगीण विकास के प्रति अपनी जागरूकता और बुद्धिमत्ता का प्रयोग करना है।"


मैंने दिव्यांश से पूछा- "दिव्यांश बेटा ,तुम्हारा फेवरिट कार्टून कैरेक्टर कौन है?"


"छोटा भीम "- दिव्यांश ने एक पल का भी विलंब किए बिना उत्तर दिया।


"लेकिन छोटा भीम ही तुम्हारा फेवरेट कार्टून करैक्टर क्यों है ? ऐसी कौन सी बात उसमें है जो तुम्हें सबसे अच्छी लगती है ? "- मैंने दिव्यांश के मन की बात जाननी चाही।


दिव्यांश ने बताया - "ताऊजी , सीधी सी बात है। लंबे समय से हम सभी से स्वदेशी अपनाने की बात कही जा रही है । हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी बड़ा ही जोर देकर आत्मनिर्भर भारत की बात कह रहे हैं तो क्यों न हम हर क्षेत्र में भारतीय उत्पादों को प्राथमिकता दें।"


"वाह भाई वाह ,बहुत ही उत्कृष्ट विचार और बुद्धिमानी की बात है । इसके अलावा और कौन सी विशेष बातें हैं जो तुम्हें छोटा भीम कार्टून को देखने के लिए प्रेरित करती हैं।"- मैंने दिव्यांश से पूर्ण सहमति व्यक्त करते हुए उसकी प्रशंसा करते उसकी राय जानने की कोशिश करते हुए कहा।


दिव्यांश ने बताया -" छोटा भीम कार्टून की कहानियां केवल मन बहलाने के लिए ही नहीं होती हैं बल्कि उसकी कहानियों में साहसिक कारनामे, सूझबूझ, और जासूसी कारनामों से भरे हुए होते हैं।इन कार्टूनों की मूवी स्क्रिप्ट को लिखने वाले लोग अपने विचारों को हम बच्चों तक पहुंचाकर का मनोरंजन ही नहीं करते बल्कि हमारा विकास भी करते हैं । ठीक वैसे ही जैसे पंचतंत्र की कहानियों के लेखक विष्णु शर्मा ने अपनी कहानियों के माध्यम से राजा के पुत्रों को शिक्षा देकर उनका विकास किया था। छोटा भीम का स्वास्थ्य भी हम लोगों को स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित करता है इसलिए यह मेरा फेवरेट कार्टून करैक्टर है।"


दिव्यांश की बात से मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई-" मैंने कहा कि अगर तुम्हें एक छोटी सी कहानी लिखने के लिए कहा जाए तो क्या तुम लिख सकते हो?"


"कोशिश करता हूं ।पापा आपके बारे में बताते हैं कि आप भी कविता और कहानियां लिखते हैं ।आपके लेखन कार्य का शौक मुझे भी आकर्षित करता है ।"-दिव्यांश ने उत्तर दिया।


"बहुत अच्छी बात है ।अब तुम अपनी कहानी सुनाओ।"- मैंने दिव्यांश का उत्साह बढ़ाते हुए कहा।


दिव्यांश ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहानी सुनाई-"कोरोनासुर नामक दुश्मन समाज में बहुत ही दहशत फैला रहा है उसने लोगों की बुद्धि पर पर्दा डाल रखा है। समाज में कोरोना भयंकर समस्या बन चुका है इससे बचने के लिए छोटा भीम अपने साथियों के साथ उन सभी उपाय पर काम करता है जो कोरोनावायरस से बचने के लिए आवश्यक हैं। कुछ लोग गांव के मुखिया के खिलाफ  लोगों में छोटा भीम की जागरूकता वाली बातों को कोरी कल्पना बताते हैं और कहते हैं यह कोरोना -वोरोना वायरस कुछ भी नहीं है। छोटा भीम अपनी पूरी टीम के साथ उनके इस झूठ का पर्दाफाश करता है । लोगों को कोरोनावायरस के प्रति जागरूक कर के गांव के सभी लोगों को कोरोना से बचने के लिए अपनाई जाने वाली सावधानियों के प्रति जागरूक करके उन्हें करोना से मुक्ति दिलाने में अपनी भूमिका अदा करता है।"


"बहुत अच्छी है तुम्हारी कहानी। हम अब खाना खाने के बाद तुम्हें इसे स्क्रिप्ट के रूप में लिखने का अभ्यास करवाएंगे ।अभी पहले खाना खाते हैं, फिर मिलते हैं।"-मैंने दिव्यांश को आश्वस्त किया और अब  वह और अधिक  प्रसन्न नजर आ रहा था।


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