Priyanka Gupta

Abstract Inspirational

4.3  

Priyanka Gupta

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दीदी आपका एहसान कभी नहीं भूल सकती !

दीदी आपका एहसान कभी नहीं भूल सकती !

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"दीदी आपका यह एहसान मैं कभी नहीं भूल सकती। आपके पैर भी धो -धो कर पी लूँ तो कम है। आपने जो हमारे लिए किया है वह चुकाया नहीं जा सकता।" धानी ने अपनी ननद सुरभि से फ़ोन पर कहा। धानी की भीगी आँखें उसकी ख़ुशी को बयां कर रही थी। 

"धानी कैसी बातें कर रही हो? अपनों पर एहसान कैसा? यह तो मेरा फ़र्ज़ था। मैंने वही किया जो सही था और करना चाहिए था।" सुरभि ने कहा। 

"नहीं दीदी आपने मम्मी जी और मुझमें से मुझे चुना।मम्मी जी आपसे नाराज़ भी होंगी।" धानी ने कहा। 

"धानी मम्मी की नाराज़गी तो जल्द ही दूर हो जायेगी। आज चाहे मम्मी को बुरा लगेगा और दुःख होगा लेकिन वक़्त के साथ उन्हें भी समझ आ जाएगा कि सुरभि ने जो भी किया बिल्कुल सही किया।" सुरभि ने कहा। 

"काश ऐसा ही हो। अपनी भाभी और माँ में से किसी एक को चुनना बड़ी मुश्किल होता है। भाभी चाहे कितनी ही सही हो। आपके लिए कितना मुश्किल रहा होगा।" धानी ने कहा। 

"धानी, चुनाव मम्मी और भाभी में नहीं;सही और ग़लत में था। परीक्षा तो थी लेकिन मैं इसमें पास हो ही गयी।" सुरभि ने कहा। 

"दीदी, पास ही नहीं हुए डिक्टेशन के साथ पास हुए हो।" धानी ने कहा। 

"धानी, यह सब छोड़ो अब तो तानी की शादी की तैयारी करो। बड़ी बहन हो, आखिर सारी जिम्मेदारी उठानी होगी।" सुरभि ने कहा। 

"ठीक है दीदी, अभी फ़ोन रखती हूँ।" धानी ने फ़ोन रख दिया था।

धानी सुरभि के छोटे भाई संयम की पत्नी थी। संयम को अपने कॉलेज की एक लड़की पसंद थी और वह उसी से शादी करना चाहता था। लेकिन सुरभि की मम्मी को वह लड़की बिलकुल पसंद नहीं थी। मम्मी ने इमोशनल ड्रामा करके, अपने प्यार का वास्ता देकर संयम को अपनी पसंद की लड़की धानी से शादी करने के लिए मना ही लिया था। संयम ने भी धानी से रिश्ता जुड़ते ही अपने पुराने रिश्तों को दिल की गहराइयों में दफ़न कर दिया था। 

धानी एक बहुत ही प्यारी सी लड़की थी। सुरभि को वह अपनी छोटी बहन सी ही लगती थी। वह एकदम मासूम और निर्मल थी। लेकिन शादी के बाद से ही सुरभि की मम्मी को धानी में कमियां ही कमियां नज़र आने लगी थी। बेटे की माँ से सास बनते ही, न जाने कोमल मन वाली हम महिलाएं इतनी कठोर क्यों बन जाती हैं। धानी की अपनी सास को खुश रखने की सभी कोशिशें विफल हो जाती थी। 

सुरभि को धानी में ऐसी कोई कमी नज़र नहीं आती थी। वह हमेशा मुस्कुराती रहती थी,;घर में सबकी पसंद का ध्यान रखती थी ;सभी से प्यार से बात करती थी; घर का काम भी काफी हद तक उसने सम्हाल रखा था; लेकिन सुरभि की मम्मी को उससे शिकायतें ही रहती थी। 

धानी की छोटी बहन तानी उससे एक साल ही छोटी थी। धानी की शादी के बाद तानी के लिए लड़का ढूँढा जाने लगा। तानी की बात सुरभि की मम्मी के दूर के रिश्ते की बहन के बेटे से चल रही थी। घर -वर सब बहुत ही बढ़िया था; लड़के वालों को लड़की भी पसंद ही आ गयी थी। लेकिन अपनी पूरी संतुष्टि के लिए लड़के की माँ ने सुरभि की मम्मी को फ़ोन करके धानी के व्यवहार आदि के बारे में पूछा। 

सुरभि की मम्मी ने कहा कि "बहन, उस घर में रिश्ता जोड़कर अब तक पछता रही हूँ। धानी जैसी बहू किसी को न मिले।"

सुरभि की मम्मी ने और भी कई बुराइयाँ की। लेकिन उसकी बहन थोड़ी समझदार भी थी ;उन्हें उनकी बातों पर पूरा यकीन नहीं हुआ। उन्होंने सुरभि को फ़ोन करके धानी के बारे में पूछा। सुरभि ने अपनी मम्मी के विपरित, धानी को एक बेस्ट भाभी और बहू बताया। 

"मासी, सास तो सास ही होती है। मम्मी की बातों पर ज्यादा ध्यान मत दीजिये। धानी की बहन तानी भी उतनी ही समझदार, मिलनसार, मधुरभाषी और घर के कामकाज में पारंगत है। आप तो आँख बंद करके उस घर में रिश्ता कर सकते हो।" सुरभि ने कहा। 

सुरभि की बातों से मासी समझ गयी थी कि, धानी की सास की बातों में ज़रा भी सच्चाई नहीं है। उन्होंने अपने बेटे का रिश्ता तानी से तय कर दिया था। 

सुरभि की मम्मी सुरभि से बहुत नाराज़ भी हुई थी। तब सुरभि ने इतना ही कहा कि "मम्मी किसी की बेटी की ज़िन्दगी क्यों खराब करना और आप अपनी हरकतों से अपना ही बुढ़ापा ख़राब करोगे। आज नहीं तो कल आपको अपनी गलती का एहसास होगा।"

सुरभि की छोटी सी समझदारी ने सुरभि और धानी का रिश्ता मजबूत किया और साथ ही तानी को एक बेहतर जीवनसाथी मिलवाया और साथ ही भविष्य में धानी और उसकी सास के संबंध बेहतर होने के द्वार भी खुले रखे। 


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