Priyanka Gupta

Abstract Drama Inspirational

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Priyanka Gupta

Abstract Drama Inspirational

फैसला

फैसला

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"समर्थ ,विदेश में बसना जरूरी है क्या ?",पायल ने समर्थ से पूछा । 

जब से पायल ने समर्थ से विदेश में नौकरी मिलने के बारे में सुना है, वह बेचैन थी । जहाँ समर्थ विदेश जाने और वहीं बस जाने के ख़्वाब बुन रहा था, वहीं पायल कैसे भी करके उसे यहीं देश में रह जाने के लिए तैयार करने का रास्ता ढूँढ रही थी । 

कहाँ पायल अपना शहर तक नहीं छोड़ना चाहती थी और कहाँ आज उससे देश छोड़ने की तैयारी करने के लिए कहा जा रहा था । अभी तक समर्थ ने अपने मम्मी -पापा को भी अपने भविष्य के प्लान्स के बारे में कुछ नहीं बताया था । अभी तो राजीव जी और अंजू जी को यही बताया गया था कि कंपनी समर्थ को एक प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए लंदन भेज रही है । पैसा भी अच्छा मिलेगा । पायल भी साथ जायेगी, दोनों का यूरोप टूर हो जाएगा । वहाँ सेटल होते ही एक बार राजीव जी और अंजू जी को भी बुला लेंगे ,उनका भी घूमना -फिरना हो जाएगा । अभी तक उसने ,उन्हें अपने हमेशा -हमेशा के लिए वहीं बस जाने के बार में कुछ नहीं बताया था । 

पायल तो शुरू से ही विदेश में बस जाने के विरोध में थी । पायल स्वयं अपने मम्मी-पापा की इकलौती संतान थी। उसके विदेश जाने के बाद मम्मी-पापा की देखभाल कौन करेगा, यह उसके समक्ष यक्ष प्रश्न था ? समर्थ से पहले पायल ने 2 -3 रिश्ते तो केवल इसलिए ही ठुकरा दिए थे कि विवाह के बाद उसे दूसरे शहर में जाकर बसना पड़ता । दूसरे शहर से उसके लिए दोनों घरों को सम्हालना मुश्किल होता । आज तो उसके मम्मी-पापा एकदम स्वस्थ हैं, लेकिन कल का क्या पता ?उम्र बढ़ने के साथ -साथ छोटी -मोटी बीमारियाँ तो आती ही हैं । उससे भी ज्यादा इंसान ,भावनात्मक रूप से बहुत कमजोर हो जाता है । उसे अपनों के साथ की महती आवश्यकता होती है । 

दूसरा समर्थ को तो विदेश में नौकरी मिल गयी थी, लेकिन समर्थ के साथ जाने के लिए पायल को अपना अच्छा-खासा चल रहा प्लांट बुटीक किसी को बेचकर जाना पड़ रहा था। बुटीक के हर एक पौधे में पायल की जान बसती थी। समर्थ से शादी की एक और वजह यह भी थी कि समर्थ और उसका परिवार पायल के ही शहर में था। शादी के बाद भी पायल अपना बुटीक आसानी से चला सकती थी।

"बिल्कुल पायल । हम कितनी बार इस बारे में बात कर चुके हैं । ",समर्थ ने अपने क्रोध पर नियंत्रण करते हुए कहा । 

"समर्थ एक बार और सोच लो । "

"पायल ,एक बार नहीं ,मैं हज़ार बार सोच चुका हूँ । वहाँ अवसरों का अम्बार है, टेलेंट की कद्र है । लोग ऐसे मौकों के लिए तरस जाते हैं । हमें किस्मत ने मौका दिया है, उसे गँवाना नहीं चाहिए । अवसर बार -बार दरवाज़े पर दस्तक नहीं देता है और हर बार हम उसकी दस्तक सुन लें, यह भी जरूरी नहीं । ",अपने स्वरों को चाशनी में भिगोते हुए ,समर्थ ने दार्शनिक अंदाज़ में समझाने की कोशिश की । 

पायल तो शुरू से ही समर्थ का विरोध कर रही थी । फिर उसके सास-ससुर भी तो जैसे -जैसे उनके जाने के दिन नज़दीक आ रहे थे, अब इस बात से उतने खुश दिखाई नहीं दे रहे थे।

"केवल अपने पौधों की वजह से तुम मेरे विदेश जाने के प्रस्ताव का विरोध का रही हो। कैसी पत्नी हो, जो अपने पति की तरक्की में रोड़े अटका रही हो।" समर्थ ने जब यह कहा तो उसके बाद से पायल ने कुछ भी कहना छोड़ दिया था। 

"समर्थ ,मम्मीजी की आँखें देखी हैं, जब-तब बरस रही हैं। तुमने पहले बोला था कि 3-4 साल बाद भारत लौट आयेंगे। उसके लिए इन लोगों ने अपने आपको जैसे-तैसे मानसिक और भावनात्मक रूप से तैयार किया है। मैंने तो अभी तक अपने मम्मी-पापा को भी नहीं बताया है।" पायल ने कहा। 

"तुम चाहती क्या हो, पायल "

"हमें अपने ही देश में रहना चाहिए। अपने लोगों के साथ रहना चाहिए। हमारे बिना तुम्हारे मम्मी-पापा ,मेरे मम्मी -पापा सब एकदम अकेले हो जाएँगे। हम भी तो वहाँ एकदम अकेले होंगे।"

"मतलब । "

"मतलब, कल को हमारे बच्चे होंगे ,उन्हें हम विदेश में क्या सिखायेंगे ?कौन से रिश्ते उन्हें दे पायेंगे । कुछ दिन के लिए विदेश जाना ठीक है, लेकिन हमेशा -हमेशा के लिए वहाँ बस जाना मुझे ठीक नहीं लगता । हम वहाँ पर हमेशा बाहरी ही रहेंगे । आज भी नस्लीय हमलों की बातें हम अखबारों में पढ़ते रहते हैं । "

"तुम शायद ठीक कह रही हो, पायल ।मैं स्वयं भी द्वंद्व में था, इसीलिए मम्मी-पापा को बता नहीं पा रहा था। हम यहीं रहेंगे।" फैसला हो गया था। 


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