Priyanka Gupta

Abstract Comedy Others

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Priyanka Gupta

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साइलेंट

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"कोई अनाउंसमेंट नहीं हो रही ?" एयरपोर्ट के टर्मिनल पर बैठी मीनाक्षी के कानों में एक आवाज़ आयी । 

"नहीं मैडम, यह साइलेंट एयरपोर्ट है। आप सामने चल रही टी वी स्क्रीन पर सारे अपडेट देख सकती हैं । "किसी स्टाफ ने युवती को बताया । 

मीनाक्षी को अपने काम के सिलिसिले में अक्सर यात्रा करनी पड़ती है । वह फ्लाइट, बस, ट्रैन आदि सभी से यात्रा करने की आदी है । यात्रा करते हुए उसे नए -नए अनुभव होते रहते हैं । कभी -कभी कुछ अनुभव जीवन भर की सीख भी दे जाते हैं । इसी तरह के एक साइलेंट एयरपोर्ट पर उसने अपनी फ्लाइट मिस कर दी थी और वह भी बोर्डिंग के दो घंटे पहले एयरपोर्ट 

पर पहुँचने के बावजूद । 

वैसे मीनाक्षी को ट्रैन, बस और फ्लाइट सभी दौड़ते-भागते पकड़ने की आदत है ।वह कभी भी वक़्त से पहले स्टेशन पर नहीं पहुँचती है । बस और ट्रैन सामने खड़े हो और वह भागकर चढ़ जाए, अकसर उसी अनुसार वह घर से निकलती है । उसे एक मिनट भी इंतज़ार करना पसंद नहीं है । उसके शब्दकोष में इंतज़ार शब्द शायद है नहीं । माँ के पेट से भी एक महीने पहले ही बाहर आ गयी थी । 

लेकिन उस दिन न जाने क्या सोचकर वह फ्लाइट के बोर्डिंग टाइम से तीन घंटे पहले, घर से एयरपोर्ट के लिए तीन घंटे पहले निकल गयी थी । किस्मत भी अच्छी थी कि बिना ट्रैफिक में फँसे आधा घंटे में एयरपोर्ट पहुँच गयी थी । एयरपोर्ट पहुँचने के बाद बोर्डिंग पास कलेक्ट करने और सिक्योरिटी चेक इन करने में उसे और बमुश्किल 30 मिनट्स लगे । 

बोर्डिंग टाइम से लगभग दो घंटे पहले वह बोर्डिंग गेट पर पहुँच गयी थी । बैठने से पहले उसने कॉफ़ी शॉप से अपनी फेवरेट ब्लैक कॉफ़ी ली और विजिटिंग चेयर्स पर आकर बैठ गयी । अभी तक एयरलाइन का स्टॉफ भी बोर्डिंग गेट पर नहीं आया था । कॉफ़ी की चुस्कियों का और अच्छे से लुत्फ़ उठाने के लिए उसने, बैग से अपने पसन्दीदा लेखक का उपन्यास भी निकाल लिया था । 

कॉफ़ी पीते और उपन्यास पढ़ते हुए, उसकी आँखें बीच -बीच में गेट की तरफ भी देख लेती थीं । उसकी आँखें उसकी बेसब्री समझती थी, आज पहली बार उसे 2 घंटे फ्लाइट का इंतज़ार करना पड़ रहा था । इंतज़ार शब्द से दूर भागने वाली मीनाक्षी, इसे रीडिंग रूम समझकर स्वयं को दिलासा दे रही थी । कॉफ़ी ख़त्म हो चुकी थी, उपन्यास भी लगभग आधा पढ़ा जा चुका था, लेकिन अभी तक गेट पर एयरलाइन का स्टाफ नहीं आया था । मीनाक्षी ने अपनी घड़ी पर नज़र डाली, बोर्डिंग टाइम में अभी भी 15 मिनट थे । 15 मिनट बीत गए, आधा घंटा भी बीत गया, एक घंटा हो गया था, लेकिन स्टाफ नहीं आया । अब मीनाक्षी का धैर्य पूरी तरह से चूक गया था । 

मीनाक्षी ने अपने उपन्यास पर बुक मार्क लगाया और उपन्यास बंद करके वापस अपने हैंडबैग में रख लिया । वह अपनी जगह से उठी और इधर -उधर देखने लगी । अब उसकी आँखें एयरलाइन के ग्राउंड ड्यूटी पर तैनात स्टाफ को ढूँढ रही थी । कुछ ही समय बाद वह अपने मन में उमड़ते सवालों के साथ स्टाफ के सामने थी । 

"मेरी चेन्नई की फ्लाइट है और बोर्डिंग अभी तक शुरू नहीं हुई । "

"मैडम, चेन्नई की फ्लाइट तो जा चुकी है । "

"क्या? कब गयी ? मैं तो पिछले दो घंटे से बोर्डिंग गेट के सामने बैठी हुई थी । ",अपने गुस्से पर नियंत्रण रखते हुए मीनाक्षी ने कहा । 

"मैडम, फ्लाइट का बोर्डिंग गेट बदल दिया गया था । "

"आपने अनाउंसमेंट क्यों नहीं किया ?"

"मैडम,यह एयरपोर्ट साइलेंट एयरपोर्ट है । यहाँ पर अनाउंसमेंट नहीं होती है । आपको जगह -जगह पर लगी हुई स्क्रीन्स क देखना होता है । वैसे भी कभी -कभार ही बोर्डिंग गेट चेंज होते हैं । "

"अब क्या ?"

"मैडम अगली फ्लाइट 2 घंटे बाद की है । आप अपना टिकट बुक करवा सकती हैं । "

मीनाक्षी के पास कोई और विकल्प नहीं था । उसने दूसरा टिकट खरीदा और उसके बाद उसकी आँखें स्क्रीन से एक सेकंड के लिए भी नहीं हटी और उसने चेन्नई की फ्लाइट बोर्ड की । 

एयरलाइन स्टाफ की बात सुनकर मीनाक्षी के चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी थी और उसकी आँखें दोबारा स्क्रीन पर लग गयी थी । 



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