Nisha Singh

Romance

3.8  

Nisha Singh

Romance

देखा हज़ारों दफ़ा

देखा हज़ारों दफ़ा

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डिअर रोहन

वो गाना याद है तुम्हें ‘देखा हज़ारों दफ़ा आपको...’? याद ही होगा, पहली बार इसी गाने पे डांस किया था ना हमने। बहुत खूबसूरत लम्हें थे जो मैंने तुम्हारे साथ बिताये। सारी यादें सहेज के रखीं हैं जब भी मन करता है यादों की अलमारी से निकाल लेती हूँ। तुम सोच रहे होगे कि मैं ये क्या बातें कर रही हूँ? कैसी बातें कर रही हूँ?

अभी थोड़ी देर पहले ही हमारी बात हुई। तुमने बहुत कुछ कहा, कुछ बातों का मुझसे जवाब चाहा पर मेरे पास सिवाय खामोशी के कुछ नहीं था। सच कहूँ तो कहने के लिये इतना कुछ था कि समझ ही नहीं पा रही थी कि क्या कहूँ ? कहाँ से शुरू करूँ? अब दिल की बात है तो चलो दिल से ही शुरू कर देती हूँ।

जानते हो रोहन इस दुनियाँ में दो तरह का प्यार होता है। पहला जहाँ प्यार के बाद ‘लेकिन’ आता है और दूसरा वो जहाँ प्यार से पहले। नहीं समझे ना? पता था मुझे, इतनी आसानी से कोई बात समझ कहाँ आती है तुम्हें...

देखो, पहला वो जहाँ कोई कहे कि “मैं तुमसे प्यार करता हूँ लेकिन दुनियाँ है, समाज है, परेशानियाँ हैं।” और दूसरा वो जहाँ कोई कहे कि “दुनियाँ है, समाज है, परेशानियाँ हैं लेकिन मैं तुमसे प्यार करता हूँ।” उम्मीद करती हूँ तुम फर्क समझ गये हो, और ये भी कि मेरा प्यार दूसरे टाइप का है।

दुनियाँ है, समाज है, परेशानियाँ हैं लेकिन मैं तुमसे प्यार करती हूँ रोहन बहुत प्यार करती हूँ।

तुम्हें पता है कभी कभी तुम बिल्कुल बच्चों जैसी बातें करने लगते हो। बिल्कुल बच्चों की तरह नाराज़ हो जाते हो। बताओ तो ज़रा इसमें क्या बुरा कह दिया था मैंने कि तुम्हारी शादी के बाद मैं तुमसे दूरी बना लूँगी। अब दूरी ना बनाऊँ तो क्या करूँ? तुम ज़िद करते हो कि तुम्हारी शादी में मैं हर वक़्त तुम्हारे साथ रहूँ। घड़ी भर को तुम ये नहीं सोचते कि मुझ पर क्या बीतेगी उस वक़्त जब मैं तुम्हें अपनी आँखों के सामने किसी और का होते हुए देखूंगी। बहुत स्वार्थी हो तुम हमेशा अपने ही बारे में सोचते हो। मुझे गलत मत समझना। ऐसा नहीं है कि मैं…

मैं तो खुद यही चाहती हूँ कि जैसी जीवन साथी तुम चाहते हो तुम्हें उससे कही बेहतर मिले। तुम्हें मुझसे भी ज़्यादा प्यार करे। तुम्हारा ख़याल रखे मैं रखती हूँ उससे भी ज़्यादा। सिर्फ़ तुम्हारी बात ही ना समझे तुम्हारी ख़ामोशी भी समझ ले जैसे मैं समझ लेती हूँ। मैं तुम्हारी जीवन साथी बनने लायक तो हूँ नहीं पर तुम्हारे लिये दुआ करने लायक तो हूँ। मेरी दिल से यही दुआ है रोहन कि तुम्हें इस दुनियाँ की सारी ख़ुशियाँ मिलें। तुम्हारी ज़िंदगी में इतने रंग हों कि तुम इस बेरंग से इन्सान को भूल ही जाओ। तुम्हारा अपना परिवार हो अच्छी सी ज़िंदगी हो तुम हमेशा खुश रहो, बस और क्या चाहिये मुझे।

तुम कहते हो कि अगर तुम्हारी ख़ुशियों मे शरीक ना हो सकूँ तो तुम्हारे ग़म बांटने का भी मुझे कोई हक़ नहीं है। ऐसे मत कहा करो मुझे बुरा लगता है। मैंने कहा ना तुमसे कि मैं हर पल तुम्हारे साथ हूँ। वक़्त चाहे कैसा भी हो मैं हमेशा तुम्हारे साथ खड़ी हूँ। बस मैं एक यही काम नहीं कर सकती। अपनी आँखों के सामने तुम्हें किसी और का होते हुए नहीं देख सकती।

अब इस बात पे भी नाराज़ हो के मत बैठ जाना। कुछ बातें समझने की भी कोशिश कर लिया करो। तुम्हें पता भी है कि तुम नाराज़ हो जाते हो तो एक एक पल काटना कितना मुश्किल हो जाता है, तो नाराज़ मत होना। ज़िंदगी में हमेशा खुश रहना। और मेरे लिये तो तुम्हारी यादें ही बहुत है। ‘देखा हज़ारों दफ़ा आपको फिर बेकरारी कैसी है...’ बहुत है मेरे जीने के लिये।

जब तक सांसे हैं तब तक        

सिर्फ़ तुम्हारी रिद्दिमा

  


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