Nisha Singh

Drama

4.0  

Nisha Singh

Drama

पंछी

पंछी

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216



चेप्टर -9 भाग-4


‘उन्होंने कहा कि बजाय इसके कि मैं क्या कर रही हूँ और इस फील्ड में मैं क्या कर सकती हूँ ये सोचने के मुझे ये समझना चाहिए कि मेरे अंदर क्या टैलेंट है और क्या काम करके मुझे खुशी मिलेगी क्योंकि जो काम में अपनी खुशी और टैलेंट के दम पर करूंगी उसमें हंड्रेड परसेंट सक्सेफुल हो जाऊंगी। उन्होंने मुझे 1 दिन का टाइम दिया और कहा कि अच्छे से सोच ले फिर बात करना मुझसे…’

पढ़े-लिखे और ब्रॉड माइंडेड लोगों की बात ही अलग होती है। दूसरों की बात सुन ना समझना उनके व्यू को भी तवज्जो देना उनकी आदत में शुमार होता है। मुझे पिया की बातें तो अच्छी लगती ही थी पर उसके भइया तो उससे भी ज्यादा अच्छी बातें करते हैं। कितना अच्छा गाइड किया कितनी अच्छी गाइडेंस सबको नहीं मिलती है।

‘ये बात कहकर भइया ने मुझे और कनफ्यूजन में डाल दिया।’ पिया ने लंबी सांस छोड़ते हुए कहा। ‘पर जैसा उन्होंने कहा था मैंने वैसा ही किया सारी रात सोचा तब समझ में एक बात आई कि फिजिक्स में मैं पढ़ाई कर रही हूँ उसमें मैं कुछ नहीं कर सकती क्योंकि मेरा उसमें इंटरेस्ट नहीं है।‘

उसकी बातें जैसे-जैसे आगे बढ़ती जा रही थी वैसे-वैसे हम दोनों के चेहरे पर सवालिया निशान बनते जा रहे थे। पिया समझदार हैं, समझ गई थी कि अब उसकी बातें हमें कुछ डरा सा रही है, हम समझ ही नहीं पा रहे थे कि वो कहना क्या चाहती है जो पढ़ रही है वो पढ़ना नहीं है जो कर रही है वो करना नहीं है तो आखिर करना क्या है?

‘क्या हुआ समझ नहीं आ रहा क्या?’

‘समझ में तो आ रहा है पर कंफ्यूज़ हूँ…।’ मैंने सर खुजलाते हुए कहा।

‘देखो… कंफ्यूज़ होने की कोई जरूरत नहीं है। सिंपल वर्डस में समझाती हूँ। हमें वही करना है जिसमें हमारा इंटरेस्ट है। क्योंकि भइया ने मुझे यही समझाया कि हमें वही काम करना चाहिए जिस काम में हमारा मन लगे और हमें खुशी मिले। क्योंकि जब हम अपने मन का काम करते हैं तो उसे हम ज्यादा अच्छे से कर सकते हैं…’ कहते हुए पिया ने हम दोनों की तरफ़ देखा। शायद सोच रही हो कि पता नहीं इन दोनों को समझ आया या नहीं…

‘मैं समझ गई’ जो सोचा नहीं था वो हुआ… अंशिका को बात समझ आ गई।

‘मतलब ये है कि हमें अपने टैलेंट को निखारना है और अपने दिल की बात सुननी है..’ 


अंशिका ने जब ये बात कही तो आलम कुछ यूं समझ लीजिए क्रक मेरा मुँह तो खुले का खुला ही रह गया। ऐसी संजीदा बातें इसकी समझ में आती है… भई वाह… कमाल ही हो गया।

‘इसका मतलब ये है कि मुझे जो अच्छा लगता है मुझे वो काम करना चाहिए…’ अंशिका ने पिया की तरफ़ देखते हुए कहा।

‘बिल्कुल सही…’ पिया ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

‘पर यार… मुझे तो खाने पीने का शौक है और यही मुझे सबसे अच्छा लगता है।’

भुक्कड़ कहीं की… ये नहीं सुधर सकती। मैंने सोचा था कि कुछ अच्छी बात बोलेगी पर नहीं। ऐसा तो हो ही नहीं सकता है।

‘खाने के अलावा भी कुछ सोचा कर यार… इसके अलावा क्या पसंद है तुझे… वो बता…’ पिया ने बात को कुरेदते हुए पूछा कि शायद कुछ काम की बात निकल आए। मैं तो अंशिका की तरफ़ से पूरी तरह ना उम्मीद थी। इसे खाने के अलावा कुछ नहीं आता होगा।

‘मुझे खाना बनाना भी बहुत पसंद है, रोज़ वाला नहीं… वो तो मम्मी ही बनाती है ।मुझे अलग-अलग तरह की डिशेस ट्राइ करने में मज़ा आता है।’

अंशिका को खाना बनाना पसंद है मुझे तो पता ही नहीं था।

‘तो पक्का रहा… तू डिग्री करने के साथ-साथ अलग अलग तरह के कोर्सेज़ भी करेगी जिससे तू हर तरह की डिशेस बना सके।’ पिया ने लगभग फैसला सुनाते हुए कहा।

‘और फिर उसके बाद ये क्या करेगी?’ इस बार सवाल मेरी तरफ़ से था।

‘ये रेस्तरॉ खोलेगी… अंशिका द बिज़नेस वूमेन।’

ये आलसी और बिज़नेस वुमन, मुझे तो मज़ाक लग रहा था। पर ये क्या अंशिका की आंखें तो मोती की तरह चमक रही थी। शायद इस बात में अंशिका की आंखों में कुछ ख्वाब संजो दिए थे और ये चमक शायद उन्हीं ख्वाबों की थी।

‘हाँ… ये ठीक है, मैं खाना बनाना ही सीखूंगी।’ उसके हर लफ्ज़ उसकी ख़ुशी ज़ाहिर हो रही थी।

‘चल इसके लिए तो फाइनल हो गया की इसे क्या करना है पर अभी तक तूने नहीं बताया कि तू क्या करेगी?’ मैंने सवाल वापस पिया पर रख दिया।


‘मैंने भी डिसाइड कर लिया है, मैं डिज़ाइनिंग करूंगी… फैशन डिज़ाइनिंग । मुझे यही काम पसंद आया काफ़ी सोचने के बाद…। भइया भी खुश थे मेरा फैसला सुनकर… अब तो बस डिग्री करने के बाद डिज़ाइनिंग ही करना है…।

पिया ने अपना फैसला सुना दिया। अंशिका ने भी डिसाइड कर लिया अब बची बस मैं…

‘अब बता क्रक तू क्या करेगी?’ पिया ने अब सवाल मुझपे दाग ।

‘ऐसे कैसे बता दूं यार… कुछ टाइम तो दे…’ मैंने बचने की कोशिश की। पर कोशिश नाकाम रही।

‘तेरे पास 2 दिन का वक़्त है अच्छे से सोच ले… जब कॉलेज में मिलेंगे तब मुझे बता देना…’ अंशिका ने मुझे धमकी सी दी। और सच कहूँ, हमारी दिल्ली की लैंग्वेज में टेंशन में डाल दिया यार…’


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