Nisha Singh

Drama

4.3  

Nisha Singh

Drama

पंछी

पंछी

3 mins
296


चेप्टर -10 भाग-1


‘टुडेस लेक्चर इस ओवर एवरीवन’

वही भार्गव सर की डेंजरस सी वॉइस वही फिजिक्स का बोरिंग लेक्चर पर इस बार सीन थोड़ा सा अलग है। अब मैं, रोहित और अंशिका क्लास में साथ बैठते है। पहले तब भी मैं लेक्चर पर थोड़ा बहुत ध्यान दे लेती थी पर पिछले कुछ महीनों से कुछ नहीं पढ़ती हूँ। रोहित साथ नहीं था तब रोहित के ख्याल परेशान करते थे और अब रोहित खुद परेशान करता है। लेक्चर का एक भी वर्ड नहीं सुन पाती हूँ।

‘ओके स्टूडेंट्स… मीट टोमोरो… पर याद रखिये अब आपके असाइनमेंट जमा होने है। लास्ट डेट 10 है सिर्फ 4 दिन है आपके पास….’ धमकी सी देकर भार्गव सर चले गए।

‘चलो मुक्ति मिली…’ अंशिका ने कहा।

‘खाक मुक्ति मिली, मेरा असाइनमेंट अभी तक अधूरा है।’ मैंने झुंझलाते हुए कहा।

‘अरे यार… इस पढ़ाई के अलावा भी कुछ सोच लिया करो… हमेशा वही मगर्स वाली बातें रहती है तुम्हारे पास।’ रोहित ने कहा तो मेरी झुंझलाहट और बढ़ गयी।

‘ठीक है… मैं जैसी हूँ वैसी हूँ, और बातों के बारे में तो तुम कुछ न ही कहो वही अच्छा है।’

‘क्यों... मैंने क्या किया है?’

‘क्या किया है… यार, हद होती है किसी भी बात की तुम्हें 24 घंटे ही मोहब्बत सूझती रहती है, कभी-कभी इरीटेट हो जाती हूँ मैं।’ कहते हुए मैंने अपना बैग पैक कर लिया।

‘ये क्या बात हुई भला… तुम्हें हर बात पे झगड़ा करने की आदत पड़ी हुई है, इतना वक़्त हो गया हमें साथ में पर शायद ही कोई दिन ऐसा हुआ हो कि तुमने मुझसे झगड़ा नहीं किया हो।’

हम तीनों क्लास से बाहर निकल आये थे। भले ही मैं आज रोजहत के कॉन्टेक्ट में ज्यादा थी पर समीर से हमारे मिलने का सिलसिला आज भी कायम था। एक दो बार मुझे लगा भी कि समीर सोचता होगा कि मेरी लाइफ में रोहित के आ जाने से उसकी वैल्यू कम हो गयी होगी पर मैंने उसे भरोसा दिला ही दिया कि दोस्तों की वैल्यू कभी कम नहीं होती।


‘अब कहाँ जा रहे हो तुम लोग? समीर से मिलने…?’ रोहित ने कहा पर मैं काफ़ी चिढ़ी हुई थी हामी भरते हुए मैंने अंशिका का हाथ पकड़ा और आगे बढ़ गयी।

‘हाय समीर…’ कहते हुए हम दोनों समीर के सामने बैठ गए।

‘हाय…’

‘यार आफ़रीन तुम लोगों से मिलने के लिए बोल रही थी।’

‘क्यों… क्या हुआ? एनीपथंग सीरियस?’ मेरी आवाज़ में परेशानी थी, आफ़रीन का नाम सुन कर मेरी चिढ़ दूर हो गयी थी। होनी भी चाहिए, समीर मेरा बहुत अच्छा दोस्त है और अब तो आफ़रीन भी अच्छी फ्रेंड बन गयी है। अच्छा चल रहा है दोनों का रिलेशन , फैमिली वालों ने तवज़्ज़ो नहीं दी तो क्या हुआ प्यार कम थोड़े ही होता है पहले समीर आफ़रीन के घर आता जाता रहता था। अब नहीं जाता, उसकी फैमिली को प्रॉब्लम है पर क्या फर्क पड़ता है…

‘अरे नहीं… हुआ कुछ नहीं है।’

बेपरवाह होकर समीर ने कहा वो तो बस यूँ ही मिलना चाह रही थी, अभी तो क्लास है उसकी थोड़ी देर वेट करना पड़ेगा… कोई बात नहीं… कहते हुए मैं कुरसी पर आराम से फ़ैल कर बैठ गयी।

‘कोई बात कैसे नहीं… मुझे मेरी कुकरी क्लास के लिए जाना है भवें सिकोड़ते हुए अंशिका ने कहा।

अंशिका और पिया दोनों को ही उनका रास्ता मिल चुका था और दोनों ने ही अपना सिर तय करना भी शुरू कर दिया था। बस एक मैं ही थी जिसे न मंजिल का पता न सिर का। अंशिका ने कॉलेज के बाद कुकरी क्लासेज ज्वाइन कर ली थी। पिछले एक साल में नार्थ इंडियन और साउथ इंडियन दोनों तरह के खाने बनाने सीख चुकी थी और अब बेकरी का कोर्स कर रही है। पहले तो बस खाती अच्छा थी और अब बनाती भी बहुत अच्छा है। पिया ने भी अपनी पढ़ाई के साथ-साथ थोड़ा-थोड़ा डिज़ाइनिग का काम शुरू कर दिया है। पिया के फादर ने उसे पढ़ाई के साथ डिप्लोमा की परमिशन नहीं दी तो उसने यूट्यूब से सीखना शुरू कर दिया है। मेरे और अंशिका के कुछ टॉप और कुर्तियाँ उसने डिज़ाइन किये है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama