Nisha Singh

Drama

4.1  

Nisha Singh

Drama

पंछी

पंछी

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513


चेप्टर -11 भाग-1

‘तो क्लास…आज आपके असाइनमेंट जमा करने का लास्ट डे है, इसके बाद कोई असाइनमेंट जमा नहीं होंगे।’ कहते हुए भार्गव सर ने अपना चश्मा उतार कर टेबल पर रख दिया।

‘चलिए अपने-अपने असाइनमेंट एक-एक कर के टेबल पर रखिये।’

‘तेरा असाइनमेंट कम्पलीट हो गया ?’ अंशिका ने पूछा।

आज मैं और अंशिका साथ बैठे थे, रोहित नहीं बैठा हमारे साथ, मुझसे नाराज़ था न इसलिए, पर क्या फर्क पड़ता है। बैठने दो अलग अपना काम खुद करना चाहिए, आप दूसरों की हेल्प ले सकते है पर किसी पर डिपेंड हो जाना बुरी बात है। भले ही वो आपकी गर्लफ्रेंड ही क्यों न हो। वैसे मैं अभी पूरी तरह से उसे अपना बॉयफ्रेंड मानती नहीं हूँ क्यों की जितना उसे समझने की कोशिश करती हूँ वो उतना ही उलझाता और जाता है मुझे। और उसे तो मुझे समझने में कोई इंटरेस्ट है ही नहीं। लगभग एक साल होने वाली है हम दोनों साथ में पर मैंने हमारे रिश्ते को दोस्ती तक ही सीमित रखा है। ‘प्यार’ का नाम भी तो तब दूं जब भरोसा कर सकूँ और अभी तक तो वो ही भरोसा हमारे बीच नहीं पनपा जो पनपना चाहिए था।

'हाँ यार… 3 दिन में कैसे कम्पलीट किया है ,बस पूछ मत... वो तो मनीष ने हेल्प कर दी वरना शायद आज भी सबमिट नही हो पता...’

'अवनी एंड अंशिका… डोंट टॉक, अपना असाइनमेंट सबमिट कीजिये।'

भार्गव सर ने हमे बातें करते हुए देख लिया था। टोक दिया… और क्या… हम दोनों भी उठ कर चल दिए असाइनमेंट सबमिट करने। पहले अंशिका ने सबमिट किया।

'अंशिका…योर हैंडराइटिंग इस वैरी गुड बट योर मैटर इस पुअर तुम आंसर को प्रॉपर वे में नहीं लिख पाती हो। इम्प्रूव योरसेल्फ़...' कहते हुए सर ने अंशिका का असाइनमेंट अपने पास टेबल पर रख लिया। बड़ी बुरी आदत है ये, सबके सामने हिदायते देने लगते हैं। अरे बाद में बोल दिया करो, हद है ...


'कहाँ खो गई हो तुम अवनी… गिव मी योर असाइनमेंट'

'जी सर' मैंने अपना असाइनमेंट सर के हाथ में थमा दिया।

'पुअर हैंड राइटिंग अवनी…' उन्होंने भोंहे चढ़ाते हुए कहा। अब जल्दी-जल्दी में तो ऐसी ही हैंडराइटिंग आती है भई।

‘मे आई कम इन सर?’

दरवाजे पर एक लड़का खड़ा था, जिसकी आवाज़ ने मुझे डिस्टर्ब कर दिया। अजनबी था… पर हमारी क्लास में क्यों आना चाहता था… कौन हो सकता था… सारे ख्याल एक के बाद एक मेरे दिमाग में आते जा रहे थे।

‘यस, कम इन’

वह आकर साइड में खड़ा हो गया।

'ओके, अवनी गो टू योर सीट… '

सर ने जैसे ही कहा मैं तुरंत अपनी सीट पर जाकर बैठ गई ।

'तो आप ही हैं न्यू एडमिशन… '

सर ने उस लड़के से कहा। सभी की निगाहें उस पर जमी हुयी थी। रंग गेहुंआ सा था, कद भी ठीक था मतलब मुझसे ज़्यादा , गर्दन लम्बी गोल गले की लाल टी-शर्ट में मोर जैसा लुक दे रही थी चेन वाली वाच हाथ में ठीक ठाक लग रही थी। दाढ़ी थी…ऐसी लग रही थी जैसे मुसलमान है। आँखें गहरी काली, चेहरे से लग रहा था कही खोया सा हुआ है।

'ओके स्टूडेंट्स… ये आपके न्यू क्लासमेट, अपना इंट्रोडक्शन सबको दीजिये।' कहते हुए सर उसकी तरफ़ मुड़े,वो थोड़ा सा आगे आकर बोलने लगा।

'हेलो फ्रेंड्स, माय नेम इस नील वशिष्ठ।’ इतना कहते ही वो वेव करते हुए आगे बढ़ा। मैं सोच में पड़ गई कि ये तो नया बन्दा है वेव किसे कर 

रहा है पर समझ में तब आया जब वो जाकर रोहित के बगल में बैठ गया।


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