डियर डायरी 18/04/2020
डियर डायरी 18/04/2020
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
कोरोना का विस्तार न हो, इसके लिए हर तरह की कोशिशें की जा रही हैं। लेकिन कभी-कभी कुछ ऐसे नियम ऐसे फैसले अचानक आ जाते हैं जिसके कारण अफरातफरी मच जाती है। लोग परेशान हो जाते हैं और तब लॉक डाउन टूट जाता है। यहाँ जो लिखा है मैंने वो सिर्फ मेरा अपना पर्सनल विचार है। ज़रूरी नहीं कि आप इससे सहमत हों। पहला गलत फैसला~बसों को बंद करना: सरकार ने सारी बसों को बंद कर दिया। पुलिस की गाड़ी दौड़ रही है। एंबुलेंस दौड़ रही है । दूध गैस आदि लदे वाहन दौड़ रहे हैं। लेकिन लॉकडाउन के कारण बेरोजगार मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए साधन बसों को बंद कर दिया गया..! जब उद्योग फैक्ट्री सब बंद हो गए औऱ मजदूरों को काम मिलना बंद हो गया, और वो बेरोजगार हो गए तो क्या उन्हें अपने घर भेजने की व्यवस्था सरकार को नहीं करनी चाहिए थी..? अगर इन बसों को बन्द किया जाता , हर बस में पंद्रह बीस सवारियों को बैठा कर उन्हें उनके घर भेज दिया गया होता, तो कभी दिल्ली की सड़कों, कभी बांदा के स्टेशन पर तो कभी लखनऊ की सड़कों पर और पूरे हिंदुस्तान में जगह-जगह लॉकडाउन का उल्लंघन कर हज़ारों मजदूरों का हुजूम इकट्ठा न होता। और लॉकडाउन भी न टूटता। दूसरा गलत फैसला~प्रशासन की तरफ से अक्सर ऐसे फरमान आ जाते हैं, कि घर से किसी को नहीं निकलने दिया जाएगा। इस तरह का फरमान आते ही सैकड़ों हजारों लोग घर के बाहर निकल आते हैं अपनी जरूरत का सामान भरने के लिए, कि क्या पता कब क्या हो जाए..! इसलिए अगर घर में राशन पानी नहीं होगा तो क्या करेंगे..! अगर सब्जी नहीं मिलेगी खाने को, तो क्या करेंगे..? दुकानें बंद हुई और तेल,घी आटा नहीं मिलेगा, तो क्या करेंगे.? जब कभी भी इस तरह का फरमान प्रशासन द्वारा जारी हुआ सड़कों पर हजारों की संख्या में लोग इकट्ठे गए। सामानों की खूब ब्लैक बाजारी भी हुई और भयंकर रूप से लॉकडाउन भी टूटा..! तीसरा गलत फैसला~ बाइक पर एक सवारी:आपने सारे साधन बंद कर दिए हैं! किसी को अपनी मां बहन के साथ अस्पताल जाना है या किसी से इमरजेंसी मिलने जाना है, या ऐसे ही और भी बहुत से कारण हो सकते हैं तो क्या वो अपनी बाइक पर अपनी मां बहन भाई या दोस्त को बैठाकर नहीं ले जाएगा.? इस बेतुके नियम के पीछे मुझे कोई कारण समझ में नहीं आया। चौथा गलत फैसला~मानवीयता का अभाव:नियम आप चाहे जितने बना लो, लेकिन मानवीयता इंसान को कभी नहीं भूलनी चाहिए, क्योंकि मानवीयता हमेशा नियमों से ऊपर होती है। किसी सड़क पर वाहन ले जाने पर प्रतिबंध है तो क्या किसी बीमार को आप ऑटो से अस्पताल नहीं जाने दोगे.? डिस्टेंस रूल का पालन करना ज़रूरी है। ठीक है। सड़क पर सिर्फ दो चार लोग हैं। फिर भी किसी जरूरतमंद को आप रोक रहे हो। कोई बीमार को लेकर जा रहा है, फिर भी आप उसे रोक रहे हो । उससे दस तरह के सवाल जवाब कर रहे हो ..! यह गलत है..! पांचवा गलत फैसला कारखानों को बंद करना~ कारखाने में मजदूरों को उनको वहीं पर रहने और खाने की व्यवस्था उपलब्ध कराने की शर्त पर उन्हें चालू रखना चाहिए था। जिससे मजदूर काम भी करते होते। लॉक डाउन का उल्लंघन भी न होता है और देश की अर्थव्यवस्था भी पटरी से न उतरती..! फैसले और भी कई गलत हुए, लेकिन फिलहाल यहीं पर अपनी लेखनी को विश्राम दे रहा हूं, इन चंद पंक्तियों के साथ~ मानवीयता से बढ़कर कोई नियम नहीं होता मानवीयता नहीं होगी तो नियम भी टूटेंगे और टूटेगा लॉकडाउन भी..।