गरीबी ने ले ली जान
गरीबी ने ले ली जान


निगोहा बाजार लखनऊ, शाम का समय..! प्यारे नाम के एक गरीब मजदूर को एक लावारिश सांड़ ने उठाकर पटक दिया..! खून से लथपथ घायल प्यारे को राह चलते कुछ गामीणों ने किसी तरह उसके घर तक पहुंचाया। प्यारे की 90 वर्षीय बूढ़ी मां विशुना और उसका 10 वर्षीय बेटा दशरथ सारी रात प्यारे की देखभाल करते रहे, पर घायल प्यारे के परिवार वालों के पास इतना पैसा नहीं था, कि वो उसे अस्पताल पहुंचा सके..! किसी तरह विशुना ने अपने नाती मुकेश को इस हादसे की खबर दी। दूसरे दिन सुबह उसके आने पर जैसे तैसे प्यारे को पीजीआई अस्पताल ले जाने की व्यवस्था की, किंतु रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया..!
दिल दहला देने वाली यह सच्चाई एक गरीब परिवार की..! यूँ तो गरीबों के इलाज के लिए सरकार की तरफ से बहुत सी योजनाएं हैं..! आयुष्मान भारत.. निशुल्क एंबुलेंस की व्यवस्था.., निशुल्क दवाइयां..लेकिन सब चकाचक सिर्फ कागजों पर है..! कागजों में कहीं कोई कोताही नहीं मिलेगी..! एवरीथिंग इज़ ओके एंड परफेक्ट..! बटईट्स नॉट द रियलिटी .!
क्योंकि पैसों के अभाव में शाम को हुए इस हादसे के बाद दूसरे दिन सुबह तक वो तड़पता रहा, पर न उसे एंबुलेंस मिली..न दवाई मिली.. और न कोई मदद..!
हकीकत बेहद खौफनाक है ..! ये कटु सच्चाई है, कि गरीबों में भी इलाज उन्हीं को मिलता है, जिनकी कोई सोर्स, सिफारिश या ऊपर तक पहुंच होती हैं! या जो वास्तव में गरीब नहीं होते, बल्कि गरीब होने का नाटक करते हैं..! पुलिस भी तब मदद करती है, जब कोई स्वार्थ हो या ऊपर से कोई दबाव हो..!
प्यारे की जान ज़रूर बच जाती, अगर वो पैसे वाला होता..! पर इस समाज की असली सच्चाई यही है, कि गरीब कल भी असहाय था और आज भी असहाय है..!