STORYMIRROR

Iaanshika Shimpi

Abstract Fantasy Others

3  

Iaanshika Shimpi

Abstract Fantasy Others

चुप्पियां

चुप्पियां

3 mins
343

हमें चुप्पियाँ पढ़ना कब आएगा? कब सुनना सीखेंगे हम पथरायी काली आँखों की पुतलियों पर उभरी नसों सी खामोशियाँ.....कब हम जान-समझ पाएंगे कि कुछ अल्फ़ाज़ गूँगे होते हैं, जो ठहरे तो होते हैं होंठों पर, उन्हें एक जोड़ी होंठों से छू कर ज़िन्दा करना पड़ता है.....एक वक़्त के बाद जिस्म से इश्क़ रिसने लगता है, आँसुओं के नमक में......जिसे ज़रूरत होती है सोख्ते की, किसी की उँगलियों की, किसी के होंठों की, किसी के इतना भर कह देने की कि "मैं हूँ".......


मैं नहीं जानती मैं ये सारे सवाल तुमसे क्यों कर रही हूँ.....इस वक़्त मैं किस ज़हनी कैफ़ियत से गुज़र रही मुझे ख़ुद अंदाज़ा नहीं....पिछले कई अरसे से ज़िन्दगी मौत की परछाइयाँ ओढ़े चल रही है....तुम्हें कितना कुछ बताना है, पर हर बार तुम्हारी आवाज़ सुनते ही वे सारी बातें ओस के बूँदों सी ज़हन से ढुलक न जाने कौन से जहान में गुम हो जाती हैं। कुछ वक़्त से मुझे कुछ भी महसूस नहीं हो रहा, ना ग़म, ना ख़ुशी, बस साँस हैं कि मुसलसल आ-जा रही है....छोटी-छोटी बातों पर रो देने वाली लड़की की आँखें अब किसी के मौत पर भी नम नहीं होती....शायद सब कुछ जम गया है भीतर या फिर कोई बद्दुआ आ लगी है कि "लड़की जा पत्थर हो जा"


हां शायद अब मैं पत्थर ही हो चुकी हूं बस यंत्रवत जिंदगी जी रही सुबह से लेकर शाम तक खुद को काम में डुबाए रखना और मेरे पास कोई रास्ता भी नहीं था तुमसे अपनी डायरी से दूर जाने का, जब भी डायरी में कुछ लिखने को लेती तुम्हारे अलावा कभी कुछ लिख ना पाए शिव क्या तुम्हें एक बार भी नहीं लगा एक बार हमसे बात करनी चाहिए !!

कुछ बाते ही तो करते थे हम तुमसे अब खामोश हो गए है ! अब जब तारो के पास होती हूं उनसे भी नहीं करती बाते , ना ही रोते हैं आंखें सुख गई हैं रोते रोते .. जिंदगी के उस मकाम पर जहां दो लोग एक दूसरे का सहारा होते हैं हम अकेले है बिलकुल अकेले ! 

चुप हो जाना भी शायद सुकून होता है, मैं अब कुछ भी नहीं लिखती मरी हुई भावनाएं लिखे भी तो क्या ?? वो हँसती हुई आंखों में अब सूनेपन और तुम्हारे इंतजार के अलावा कुछ भी नहीं ! क्या तुम्हें एक बार भी मेरे इंतजार की तड़प सुनाई नहीं दी शिव, मेरे होंठों पर पूरी तरह सुख चुकी इंतजार की प्यास क्या कभी दिखाई नहीं दी, तुम्हारे इश्क़ में जिंदा होकर भी मर जाने का हुनर सीखा है मैंने , 

तुम रंगरेज हो किसी दिन आना और इस सूनेपन एक नए इश्क के रंग में रंग जाना ! मेरे डायरी के ये अधूरे पन्ने अब तुम्हारे नाम और जिंदगी की ये अधूरी कहानी भी..  


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract