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Iaanshika Shimpi

Abstract Fantasy Others

4.0  

Iaanshika Shimpi

Abstract Fantasy Others

नया साल

नया साल

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कुछ पलों में नई साल शुरू हो जाएगा....पूरे दिन सोशल मीडिया पर लोग अपने-अपने वक्तव्य लिखते रहे अपने जीवन के बारे में, जो अब तक उन्होंने जीया है....किसी ने इस साल की अपनी कोई आख़िरी तस्वीर चस्पा की, किसी ने अपनी कोई कविता..


मैंने ना तस्वीर खींची, ना कोई कविता लिखी है और ना ही मैं इस साल से जुड़ा हुआ कुछ लिखने वाली हूँ....शब्द नहीं हैं, या कहिए कि मैं ये सब लिख नहीं सकती.. सिर्फ़ भरने के लिए या सिर्फ़ कुछ लिखने के लिए मुझसे नहीं लिखा जाता.. अलग-अलग मनोदशाएँ लोगों की इस वक़्त हैं... और मेरी हमेशा की 'खालीपन' की दशा है, कुछ भी भरा हुआ नहीं है....और मैं शायद बचपन से कभी भर नहीं पाई .. मां के जाने बाद अकेले खाली रहने की आदत को कभी भर नही पाई ..हां लोग मुझे इस आदत की वजह मूडी, सायकिक जरूर कहते है .. पहले फर्क पड़ता था इन सब बातों का अब आदत हो गई है .. कहते है हम अगर किसी चीज से छुटकारा पाना चाहते है तो उसे अपने जीवन का अंग बना लो वही मै

ंने किया अकेलेपन से छुटकारा पाने के लिए उसे अपना बना लिया.. हां एक वक्त था जब लगता था कोई हमसे हमारे होने के लिए प्यार करे पर हम उस वक्त ये भूल जाते थे जिसका होना अपने पिता के लिए एक सर दर्द है उसे कोई कैसे उसके होने के लिए प्रेम भी कर सकता है 


मैं ख़ुद के निजी अनुभव, एहसास, संघर्ष को शायद ही कभी लिखूँगी...या शायद ऐसा कोई साल या दशक कभी नहीं आएगा जब मैं ख़ुद के बारे में लिखने बैठूँगी.. मुझे लगता है जिस दिन ख़ुद को लिखा उस दिन मैं लिखने को भूल जाऊँगी, ये मेरा निजी तौर पर मानना है...किसी दिन सुकून से सब मंज़िल, दोस्त, सबसे परे अकेले, एकदम अकेले बस शीशे पर से बारिश की उतरती बूँदों को देख कर बैकग्राउंड में "अगर तुम साथ हो" गाना सुनते हुए हल्की-सी आँखें नम करनी हैं... जिस दिन ये हो जाएगा उस दिन कुछ नया ज़रूर लगेगा तब तक हर साल, हर आने वाला दशक बस उम्र का बढ़ता हुआ एक नंबर है...!


खैर नया साल मुबारक सबको !! 


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