सपने
सपने
मैं हमेशा डॉक्टर बनाना चाहती थी अपने पापा की तरह क्योंकि पापा मेरे आदर्श थे , पर शायद उन्हें मेरा उनके जैसा बनाना कभी मंजूर नहीं था क्योंकि मैं लड़की थी ..फिर तो मेरे पास बनने के लिए कुछ नही था ? दिशाहीन सी मैं हमेशा खुद को तलाशती रही कभी ये बनी तो कभी ये मजे की बात ये है कि मैं कभी डॉक्टर नहीं बन पाई ...
और तब से एक सवाल ने मेरा पीछा कभी नहीं छोड़ा अगर डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बन सकता है तो डॉक्टर की बेटी डॉक्टर क्यों नहीं बन पाती ..!!
पर अब वक्त बदल चुका है पर सोचती ये थोड़ा पहले बदलता तो ? क्या मैं आज डॉक्टर होती ??
फिर एक बस नया सवाल है ...!!
हम हमेशा हमारी नाकामयाबियों का ठीकरा वक्त पर फोड देते है .. और कामयाबी ? कामयाबी हमारे मेहनत का फल होता है ! वक़्त तो हमेशा अपनी जगह था हमे बाद हमारे फैसले बदलने थे
एक चराग़ और एक किताब और एक उम्मीद असासा
उस के बा'द तो जो कुछ है वो सब अफसाना है।