DR ARUN KUMAR SHASTRI

Romance Inspirational Thriller

4.5  

DR ARUN KUMAR SHASTRI

Romance Inspirational Thriller

चुहल्बाजी अठखेलियां

चुहल्बाजी अठखेलियां

2 mins
248


नहीं नहीं तुम नारी के रूप, शरीर में जरूर हो लेकिन नारी जैसे  गुण कहीं किसी कोने से तुम में दिखाई जान नहीं पड़ता , वो विफर पड़ी अबे क्या बोला १०० टका औरत मी , तू कहे तो मि औरत नाइ , जा बे जा हवा आने दे। 

मैं जोर से हंसा पार्क में बैठे तमाम लोग हमें देखने लगे। फिर वो बोली अबे अच्छा ये बता तू कौन सा मर्द है सच बोल तुझमे भी कौन से सौ टका मर्द जात के लच्छन हैं , कभी कभी तो मैं खाली पीली अपने को कोसती हूँ किसके पल्ले पड़ी साला कोई मर्द नहीं मिला मुझे क्या जो तुझसे दोस्ती करी। रे बाबू जा ना हवा आने दे। 

उसकी आवाज में खिन्नता खीज झलकने लगी थी मैं जानता था बस अगर ये बात २ मिनट भी आगे चली तो ये रो रो के आसमान सर पे उठा लेगी और लोगों के अटपटे सवाल मुझे झेलने पड़ेंगे क्यों की ये फिर मजे लेगी और अनेको पहले जैसे वृत्तांत अनुसार बाद में मुझे टॉन्ट करेगी, आया मजा, औरत से उलझने का रे........ बाबू मुआह मुआह। ...... 

मैं उठा उसके पैरों के पास बैठा, उन पर माथा लगाया, वो एक दम शांत हो गई , विजित नारीत्व जैसे उन्नत भाल किये वोली ,बच्चा तू बहुत समझदार है तुझे नारी की कमजोर नस का पता है इसका मतलब तू सही माने में मरद जात है जो असल औरत को समझता है। फिर काहे पंगे लेता है। तेरी मेरी यारी को आज १० साल होयला। समझा क्या ,चल उठ आइसक्रीम खिलाती हूँ मुझे आज सैलरी मिली थी , इरादा तो डिनर का था लेकिन इस झगड़ा में टेम निकल गया। घर भी जाना है न नही तो मां हलकान होईगी | 

अभी आइसक्रीम बाकी डिनर कल *ट्रक बार* में समझा क्या। अच्छा शादी कब बनाने का की, ऐसे ही काम चलाने का। फिर बोली अपुन को ऐसे भी चलता , तू साला ख़ालिस मरद जो ठहरा। 

हम दोनों को ऐसा समय करते करते १० साल हो गया कभी पता भी नहीं चला अकेलापन होता क्या है।

मैं अभी ३५ का और वो ३३ की बस। ....... हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा बचपन से कोई और दोस्त की जरुरत नहीं दरकार आई - ऐसा भी क्या याराना यार हाहःहः।


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