सनसनी
सनसनी
रेखा की मां को कभी न खत्म होने वाली तक्लीफ थी , नाम था सीज़ोफ्रेनिआ , ऐसी बिमारी से इन्सान अपने जीवन मे उभर नही सकता ।दिखने में सामान्य लेकिन अन्दर ज्वालामुखी ।रेखा अभी 3 साल की थी वो तभी से माँ को इस सन्ताप से ग्रसित देख रही थी, कर कुछ नही सकती थी बस तिल तिल घुट सकती थी सो घुट रही थी ।एक दिन उसने देखा रात को 3 बजे माँ चाकु लिए वरान्दे में घूम रही सिर्फ अपने अन्तरंग वस्त्रों में , बीच बीच में कुर्सी पर रखे कुशन पर वार कर रही और घृणा से थूक रही थी ।रेखा आज २१ साल की हो आई थी उसने इस प्रकरण का विडिओ बना लिया ।और अपने प्रोफेसर डॉ शास्त्री को दिखाया जिनके माध्यम से उसकी माँ का इलाज चल रहा था ।रेखा उन्ही के साथ् अपनी मानसिक रोग में एम् डी कर रही थी ।प्रोफेसर डॉ शास्त्री शास्त्री ने विडिओ देखते ही उसकी माँ को एडमिट कर लिया और उसको हिप्नोसिस प्रक्रिया के माध्यम से उसके पूर्व जीवन की छान बीन प्रक्रिया शुरु कर दी 7 दिन की प्रक्रिया प्रतिदिन 30 मिनट का सेशन 14 हिप्नोटिक डोज़ जो की मेडिकल साइंस में पहला प्रयोग था रेखा उनको असिस्स्ट कर रही थी बाकी स्टाफ अलग - ये एक ऐसा प्रयोग था जो मानसिक रोग से ग्रसित रोगी के लिए समाधान निकाल सक्ता था यदि सफल हुआ हो तो और फिर चमत्कार हुआ , होश की अवस्था मे 8 वें दिन रेखा की माँ ने धारा प्रवाह अपनी जानकारी रेकोर्ड कराई सब कुछ साफ हो गया।
उनके बचपन में उनके साथ् जो जो हुआ सब कुछ साफ हो गया ।आगे की कहानी सुन कर रेखा और प्रोफेसर डॉ शास्त्री शास्त्री पेडोफिलिक कन्सेप्ट से चौंक गये उनकी माँ ने अपने बचपन में जिस वेदना पीडा को झेला जो वो किसी से कह न पाई और इस ला इलाज तक्लीफ से अकेली लड़ती रही |
प्रोफेसर डॉ शास्त्री शास्त्री ने रेखा की माँ को 3 माह रेहबलिटेशन सेन्टर रखा फिर उन्होने उनको फुल्ली नोर्मल प्रमाणित किया - आज हर घर मे बच्चियाँ किस किस प्रकार से अपने शारीरिक शोषण से गुजर रही है इस बात का एहसास माँ बाप को ही रखना है उन दोनो में विशेष कर माँ को वो भी जब माँ स्वयं ऐसे केस की हिम्मत से मुकाबला करने योग्य हो इस केस में जो की रेखा के माँ के परेंट्स नही थे और उसका विषाद रेखा की माँ को पूरे 40 साल झेलना पडा ।हर किसी माँ को रेखा नही मिलती ।