DR ARUN KUMAR SHASTRI

Romance Fantasy Inspirational

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DR ARUN KUMAR SHASTRI

Romance Fantasy Inspirational

नंदिता

नंदिता

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नंदिता जी हाँ यही नाम है उसका, अभी उम्र ही क्या थी उसकी लेकिन शरीर के विकास के चलते कोई भी उसे १९ साल से काम की तो आंकता ही न था उसकी फॅमिली के लिए ये बहुत चिंता का विषय था। नंदिता को ये सब नार्मल लगता था उसके सहपाठियों को और भी सहज लगता था उन्होंने उसे बचपन से ऐसे ही देखा था 12th स्टैण्डर्ड में अभी उसकी एंट्री हुई थी स्कूल उसका अपने शहर का नंबर १ इंग्लिश मीडियम व् परफॉर्मन्स में सर्वप्रथम हर दिशा से, और नंदिता बॉलीवाल की हिट चैंपियन अपनी ऐज ग्रुप से भी और शारीरिक नाप तोल से भी गर्ल्स इस गेम में बहुत कम आ पाती है क्योंकि ये खेल पूर्णतया शारीरिक नाप तोल पर आधारित होता है। 

नंदिता को अभी तक के जीवन में परिवार से या स्कूल से या अपने सहपाठियों से कोई प्रॉब्लम नहीं रही लेकिन आज अपने परिवार को उसके स्वयं के शारीरिक नाप तोल को लेकर असमंजस में देख उसको असहज महसूस होना स्वाभाविक था। 

उनकी चिंता को लेकर वो भी चिंतित रहने लगी थी। 

एक दिन अचानक उसके जीवन में देवीय शक्ति का आसीस मिल गया हो जैसे ऐसा हो गया। उसने इस विषय में अभी तक एक पल को सोचा भी न था। 

उसके स्कूल के प्रिंसिपल मैडम का ट्रांसफर क्या हुआ की सीन ही बदल गया। मिसेज शर्मा नई प्रिंसिपल मैडम ने चार्ज लिया उनके साथ ही उनके हस्बैंड मिस्टर शर्मा व् फॅमिलि सब स्कूल कैंपस के प्रिंसिपल फ्लैट में शिफ्ट हुए दिल्ली से। संडे को प्रिंसिपल मैडम शिफ्ट हुई और मंडे को उन्होंने ज्वाइन किया साथ ही मिस्टर शर्मा ने स्पोर्ट्स एडवाइजर व् उनके लड़के नमन ने उसकी क्लास व् सेक्शन में व् उसकी सिस्टर ने 10th स्टैण्डर्ड में। जैसे जादू से सब एटमॉस्फियर बदल गया ये फॅमिली ऐसे एनर्जेटिक थी के जिसे देखो उनकी ही बात करता। और नंदिता को भी ये सब चेंज बहुत अच्छा लगा क्योंकि

वो तो पहले से ही फिट हिट थी फॉर आल अड़जस्टमेंट्स। 

और कमाल देखिये नंदिता उसकी खास फ्रेंड ज्योति फ्रंट डेस्क ११ पे हमेशा से बैठते आये साथ के डेस्क से सुरेश को पीछे कर प्रिंसिपल मैडम के बेटे को इन दोनों की साइड अमित के साथ एडजस्ट किया। 

फर्स्ट इंट्रोडक्शन में ही प्रिंसिपल मैडम के बेटे ने क्लास इंचार्ज के कहने पर जब अपना परिचय दिया तो सब गर्ल्स उसके व्यक्तित्व से भीग गई , कसम से एक लड़का उसकी खूबियों वाला नहीं था अब तक का हर स्टैण्डर्ड में टॉपर , रिकॉर्ड ब्रेकर स्पोर्ट्स एंड सबसे ऊपर वायलिन में इंटरस्टेट सर्टिफिकेट होल्डर - अपनी इंट्रो में उसने जूली आई लव यु क्या बजाया सब लड़कियों की बत्ती गुल वे सब उसकी पंखा बन गई। 

सब स्टूडेंट्स ने उसके बाद उस से हेलो कह के उसकी सीट पे जा जा के अपना इंट्रो दिया ज्योति क्लास हेड थी उसने उसका बेलकम किया। 

अब यहाँ से हुई एक नई कहानी नंदिता जिसने की आज तक किसी लड़के को उस नजर से नहीं देखा था। आज यहाँ नमन को दिल दे बैठी उसने एक पल में उसको अपना मान लिया शायद ऐसे ही किसी गुणी इंसान का उसके दिल को इन्तजार था उसका दिमाग का लट्टू फ्यूज हो गया। लेकिन ऊपर से वो एकदम नार्मल। किसी को अंदाज ही नहीं हो पायेगा की आज उसके जीवन की सबसे बड़ी एक घटना घट गई। जिसको कभी न कभी तो घटना ही था। 

उधर यही लड्डू एक और जगह फूटा वो थी अस्मिता फ्रंट डेस्क रो 3 में 31 न पर बैठने वाली लड़की उसका भी एजुकेशनल रेकॉर्ड एंड म्यूजिक दोनों किसी इंट्रो के मोहताज़ न थे। 

नमन के परिचय में एक खास बात और थी वो डेली जिम गोएर था 16 घंटे का उसका शिडुल फिक्स था वो बहुत ही हेल्पिंग नेचर का डिसेंट बॉय था। 

मिड ब्रेक में ही अस्मिता ने तो सब कुछ ओपन कर दिया बिना फुल स्टॉप कोमा के बोली - हाय नमन यु किल्ड में यार पहली ही मुलाक़ात सी जब तुमने मुझे हाय बोला न फर्स्ट इंट्रो पे तो मेरी तो हालत ही ख़राब हो गई। सभी के सामने उसने उसे हग किया और अपने सभी कांटेक्ट डिटेल्स की स्लिप उसको दे दी। ऐसा व्यवहार अस्मिता ने कभी नहीं किया था पूरी क्लास हैरान थी। 

अब जब ये हो रहा था नंदिता को उस से ईर्ष्या हो रही थी। न जाने क्यों का तो सवाल था ही नहीं। क्लास में एक लव ट्राइएंगल बन गया एक नए लड़के के आने से। वो तो ऐसी कभी नहीं थी बहुत ही ओपन माइंड लड़की थी क्या हो गया उसको वो हैरान , परेशान पर ऊपर से बिलकुल शांत स्माइलिंग AS USUAL . 

स्कूल क्लोजिंग के समय लास्ट पीरियड फिजिक्स लैब में थे उसने अपनी संस्कारिता को निभाते हुए कोई हरकत नहीं की। ज्योति और उसने अपना २ एक्सपेरिमेंट कम्पलीट किया मैडम को दिखा के रीडिंग्स कॉपी SIGN करवाई और बैग पैक करके लैब से बाहर।

इसने बाकी किसी पर ध्यान नहीं दिया लेकिन कोई इस्पे ध्यान रखे था ये उसे ज्योति से

पता चला। अब उसकी धड़कन ऊपर नीचे। फिर भी शांत धीर गंभीर जैसा उसका स्वभाव वैसी।

अगले दिन स्कूल में म्यूजिक का इंटरनल कॉम्पिटिशन था - नमन ने इंस्ट्रुमेंटल में और वोकल में अस्मिता ने सबको मोह लिया। इस वजह से नमन अस्मिता अब काफी ओपन हो गए थे ओपनली।

नेक्स्ट डे स्कूल के सिटी के 3 ब्रांचेज की कॉमन पिकनिक थी सब के सब को अपनी चॉइस की ड्रैस पहनने को बोला गया था न जाने क्यों नंदिता को उसकी दादी ने साड़ी पहनवा दी जो की उसको भी बहुत पसंद थी गोल्डन प्लेन सिल्क विद ब्लैक बॉर्डर एंड गोल्डन ब्लाउज , नंदिता तो फूली नहीं समा रही थी आज उसकी हर हरकत उसे नमन को लेकर एक्साइटिड कर रही थी। लेकिन उसे बुरा नहीं लग रहा था ये उसकी किसी लड़के को लेकर पहली मौसमी सोच थी वो कितनी चंचल महसूस कर रही थी लेकिन उसके संस्कार उसको काबू रखे थे।      

पिकनिक पर सभी क्लास फेल्लो बहुत सुंदर ड्रेस में थे, अस्मिता पिंक ट्यूनिक में सर पे पिंक स्कार्फ़ पोनीटेल पे बहुत सुंदर लग रही थी। 

सब अपने हिसाब से बहुत सुंदर थे लेकिन नमन सबसे अलग पठानी सूट में था। वाह वाह उसकी कद काठी के हिसाब से गज़ब। 

हम सबका एक ग्रुप पिक स्कूल की तरफ से हुआ फिर स्पोर्ट्स ADVISER सर मतलब नमन के पिता ने १० टीम बना दी और सबको एक टास्क अलग २ दे दिया लकी ली हम १० स्टूडेंट्स की टीम में ४ लड़की ६ लड़के थे टीम हेड सुरेश था वो NCC का सार्जेंट था और सिक्योरिटी टीम में नमन सुरेश और नन्दिता। 

इस टीम के कारण से नमन हम सब के और करीब आ गया था। और मेरे लिए ये पल कुछ अजब सी ख़ुशी लिए पहली बार नमन ने मुझे बोला नंदिता तुम्हें कौन सी गेम पसंद है हम दोनों मतलब ज्योति , मैं , बोली चोर सिपाही और सब हंस पड़े। इस खेल के दौरान नमन ने मुझे बहुत सपोर्ट किया मुझे और ज्योति को सबसे अधिक मार्क्स मिले। AS चोर। …. 

लंच टाइम सब बच्चे खूब मस्ती में थे अस्मिता लगातार दूर से नमन को देख २ शर्मा रही थी १ बार आई भी उसको अपने साथ घूमने ले जाने को लेकिन वो नहीं गया। 

मुझे बहुत अच्छा लगा। फिर ड्रेस के हिसाब से ५ पेअर चुन ने का टाइम आया , न १ पर मैं और नमन २ पर सुरेश एंड ज्योति , फिर अस्मिता एंड नंदन फिर २ और। इस बात से अस्मिता बहुत उदास हो गई। उसके बाद हम ५ पेअर ने बॉलीवुड गानो पे डांस किया सच में नमन मुझे छुप २ देखे ही जा रहा था और मैं खूब एन्जॉय कर रही थी उसकी बेचैनी। … 

स्कूल टाइम का ये प्यार अनोखा एहसास मुझे आज भी है इस कहानी का दी एन्ड नहीं था बस शुरुआत ही थी। .. लेकिन ये त्रिकोण मुझे मेरी दादी ने अपने संस्कारों से ऐसा सीखा दिया था मैं एक पल भी नहीं भटकी - और नमन तो नमन ही था मुझसे कही ज्यादा समझदार व् सुसंस्कृत। 

उसकी यही खूबी मुझे उसपर मोहित किये जाती है , थी और रहेगी। 


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