चंपा
चंपा


डॉक्टर हमारे रच्छक होते है, वो हमारी जान बचाते है इसलिए हम डॉक्टर को ईश्वर का दर्जा देते है पर जब वही डॉक्टर रच्छक ना रहकर भकच्छक बन जाए तो
आज की कहानी है, चंपा की
अरी ओ चंपा कहाँ भागी जा रही है घर में झाड़ू भी नहीं लगा है शाम होने वाली है तू ये सब छोड़ के कहा जा रही है चंपा की माँ ने चिल्लाते हुए कहा !
माँ मैं अभी आई कहते हुए चंपा खुशनुमा चेहरा लेकर निकल गई
चंपा झारखंड के एक गाँव बारे कुचिया की रहने वाली एक सावली सी हसमुख स्वभाव की लड़की थी !
लम्बे लम्बे काले बाल आखो में चमक खूबसूरती कम न थी, ज्यादा पढ़ी तो नहीं थी पांचवी तक पास थी पर बुद्धि की धनी थी !
हमेशा हसना मुस्कुराना उसके आदत में शुमार था, इसलिए हम उम्र लड़के चंपा से दोस्ती करने को तैयार रहते पर चंपा को पसंद था उसी गाँव का लड़का बिरजू !
बिरजू साधारण कद काठी का लड़का था सावला चेहरा पर उसकी भी मुस्कान बड़ी प्यारी थी, दसवीं पास बिरजू शहर जाकर नौकरी करना चाहता था !
आज चंपा और बिरजू दोनों पास के एक बागीचे में मिलने वाले थे इसीलिए चंपा भागी भागी आ रही थी, और बिरजू वही इंतज़ार कर रहा था !
दोनों ने मिलने का एक जगह फिक्स किया हुआ था उधर कोई भी नहीं आता था !
बिरजू - कहाँ रह गई थी चंपा मैं कब से तुम्हारी राह देख रहा है।
चम्पा - तुम्हारा क्या है बस बोल देना है अरे मुझे सारा काम करके लोगो से नज़रे चुराकर आना होता है !
करीब एक घंटे उनकी बातें चली, बिरजू ने बताया कि बहुत जल्द वो शहर जायेगा और एक अच्छी नौकरी मिलते ही वो गाँव आकर शादी करेगा !
चंपा भी खुश थी कि चलो अच्छा है शहर में रहेंगे, यही सब बातें कर दोनों अपने घर आ गए।
वो लोग हर दिन मिलते अपनी बातें करते और अपने घर चले जाते, सात दिन बीतने के बाद फिर चंपा और बिरजू दोनों मिले, बिरजू ने चंपा को बताया कि शहर से उसके दोस्त हरपाल का फ़ोन आया था !
हरपाल ने बताया की यहाँ नौकरी बात क़र ली है तू जल्दी शहर आ जा, चंपा अचानक से ये सुनकर दुखी हो गई कि अब पता नहीं कब मिलना होगा !
पर फिर खुद के आंसुओ को पोछते हुए, बिरजू को बोली बिरजू देखो ज्यादा देर मत करना, मैं तुम्हारे बगैर कैसे रह पाऊँगी, ये कहते हुए दोनों फुट फुट कर रो पड़े !
फिर दोनों ने खुद को संभाला और गले लग कर एक दूसरे को विदा किया, आज ये सब नज़ारा चंपा के पिता देख रहे थे, उस समय उसके पिता ने कुछ नहीं बोले !
तीन दिन बाद चंपा के पिता ने घर आकर बताया कि चंपा के लिए लड़का देख लिया है, लड़के का अपना दूकान है लड़के का नाम रीतलाल है !
हमारे लालजी का लड़का है, अमीर लोग है वहा हमारी चंपा राज करेगी, चंपा की माँ ने कहा वो लाला जी का लड़का रीतलाल जिसकी एक टांग ख़राब है !
हां हां वही पर पैर से क्या करना है अपनी चंपा राज करेगी उनको कोई दहेज़ भी नहीं चाहिए और शादी का सारा खर्च भी वही उठा रहे है, हमें और क्या चाहिए बेटी खुश रहे बस !
चंपा रोते हुए बोली - बापू किसने कहा की मैं लाला के घर खुश रहूंगी, मुझे नहीं करनी शादी !
चंपा के पिता ने गुर्राते हुए बोला - क्या करना है बिरजुआ का इंतज़ार करना है उससे करना है शादी नाक कटवाना है हमारी
चंपा सुन्न रह गई बापू को ये सब कैसे पता बापू वो।
चंपा के पिता - क्या वो वो लगा रखी है, ये शादी फाइनल है अगर तू हम सबको खुश और जिन्दा देखना चाहती है तो रीतलाल से शादी करनी ही होगी !
मैंने रीतलाल से ३०००० रुपये लिए थे और मेरे पास वापस करने का पैसा नहीं है, और लाला जी ने मुझसे वादा किया है कि चंपा की शादी का पूरा खर्चा उठाएंगे और अपने घर की बहु बनाएंगे !
ये कहते हुए चंपा के पिता रोने लगे !
चंपा अब अपने घर की हालत और पिता के क़र्ज़ को लेकर मज़बूर थी, चंपा ने भी अब हां बोल दिया था !
शादी तये हुई एक महीने बाद शादी का मुहूर्त निकला सब लोग खुश थे शिवाये चंपा के !
चंपा ने अपने दिल पर पत्थर रख लिया था, आखों के आंसू उसके आँखों में ही सुख गए थे !
अब वो चंचल फुदकती मुस्कुराती चंपा कही खो गई थी, जो भी शादी की रस्म होती वो उस रस्म में तो होती पर मन
मन तो कही दूर किसी परदेसी की याद में होता, अब तो हसना तो दूर रोना भी भूल गई थी !
आखिर एक एक दिन बीतते बीतते शादी का दिन भी आ पंहुचा सब शादी की तैयारी में लगे थे और सुबह ही बिरजू चंपा को बेहोशी की दवा सुंघाकर ले उड़ा !
सब चंपा की तलाश में लग गए, लाला जी के घर खबर पहुंचाई गई की बारात लेकर अभी ना आये !
चंपा अगवाह हो गई है, अब सब परेशां।
उधर बिरजू चंपा को गाँव के बाहर एक खंडहर में ले जाता है, उस खंडहर में डर के मारे कोई आना जाना नहीं करते थे !
चंपा के होश आते ही बिरजू चंपा पर नरभक्छी की तरह टूट पड़ता है, उसके कपड़े फाड़ने लगता है और बहुत जोर जोर से चिल्लाता है !
चंपा मुझसे शादी का वादा की और मेरे जाने के बाद तू पैसे की चमक धमक से रीतलाल से शादी करने चली गई तू मेरी नहीं हो सकती तो किसी की भी नहीं होने दूंगा !
चंपा रोती गिड़गिड़ाती रही मैं बेवफा नहीं हु मेरी मज़बूरी थी, मुझे माफ़ क़र दो, अचानक चंपा को रोते गिड़गिड़ाते देख बिरजू के हाथ जो अब तक कपडे फाड़ रहे थे रुक गए !
बिरजू ने अपने दोनों हाथो को जोड़कर चंपा के पैरो में गिर गया !
चंपा तूने ठीक नहीं किया मेरे साथ जा तू चली जा यहाँ से मैं खुद को रोक नहीं पाउँगा, कहकर बिलख बिलख कर रोने लगा !
चंपा ने उसके चेहरे को उठाया अपनी गोद में रखकर उसके आंसू पोछे फिर उसको अपनी जीवन की सारी कहानी कह सुनाई !
अब दोनों के मन शांत थे बिरजू ने अपनी शर्ट उतार कर चंपा को देते हुए बोला
चंपा यहाँ से चली जा और मुझे भुला देना
चंपा वहा से घर चली आई, घर पहुंचकर अपने कपड़े बदले सब पूछते रहे कहा थी क्या हुआ पर कुछ ना बोली !
उधर चंपा के निकलते ही बिरजू ने अपनी जान देदी थी, चंपा को ढूंढते हुए जब लाला के आदमी उस खंडहर में पहुंचे तो वहा चंपा तो नहीं थी पर बिरजू मरा हुआ था !
ये कहना मुश्किल है कि बिरजू ने चंपा के वियोग में आत्महत्या की या लाला के आदमियों ने उसकी हत्या की !
इधर लाला के घर खबर भिजवाई गई की चंपा आ गई है तो लाला जी बारात लेकर आ जाये, पर रीतलाल ने कहा - बिरजुआ साला चंपा को भगा कर ले गया था जरूर कुछ हुआ होगा !
इसलिए पहले मेडिकल टेस्ट होगा फिर अगर चंपा पवित्र निकली तो ही बारात चंपा के घर जायेगी !
अब चंपा के माँ और पिता करते भी क्या चंपा चीख चीख के अपने पवित्र होने की गवाही देती रही पर कोई उसकी सुनने को तैयार नहीं हुआ खुद उसके माता पिता भी उसके मेडिकल टेस्ट के लिए तैयार थे !
अंत में सबसे हारकर चंपा भी राजी हो गई वो करती भी क्या अकेली, उसे तो पता ही था कि वो पवित्र है तो वो राज़ी हो गई !
चंपा, चंपा के माता पिता, गाँव का मुखिया, लाला जी और उनका बेटा रीतलाल सब अस्पताल गए !
गाँव का अस्पताल था तो वहा एक ही मर्द डॉक्टर था, वहा कोई महिला डॉक्टर नहीं थी,
गाँव के मुखिया और लाला जी ने कहा डॉक्टर साहब इस चंपा का मेडिकल जांच कर के इसके पवित्र होने या ना होने का सर्टिफिकेट देदो कि हमारी भी परेशानी दूर हो !
चंपा एक दम चुप मुर्दो की तरह खड़ी थी, उसने रस्ते में लाला के आदमियों को बात करते सुन लिया था कि बिरजू मर चूका था !
इस बात को सुनने के बाद से चंपा खुद मुर्दा बन गई थी, चंपा को अस्पताल के एक एमर्जेन्सी वार्ड में ले जाया गया !
डॉक्टर ने उसके साथ बदसुलूकी करते हुए बोला अगर तू चाहती है कि मैं तेरे पवित्रता का सार्टिफिकेट दू तो मैं जो बोलता हु वो कर
डॉक्टर चंपा के आबरू के साथ खेलना चाहता था, और चंपा के दिमाग में उसका प्रेमी बिरजू था जिसने उसका कभी फ़ायदा नहीं उठाया और अपनी जान भी गवा दी !
डॉक्टर उस बेजान पड़ी चंपा को बेआबरू करने की कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता था, चंपा की आखो से आंसू फुट पड़े !
उसमे पता नहीं कहा से ताकत आ गई, उसने डॉक्टर को एक लात मारकर अपने शरीर से दूर किया फिर वहा पड़ी ऑपरेशन ब्लेड को अपने हाथो में लेकर उस डॉक्टर के गले पर वार की जिससे डॉक्टर तड़पता हुआ मर गया !
अंदर शोर शराबा सुनकर सब एमरजेंसी वार्ड की तरफ भागे, पर तब तक चंपा अपने हाथो में वो खून से सना ऑपरेशन ब्लेड लिए चीखती हुई बाहर आई !
रोते हुए सबसे सारी की सारी बात बताई की बिरजू और उसके बिच को गलत सम्बन्ध नहीं था दिल से प्यार करते थे पर माँ बाबूजी की खुसी के लिए उसने सब कुर्बान कर दिया !
बिरजू निर्दोष था तभी भी लाला के आदमियों ने उसे मार डाला !
मैं निर्दोष थी फिर भी इस भहाशि दरिंदे डॉक्टर के यहाँ पवित्रता के परीक्षा के लिए लाया गया !
ये डॉक्टर तो खुद मेरी इज्जत से खेलने लगा, मैंने उसकी जान लेली, अब मुझे भी इस दुनिया में रहने का मन नहीं है इसलिए मैं भी अपने बिरजू के पास जा रही हु !
ये कहते हुए चंपा ने वो ऑपरेशन ब्लेड को गले पर रखी और अपने हाथो से ही अपने गले की नस काट दी, खून का एक फौवारा निकला और उस खून के छींटे सब पर पड़े !
चंपा अपने बिरजू के पास जा चुकी थी।