चेक बुक
चेक बुक
प्रेमी, दीवाना, आशिक और मजनूंओ के कतार में एक पति शायद नहीं खड़ा हो सकता है मगर मुझे जो पति मिलें हैं वो इन तमाम प्रेमी, आशिक, मजनूं और दीवानों की दीवानगी से बहुत बहुत बहुत ऊपर हैं । मुझे याद है जब मैं अपनी बेटी की शादी का कार्ड देने अपने मायके के उस मुहल्ले में गयी थी जहां कभी मेरा घर हुआ करता था ( जिसे किसी वजह से बेंचना पड़ा था और हम किराए के मकान में रहने को मजबूर हो गए थें ) बचपन की ढेरों स्मृतियां जहां कैद हैं अपने उस घर को पल भर ठहर कर देखने लगी थी ..... ऐसा लगा जैसे बालकोनी में खड़ी मेरी मां मेरा राह देख रही हो ..... इस ख्याल से आंखें नम हो गई और वहीं खड़े मेरे पति ने मुझे देखा और फिर क्या .... ।
उन्होंने तुरंत उस घर के नये मालिक को संदेश भेजा कि "हर कीमत पर मुझे यह घर चाहिए और चाहिए तो चाहिए ही क्योंकि यहां कैद है मेरी गुड्डू का बचपन ...!" मैं, मेरा एक भाई और मेरा बेटा दंग रह गया जब उन्होंने चेकबुक निकाला एडवांस में पैसे देने के लिए । जिसकी बेटी की शादी हो रही हो तीन दिन बाद वो इंसान अपनी पत्नी के अतीत को जीवंत करने के लिए इतना बड़ा फैसला लिया । वास्तव में यह हैरानी की बात थी और मेरे लिए तो इससे बड़ी बात कुछ हो ही नहीं सकती थी । मैंने उससे पहले "ऐसा पति " नहीं देखा था ना सुना था । यह घटना 2016 जुलाई की है । आज भले ही वेलेंटाइन डे पर लोग उपहार में बेशकीमती उपहार देते हों लेकिन मेरे लिए तो सबसे बेशकीमती उपहार उनका यह ख्याल ही है।