ब्रह्मास्त्र - एक रहस्य भाग-5
ब्रह्मास्त्र - एक रहस्य भाग-5
अब तक आपने पढ़ा रोहित ब्रह्मास्त्र के रहस्य को जानकर उस राजपरिवार की रक्षा करने के लिए उस दिव्य कवच को पाने के लिए चल पड़ा अब आगे......
रोहित उस गुफा की तरफ बढ़ने लगा वहा पहुंचते पहुंचते शाम हो गई, तारों की रौशनी आसमान में फेल रही थी रोहित उस गुफा की तरफ बढ़ रहा था तभी रोहित के कंधे पर किसी ने अपना हाथ रखा।
"कौन हो तुम...!! पीछे से आवाज आई" रोहित पीछे मुड़कर देखा तो एक बूढ़ा आदमी उसे देख रहा था।
रोहित "बाबा मैं उस गुफा में जा रहा हूं...!!"
वह आदमी बीच में बोल पड़ा "मत जा मारा जाएगा, उस गुफा के अंदर हजारों आत्माओं का वाश हैं, मेरी बात मान लौट जा वापस..!"
रोहित "नहीं बाबा बिना उस दिव्य कवच के मैं यहां से नहीं जाउंगा..!!"
ऐसा कहकर रोहित आगे चल पड़ा.. थोड़ी दूर जाकर जब पीछे देखा तो वह कोई नहीं था, खैर रोहित उस गुफा में प्रवेश हुआ सामने माहौल बिल्कुल शांत था ऐसा लग रहा था जैसे वह सदियों से विरान हो...!!
"उन्होंने तो कहा था यहां हजारों आत्माओं का वास है लेकिन यहां तो एक भी दिखाई नहीं दे रहा" रोहित बड़बड़ाया।
तभी एक बच्ची ने रोहित का हाथ पकड़ कर बोली "अंकल आप कौन हो और यहां क्यो आए हो..!!"
उसे देखकर रोहित समझ गया वह बच्ची नहीं आत्मा है फिर भी वह हिम्मत करके बोला "बेटा मैं ब्रह्मास्त्र का आखिरी वारिस हूं मैं अपने कर्तव्य को पूरा करने के लिए ब्रह्मास्त्र कवच को लेने आया हूं...!!"
"पर अंकल वो आपको वह कवच नहीं ले जाने देंगे" वह बच्ची बोली।
रोहित "कौन नहीं ले जाने देगा...!!"
"वो..." उस बच्ची ने इशारा किया।
सामने एक दिव्य प्रकाश के साथ ब्रह्मास्त्र कवच चमक रहा था और उसे घेरे हजारों आत्माएं खड़े थे।
"वो आपको वह कवच नहीं ले जाने देंगे" बच्ची बोली।
रोहित हिम्मत करते हुए बोला "देखते हैं बेटा, अगर मैं ब्रह्मास्त्र कवच का असली हकदार हूं तो मुझे उसे पाने से कोई नहीं रोक सकता।"
रोहित आगे बढ़ा और बोला "हे आत्माओं, मुझे उस श्राप को नष्ट करने के लिए ब्रह्मास्त्र कवच की जरूरत है, इसलिए आप मुझे वो कवच दे दो..!!"
सभी आत्माएं गुर्राते हुए बोली "कौन है तू..!!"
"ब्रह्मास्त्र.... ब्रह्मास्त्र हु मै उनका आखिरी वंशंज.." रोहित ने जवाब दिया।
"तुम जो कोई भी हो अच्छा होगा यहां से चले जाओ, वरना मारे जाओगे" आत्माएं गुर्राई
रोहित "मैं उस कवच के बिना यहां से नहीं जाउंगा।"
"तो तैयार हो जाओ मरने के लिए" आत्माएं बोली।
सभी आत्माओं ने रोहित पर वार करना शुरू कर दिया थोड़ी ही देर में रोहित लहुलुहान हो कर जमीन पर गिर पड़ा उसके शरीर से मांस उखड़ने लगे वह अचेत होकर वहीं ढेर होने लगा।
रोहित अपने आप को एक महल में पाया वह उठकर चलने लगा तभी एक आवाज आई "ब्रह्मास्त्र मुझे बचा लो ये मुझे मार डालेगी..!!"
रोहित उस आवाज की ओर दौड़ा तभी एक और आवाज आई "बेटा तुम्हे जीना होगा... जागो अपने कर्तव्य को पूरा करो... जागो उस श्राप से लडना होगा तुम्हें।"
रोहित कराहते हुए जागा वह उठ भी नहीं पा रहा था वहीं लेटें हुए हार रहा था और सभी आत्माएं मुस्कुरा रही थी।
तभी रोहित अपने इष्ट देव का ध्यान लगाता है और बोलता है "हे भगवान अगर मै सत्य के राह पर हूं तो मेरी मदद करो ताकि मैं उस बेगुनाह लड़की को बचा सकु... ऐ दिव्य कवच अगर तु सच मैं ब्रह्मास्त्र कवच है तो मेरी मदद कर..!!"
तभी एक चमत्कार हुआ वह दिव्य कवच रोहित के शरीर पर जा चिपका जिससे रोहित का शरीर धीरे धीरे ठीक होने लगा... वह झट से खड़ा हो गया, सभी आत्माएं उसे मारने के लिए दौड़े लेकिन उसे छूते ही भस्म हो गए। उस दिव्य कवच से एक प्रकाश निकला जिससे वह गुफा प्रकाश से भर गया और सारी आत्माओं को मुक्ती मिल गई।
रोहित तुरंत सहस्रबाहु के पास पहुंचा वे उसे देख कर खुश हो गए "आखिर तुमने ब्रह्मास्त्र कवच को हासिल कर ही लिया"
रोहित "हां गुरुजी अब जल्दी से उस राजपरिवार का पता बताइए"
सहस्र बाहु "ठीक है सुनो और हा ये लो ये तुम्हारे पिता की तलवार है ये तुम्हारी रक्षा करेगा अब जाओ अपना कर्तव्य पूरा करो विजयी भव।"
रोहित थोड़ी ही देर में वहां पहुंच जाता हैं लेकिन वहां उदासी और दुख छाया हुआ था।
देवराज ब्रह्मास्त्र कवच को देखकर समझ गए कि ब्रह्मास्त्र आ गया उनके चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कान आ कर चली गई वह दुखी स्वर में बोला "तुमने आने में देर कर दि ब्रह्मास्त्र... वो उसे ले गई वो उसे मार डालेगी इतने साल बाद उसका श्राप फिर से जिंदा हो जाएगा...!!"