STORYMIRROR

Dinesh Divakar

Horror Thriller

4  

Dinesh Divakar

Horror Thriller

हांटेड मोबाइल

हांटेड मोबाइल

12 mins
284

एक छोटा सा शहर, रामपुर समय रात के  11:45 बजे आयुष जो 24 साल का एक नॉर्मल आईटी इंजीनियर था अपने कमरे में बैठा था, कम्प्युटर स्क्रीन पर काम करते हुए। किसी तरह की खास परेशानी नहीं थी, लेकिन आज उसके मन में कुछ अजीब सा चल रहा था। जैसे ही उसने अपना फोन उठाया, उसकी स्क्रीन पर एक अनजान नंबर दिखाई दिया। उसने फोन को एक पल के लिए देखा, फिर सोचा, "क्या हो सकता है?" और कॉल उठा लिया।

"हैलो?" उसने फोन पर कहा।

"तुम उसे नहीं बचा सकोगे।"

यह आवाज़ सामान्य नहीं थी। मानो कोई गहरी, घनी आवाज़ हो। आयुष का दिल धड़कने लगा। उसने सोचा, "शायद ये कोई मजाक कर रहा है।"

"तुम उसे नहीं बचा सकोगे… उसे मैं ले जाऊँगा…" आवाज़ फिर से आई। आयुष ने फोन की स्क्रीन को देखा, लेकिन सामने कोई नहीं था। बस वो रहस्यमयी आवाज़, जो अब भी उसके कानों में गूंज रही थी।

आयुष ने तुरंत कॉल काट दिया और फोन को टेबल पर रखा। उसकी हालत खराब हो चुकी थी। उसे समझ नहीं आया कि यह क्या था। लेकिन तब अचानक उसका फोन फिर से बज उठा। इस बार स्क्रीन पर वही अनजान नंबर था। उसने गहरी सांस ली और फोन को उठा लिया।

"तुमने कॉल काट दी थी।" आवाज़ फिर से आई, लेकिन इस बार वह और भी तेज़ और कर्कश हो गई थी। आयुष का चेहरा पीला पड़ गया। क्या यह सिर्फ एक मजाक था? या फिर कुछ और?

आयुष पूरी रात सो नहीं पाया। वह बार-बार फोन की घंटी और उस डरावनी आवाज़ को याद कर रहा था। उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि ये कॉल किसने की थी। लेकिन अब, जब वह ऑफिस जा रहा था, उसका मन शांत नहीं था। उसने सोचा था कि शायद ये सब बस एक बुरा सपना था, लेकिन जैसे ही उसने अपना फोन चेक किया, उसे एक और अजीब सी चीज़ मिली।

फोन में एक फोटोग्राफ थी। तस्वीर एक पुराने घर की थी, जो उसके शहर के बाहरी इलाके में था। आयुष ने उस तस्वीर को ध्यान से देखा और एक ठंडी साँस ली। यह वही घर था, जहाँ वह अपने बचपन में एक बार गया था। एक पुराना, खंडहर जैसा घर जो अब पूरी तरह से खाली था। उसने याद किया कि उस घर के बारे में कुछ अजीब बातें सुनी थीं, जैसे कि वह हॉन्टेड था, लेकिन उसने कभी उस पर ध्यान नहीं दिया था।

फिर उसने नोटिस किया। तस्वीर में एक आदमी खड़ा था, जिसका चेहरा अंधेरे में था। उसकी आंखें लाल थीं, और उसका चेहरा बिल्कुल शांति से भरा हुआ था, जैसे वह कुछ देखने के लिए खड़ा हो।

आयुष ने फोन को झटका दिया, "यह क्या है?" और फिर तस्वीर को खोलने की कोशिश की। जैसे ही उसने तस्वीर को और करीब से देखा, स्क्रीन पर उस आदमी का चेहरा बदलने लगा।

पहले उसकी आँखें काली हुईं, फिर उसकी पूरी शक्ल बदलने लगी, और फिर कुछ ऐसे शब्द स्क्रीन पर उभरे जो आयुष ने कभी नहीं देखे थे "तुम मेरे बाद क्या करोगे?"

आयुष का दिल एक जोरदार धक्के से धड़कने लगा। उसने जल्दी से फोन को काटा और कमरे से बाहर भागने की कोशिश की, लेकिन वह जानता था कि यह सिर्फ शुरुआत थी। अब कुछ और भी था, जो उसके पास आ रहा था।

आयुष की रात बेहद डरावनी और थकाऊ रही। फोन की उस अजीब तस्वीर के बाद से उसे पूरी तरह से बेचैनी हो रही थी। उसने कई बार सोचने की कोशिश की कि क्या यह सब उसका भ्रम है, लेकिन दिल में एक आवाज़ थी जो लगातार यही कह रही थी कि यह असल है, और अब उसे कुछ करना होगा।

वह अपने कमरे में बैठा था, फिर से फोन को उठाया। उसने सोचा कि शायद उसने पिछले दिन जो देखा वह एक गलती थी, लेकिन जब उसने स्क्रीन पर ध्यान दिया, तो वह तस्वीर अब भी वहां थी बिल्कुल वैसी की वैसी। वह डरते हुए मोबाइल को एक तरफ फेंकता है, जैसे उसकी जान छूट जाए, और घबराहट में नीचे लिविंग रूम में आ जाता है।

"क्या यह सच है? क्या मैं पागल हो रहा हूँ?" आयुष अपने आप से बड़बड़ाता है। फिर उसे ख्याल आता है कि क्या वह फोन के साथ कुछ गलत कर रहा था, क्या उसे किसी तरह की मदद लेनी चाहिए?

फिर अचानक उसके कमरे का दरवाजा जोर से बंद हो जाता है, और आयुष का दिल एक जोर से धड़कता है। वह समझ नहीं पाता कि क्या हो रहा है। "यह सब ठीक नहीं है," वह सोचता है, और तुरंत दरवाजा खोलने की कोशिश करता है। लेकिन दरवाजा लॉक हो चुका था, और अंदर से कोई आवाज़ आ रही थी। एक धीमी, डरावनी हंसी की आवाज़...

वह चिल्लाता है, "कौन है?" लेकिन कोई जवाब नहीं आता।

आयुष ने डरते-डरते अपना फोन फिर से चेक किया, और वह तस्वीर फिर से बदल चुकी थी। अब तस्वीर में उस आदमी के पीछे एक और शख्स था, जिसका चेहरा किसी भी तरह से न देखा जा सकता था। केवल एक बड़ी सी कटी हुई मुस्कान और खून से सनी आँखें।

उसकी धड़कन तेज़ हो गई। उसे समझ आ गया कि यह सब किसी मजाक का हिस्सा नहीं है। यह कुछ और ही था।

आयुष ने कोशिश की, कि किसी को कॉल करे, किसी को बताने की कोशिश करे, लेकिन उसकी घबराहट ने उसे बोलने से रोक दिया। तभी उसका फोन फिर से बजता है।

यह वही अनजान नंबर था। इस बार उसने कॉल उठाया, लेकिन आवाज़ कुछ अजीब थी, बिल्कुल जानी-पहचानी नहीं।

"तुमसे हमसे जो रिश्ता है, वह हमसे नहीं छूटने वाला," वह गहरी, कर्कश आवाज़ सुनता है, जो उसे किसी खौफनाक, अज्ञात दुनिया से आती महसूस होती है।

आयुष का चेहरा सफेद पड़ गया। वह फोन के साथ कमरे में इधर-उधर दौड़ने लगता है, और फिर अचानक लाइट चली जाती है। कमरे में घना अंधेरा हो गया, और तभी आयुष को महसूस हुआ कि उसके चारों ओर एक साया सा घूमें आ रहा है। वह डर के मारे कांपने लगता है, लेकिन तभी उसकी आँखों के सामने एक चेहरा दिखाई देता है, जो अब उसके बिस्तर पर खड़ा था वो वही व्यक्ति था जो फोन की तस्वीर में था।

"तुम मुझे क्यों परेशान कर रहे हो?" आयुष कांपते हुए कहता है। लेकिन उसका दिल और भी तेजी से धड़कने लगता है क्योंकि उस व्यक्ति ने जो उत्तर दिया, वह और भी डरावना था "तुम उसे बचा नहीं पाओगे, तुम भी आओगे मेरे पास…"

आयुष का दिल धड़कते-धड़कते रुक सा गया। वह पूरी तरह से घबराया हुआ था, लेकिन अब उसके पास केवल एक रास्ता था उसे इस रहस्यमयी शक्तियों का सामना करना होगा।

वह दरवाजे को खोलने की कोशिश करता है, और अचानक लाइट वापस आ जाती है। लेकिन अब कमरे में कुछ बदल चुका था। वह व्यक्ति अब गायब हो चुका था, और कमरे में एक अजीब सी महक फैल गई थी खून और पुराने घावों की।

आयुष ने देखा, जैसे उसके सामने एक पुराना, गीला खून सना हुआ फोन पड़ा था। और उस फोन में एक और तस्वीर थी, जिसमें उस खौ़फनाक आदमी के साथ आयुष का चेहरा था।

आयुष की आँखों में डर और घबराहट साफ दिखाई देती है। क्या यह उसकी खत्म होने वाली यात्रा का संकेत था? क्या अब उसे सच में कुछ करना होगा?

आयुष का मन पूरी तरह से उलझ चुका था। जो कुछ भी हो रहा था, वह उसे समझ नहीं पा रहा था। क्या वह सच में किसी भूतिया घटनाओं का सामना कर रहा था, या फिर यह उसका मानसिक दबाव था, जो उसे घेर चुका था? इस सवाल का जवाब उसे अभी तक नहीं मिल सका था।

वह एक गहरी सांस लेता है और कमरे में टहलते हुए, अपने गीले खून से सने फोन को ध्यान से देखता है। अब उसका चेहरा और भी ज्यादा डरावना नजर आ रहा था। उसने धीरे-धीरे वह फोन उठाया, और एक बार फिर वही अजनबी नंबर स्क्रीन पर चमकने लगा। लेकिन इस बार, कुछ अजीब हुआ। स्क्रीन पर अब वह कटी हुई मुस्कान और खून से सनी आँखें नहीं थीं, बल्कि अब आयुष के साथ एक और शख्स खड़ा था। उसकी आंखें चमक रही थीं, जैसे किसी दूसरी दुनिया से आई हों। उसका चेहरा धुंधला था, और उसकी मुस्कान भी उस तरह की थी जो डर और बुरी शक्तियों की ओर इशारा करती थी।

फोन की स्क्रीन पर चमकते हुए शब्द उभरते हैं "तुमने मुझे पहचान लिया, अब तुम्हारी बारी है।"

आयुष का दिल धड़कते-धड़कते रुकने वाला था। वह अब घबराहट के मारे कांपने लगा। उसने फोन को फेंकने की पूरी कोशिश की, लेकिन उसकी पकड़ और भी मजबूत हो गई। उसके शरीर में ठंडक दौड़ने लगी, और उसके दिल में एक अजीब सा डर घर कर गया।

तभी उसके कमरे के सारे बल्ब जलने लगते हैं, और कमरे में एक अजीब सी हवा चलने लगती है। यह हवा इतनी तेज़ थी कि आयुष के बाल तक उड़ने लगे। वह बुरी तरह से डर गया, और उसकी आँखों के सामने, उसी अजनबी शख्स का चेहरा फिर से नजर आया, इस बार और भी करीब से। उसकी श आँखों से रक्त की धारें बह रही थीं, और वह आदमी धीरे-धीरे आयुष के पास आ रहा था।

"तुम मुझे नहीं छोड़ सकते, आयुष। अब तुम मेरे साथ रहोगे," वह व्यक्ति घबराती हुई आवाज में कहता है। आयुष के दिल में गहरी पीड़ा और डर उमड़ने लगता है। उसका चेहरा अब डर के मारे सफेद पड़ चुका था, और वह बमुश्किल अपना दिल थामे हुए था।

"तुम कौन हो?" आयुष की आवाज़ कांप रही थी।

"मैं वह हूं जिसे तुम कभी भूल नहीं सकते। अब तुम्हारे पास कोई रास्ता नहीं है।"

आयुष अब समझ चुका था कि यह सिर्फ एक फोन या एक अजीब घटना नहीं थी। यह कोई खौ़फनाक शक्तियों का खेल था, और वह इस खेल का हिस्सा बन चुका था। उसका शरीर कांप रहा था, और वह सोच रहा था कि क्या यह उसकी मौत का संकेत था।

वह किसी तरह कमरे से बाहर जाने की कोशिश करता है, लेकिन कमरे का दरवाजा अब बंद हो चुका था। एक अजीब सी रुकावट थी, जैसे कमरे के बाहर कोई विशाल शक्ति उसे अंदर खींच रही हो। उसकी सांसें तेज हो गईं, और वह घबराए हुए दरवाजे को खोलने की कोशिश करता है, लेकिन वह न खुला। उसके चारों ओर एक काला धुंआ फैलने लगता है, और उसे महसूस होने लगता है कि कमरे में और भी अंधेरा गहरा रहा था।

वह चिल्लाता है, "किसी तो मदद करो!" लेकिन कोई जवाब नहीं मिलता। उसके आसपास एक खौ़फनाक सन्नाटा छा जाता है। तभी उसकी नजरें कमरे के एक कोने पर जाती हैं, जहाँ एक पुराना दर्पण पड़ा था। आयुष उस दर्पण के पास जाता है, और अचानक उसमें एक औरत का चेहरा दिखाई देता है। वह औरत घबराई हुई, डरावनी मुस्कान के साथ उसे देख रही थी।

आयुष का दिल जोर से धड़कने लगता है। उसने दर्पण से मुंह मोड़ लिया और जल्दी से कमरे के बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन तभी उसकी नजरें फिर से उस अजनबी शख्स पर पड़ती हैं, जो अब उसके सामने खड़ा था।

"तुम्हारे पास कुछ नहीं बचा, आयुष। अब तुम मेरे साथ हो।"

आयुष की आंखों में एक ही सवाल था, "क्या वह बच पाएगा?"

वह अब पूरी तरह से उस अंधेरे और भूतिया ताकत के सामने हार चुका था, और अब उसकी सोचने-समझने की क्षमता भी खत्म हो चुकी थी।

आयुष के अंदर डर और घबराहट की एक जंग छिड़ी हुई थी। वह हर चीज़ से लड़ने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसकी स्थिति अब और भी बिगड़ चुकी थी। कमरे के अंदर का वातावरण अब और भी भारी हो गया था, जैसे चारों ओर से कोई अदृश्य ताकत उसे घेरने की कोशिश कर रही हो।

वह दर्पण में उस औरत की डरावनी मुस्कान और आंखों को देखता है, जैसे वह उसे अपने जाल में फंसा लेगी। एक अजीब सी खौ़फनाक चीख उसके कानों में गूंजने लगती है, और आयुष की सासें और भी तेज़ होने लगती हैं। उसके अंदर से कोई आवाज़ आती है, "तुम बच नहीं सकते!"

आयुष डर के मारे कांपने लगता है, लेकिन फिर अचानक उसके दिमाग में एक ख्याल आता है। क्या अगर यह सब उसके फोन से जुड़ा हुआ हो? उसकी आँखों में एक चमक आ जाती है, और वह फोन की स्क्रीन को ध्यान से देखता है। फोन अब भी उसी अजनबी नंबर से बज रहा था, और उस पर उभरते हुए शब्द कुछ और अजीब थे: "अब तुम्हारा समय आ गया है।"

आयुष ने बिना देर किए फोन को उठाया और जैसे ही उसने रिसीव किया, एक जोर की आवाज़ उसके कानों में गूंजने लगी। यह आवाज़ इतनी तेज़ थी कि वह अपना सिर पकड़कर बैठ गया। अचानक, कमरे की सभी बत्तियाँ बंद हो जाती हैं और चारों ओर एक गहरा अंधेरा फैल जाता है। आयुष का दिल जोर से धड़कने लगता है। वह किसी भी तरह से इस अंधेरे से बाहर निकलना चाहता था, लेकिन उसके पास कोई रास्ता नहीं था।

तभी उसे अपनी पीठ पर एक अजीब सी सर्दी महसूस होती है। जैसे कोई उसकी पीठ को छूने की कोशिश कर रहा हो। उसने तुरंत मुड़कर देखा, लेकिन वहां कुछ भी नहीं था। फिर वह महसूस करता है कि एक औरत की हाथ की आशीर्वाद जैसी ऊर्जा उसे छू रही है। उसकी सांसें और भी तेज़ हो जाती हैं। क्या यह उस भूतिया औरत का हाथ था?

आयुष की नजरें अब फोन के स्क्रीन पर हैं, और वह फिर से वही शब्द देखता है: "अब तुम मेरे साथ हो, आयुष। कोई रास्ता नहीं बचा!"

आयुष को एहसास होता है कि यह सिर्फ एक भूतिया ताकत नहीं, बल्कि किसी तरह का आत्मा या शैतानी शक्ति थी जो उसे इस रूप में फंसा चुकी थी। उसके सामने कोई और रास्ता नहीं था। उसे अपनी जान बचाने के लिए इस जाल से बाहर निकलना होगा।

इसी बीच, फोन की स्क्रीन पर अचानक एक और नया संदेश उभरता है: "अगर तुम जान बचाना चाहते हो, तो तुमको मुझे छोड़ना होगा।"

आयुष के दिल में एक विचार आता है "अगर मुझे इस फोन को तोड़ना होगा, तो मैं यह करूंगा।"

वह बिना किसी डर के, पूरे साहस के साथ फोन को फेंकने के लिए उठता है। लेकिन जैसे ही वह फोन को उठाने के लिए हाथ बढ़ाता है, अचानक से कमरे का वातावरण बदल जाता है। फोन के स्क्रीन पर एक अजीब सी हलचल शुरू हो जाती है, और एक तेज़ सी चीख उभरती है। आयुष का हाथ रुक जाता है। वह घबराया हुआ महसूस करता है।

तभी उस औरत की आवाज़ फिर से आती है: "तुम नहीं बच सकते, आयुष। मैं तुम्हें छोड़ने वाली नहीं हूँ।"

आयुष को यह समझ में आ जाता है कि अब यह आत्मा नहीं, बल्कि एक शैतानी ताकत है जो उसे नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है। वह एक गहरी सांस लेता है और एक बार फिर फोन को जोर से फेंकता है। फोन हवा में उड़ा, और एक जोर का धमाका होता है। फोन की स्क्रीन बुरी तरह से टूट जाती है, और पूरा कमरे का माहौल बदल जाता है। अचानक, एक तेज़ रोशनी फैलती है, और सब कुछ शांत हो जाता है।

आयुष के कानों में एक हल्की सी आवाज़ आती है, "तुमने मुझसे जीत लिया, आयुष। अब तुम आज़ाद हो।"

अंधेरा छंटने लगता है और कमरे में रोशनी भर जाती है। आयुष हताश हो कर गिर जाता है, लेकिन तभी वह महसूस करता है कि अब वह सुरक्षित है। वह उठता है और कमरे से बाहर भाग जाता है, जैसे उसने किसी भूतिया जेल से अपनी आज़ादी पाई हो।

वह गहरी सांस लेते हुए बाहर की ताजगी में खड़ा हो जाता है। अब, उसे यह समझ में आ चुका था कि कभी-कभी डर और भूत-प्रेत केवल मानसिक खेल होते हैं, और जब तक इंसान पूरी तरह से अपने अंदर की शक्ति को महसूस नहीं करता, तब तक वह डर से बाहर नहीं निकल सकता।

आयुष अब जानता था कि अगर वह उस रात उस फोन से जुड़े रहकर डरता रहता, तो वह कभी भी उस आत्मा से छुटकारा नहीं पा सकता था। उसकी हार का डर ही उसे बंधन में बांधने की ताकत देता था। लेकिन अब वह मुक्त था।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Horror