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Dinesh Divakar

Horror Thriller

3  

Dinesh Divakar

Horror Thriller

13वीं गली का खौफ

13वीं गली का खौफ

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दिल्ली का एक पुराना इलाका, जहाँ की 13वीं गली सालों से वीरान पड़ी थी। कोई भी इस गली से नहीं गुजरता था, क्योंकि... "वहाँ से जो गया, वो कभी लौटा नहीं!"


लेकिन... अमित और उसकी दोस्त मीरा ने उस रात उस गली से गुजरने की गलती कर दी...


अमित और मीरा धीरे-धीरे गली में आगे बढ़ रहे थे। चारों ओर अजीब-सी खामोशी थी... "अमित, ये जगह अजीब लग रही है..." मीरा फुसफुसाई।


तभी... "ठक... ठक... ठक..." पीछे से किसी के चलने की आवाज़ आई!!!


दोनों ने पलटकर देखा... कोई नहीं था।


अमित ने मीरा को समझाया "डरने की जरूरत नहीं, ये बस हमारा वहम है।"


लेकिन तभी... "धड़ाम!!!" एक पुरानी खिड़की अपने आप खुल गई!!!


मीरा ने डरकर अमित का हाथ पकड़ लिया "अमित... वहाँ कोई खड़ा है...!!!"


अमित ने खिड़की की ओर देखा और... "हे भगवान...!!!"


वहाँ एक सफेद साड़ी में खड़ी लड़की थी, जिसकी आँखें पूरी काली थीं!!!


तभी पास की पुरानी घड़ी में 12 की घंटी बजी "टन्नnn!!!"


और उसी पल... वो लड़की हवा में उड़ने लगी!!!


अमित और मीरा भागने लगे, लेकिन... "खररररररररर...!!!"


गली की ज़मीन दरकने लगी और दोनों के पैर जमीं में धँस गए!!! 


"हम मर जाएँगे!!!" मीरा चिल्लाई।


अमित और मीरा की टाँगें गली की ज़मीन में धँस रही थीं।


मीरा चीख पड़ी "अमित, हमें कुछ करना होगा...!!!"


अमित ने पूरी ताकत लगाई और मीरा को ज़मीन से खींचने की कोशिश की।


लेकिन तभी... "गुरररररररररर...!!!"


पीछे से भारी साँसों की आवाज़ आई!!!


दोनों ने पलटकर देखा "हे भगवान...!!!"


वो भूतनी अब उनके ठीक पीछे खड़ी थी, और उसके होंठों से काले खून की धार बह रही थी!!!


मीरा ने अमित का हाथ ज़ोर से पकड़ा "अमित, भागो...!!!"


अमित ने एक झटके में मीरा को ज़मीन से खींच निकाला और दोनों भागने लगे।


लेकिन...‌गली का हर दरवाज़ा अपने आप खुलने लगा और अंदर से बूढ़े, जले हुए चेहरे झाँकने लगे!!!


"तुम... यहाँ से... नहीं... जा सकते..." उनमें से एक बुजुर्ग की गले से चीर देने वाली आवाज़ निकली।


मीरा की आँखों में डर के आँसू थे "अमित... अब क्या करेंगे???"


अमित ने देखा कि गली के बीच में एक टूटा हुआ दरवाज़ा पड़ा था।


उसने मीरा का हाथ पकड़कर कहा "उस दरवाज़े के पीछे कुछ होगा, चलो!!!"


दोनों दौड़ते हुए दरवाज़े की ओर बढ़े। लेकिन जैसे ही उन्होंने दरवाज़ा खोला "कृ... कृ... कृ... कृ..."


भूतनी ने भयानक चीख मारी और गली की दीवारों पर उसकी कई परछाइयाँ बनने लगीं!!!


अमित और मीरा ने जल्दी से दरवाज़े से अंदर कदम रखा...

और वो दोनों उस दरवाजे के उस पार पहुँच चुके थे, लेकिन ये कोई आम जगह नहीं थी। चारों ओर अजीबोगरीब कोहरा फैला था, ज़मीन पर जले हुए कंकाल बिखरे पड़े थे और हवा में हल्की-हल्की सिसकियों की आवाज़ गूँज रही थी।


मीरा ने अमित का हाथ कसकर पकड़ लिया "अमित... हम कहाँ आ गए???"


अमित ने गहरी साँस ली और कहा "मुझे नहीं पता, लेकिन हमें यहाँ से निकलना होगा..."


तभी... "कृ... कृ... कृ... कृ..." वही भूतनी की भयानक हँसी सुनाई दी!!!


गहरे कोहरे के बीच, एक पुरानी काली किताब ज़मीन पर पड़ी थी।


मीरा ने काँपती आवाज़ में पूछा "ये... ये किताब यहाँ क्या कर रही है?"


अमित ने किताब उठाने के लिए हाथ बढ़ाया... लेकिन...

"धड़ाक!!!"


किताब अपने आप खुल गई, और पन्नों पर खून से लिखे शापित मंत्र चमकने लगे!!!


तभी एक डरावनी आवाज़ आई "जिसने इस किताब को छुआ... उसकी मौत पक्की है!!!"


अचानक, किताब के पन्नों से काले धुएँ जैसी आकृतियाँ बाहर निकलने लगीं।


मीरा ने चीखते हुए कहा "अमित, इसे फेंको... जल्दी!!!"


लेकिन... अमित की आँखें एकदम खाली और काली पड़ गईं... मानो उस पर किसी का वश हो चुका हो!!!


मीरा डरकर बोली "अमित... क्या हुआ तुम्हें? बोलो...!!!"


अमित ने धीमी और भयानक आवाज़ में जवाब दिया "अब... हम... कभी नहीं बच सकते..."


अचानक गहरी धुंध से वही भूतनी प्रकट हुई!!!


उसकी आँखों से काले आँसू बह रहे थे, और वो ज़मीन से ऊपर हवा में तैर रही थी।


"तुमने किताब को छूकर अपनी मौत बुला ली..."


मीरा ने डरते हुए भगवान का नाम लिया और रोने लगी।


"प्लीज़... हमें छोड़ दो..."


भूतनी ज़ोर से हँसी और बोली "अब तुम्हें यहाँ हमेशा रहना होगा... हमारे साथ..."


अमित की आँखें अब काली पड़ चुकी थीं। उसका शरीर एकदम अजीब हरकतें कर रहा था, जैसे उस पर किसी ने काबू पा लिया हो।


मीरा ने काँपती हुई आवाज़ में कहा "अमित... प्लीज़... मुझे पहचानो!"


लेकिन अमित के होंठों से एक अजीब-सी आवाज़ निकली "अब... यहाँ से कोई नहीं जाएगा..."


तभी पीछे से भूतनी की भयानक चीख गूँजी "तुम अब हमारी दुनिया का हिस्सा बन चुके हो!!!"


अचानक चारों ओर से काले धुएँ की आकृतियाँ बनने लगीं।

हर आत्मा की आँखें लाल और शरीर से काला धुआँ निकल रहा था। "हमें अपने साथ ले जाओ... हमें मुक्त कर दो..."


वे हाथ फैलाए मीरा की ओर बढ़ने लगीं।


मीरा घबराकर चीखी "नहीं... दूर रहो!!!"


भूतनी अमित के सिर पर हाथ रखकर बोली "अब तुम हमारे बन चुके हो..."


अमित की आँखों से काले आँसू टपकने लगे, और उसकी त्वचा पर काले निशान उभर आए।


"मीरा... भाग जाओ..."


अमित ने धीमी आवाज़ में कहा, लेकिन तभी उसकी आँखें फिर से काली हो गईं।


मीरा ने अपनी पूरी ताकत लगाई और दरवाजे की ओर दौड़ी...


लेकिन... "धड़ाम!!!"


दरवाजा अपने आप बंद हो गया। "अब कोई नहीं बच सकता!!!" भूतनी और आत्माएँ मीरा की ओर बढ़ने लगीं...


मीरा को अचानक याद आया कि शापित किताब में एक मंत्र लिखा था।


"क्या वो मंत्र अमित को इस भूतनी के चंगुल से बचा सकता है?"


उसने जल्दी से किताब उठाई और पन्ने पलटे "ओम् काल-नाशाय विध्महे, मृत्युभूताय धीमहि, तन्नो शुद्धि प्रचोदयात्!!!"


मीरा ने ज़ोर से मंत्र पढ़ा। "गुरररररररररर...!!!"


भूतनी ग़ुस्से में ज़ोर से चीखी, और उसके शरीर से काले धुएँ की लपटें निकलने लगीं। अमित अचानक ज़मीन पर गिर पड़ा और उसकी आँखों का अंधेरा धीरे-धीरे ख़त्म होने लगा।


भूतनी की आत्मा अब कमज़ोर पड़ रही थी।‌उसने ग़ुस्से में ज़ोर से चिल्लाया "नहीं... यह संभव नहीं...!!!"


मीरा ने पूरी ताकत से किताब उठाई और उसके आखिरी पन्ने को जला दिया। "गुरररररररररर...!!!"


भूतनी की भयानक चीखों से गली काँप उठी, और वो आत्माएँ भी धीरे-धीरे हवा में विलीन होने लगीं।


अमित को होश आ चुका था। मीरा ने उसे पकड़कर गले लगाया और रोते हुए कहा‌"हम... बच गए, अमित..."


लेकिन... जैसे ही वे दरवाज़े से बाहर निकले... गली फिर से अंधेरे में डूब गई... और भूतनी की आवाज़ गूँजी "तुमने मुझे अभी हराया नहीं... मैं वापस आऊँगी..."


अमित और मीरा ने सोचा कि वे बच गए हैं। लेकिन जैसे ही वे 13वीं गली से बाहर निकले, हवा में फिर से वही ठंडक फैलने लगी। "तुमने मुझे अभी हराया नहीं..."


भूतनी की भयानक आवाज़ गूँजी, और अचानक... "धड़ाम!"


अमित और मीरा के पीछे का दरवाज़ा खुद-ब-खुद बंद हो गया। मीरा ने काँपते हुए कहा "अमित... ये खत्म नहीं हुआ!!!"


अमित की हथेली में काले जले हुए निशान उभर आए। "मीरा... ये क्या हो रहा है?"


मीरा ने गौर से देखा "ये... वोही शापित चिह्न है...!!!"


वो काले निशान, जो उस किताब पर बने थे, अब अमित के शरीर पर उभरने लगे। "क्या भूतनी अभी भी हमारे पीछे है?"


अचानक... चारों तरफ की लाइट्स बुझ गईं। गली फिर से अंधेरे में डूब गई।


"टिक... टिक... टिक..."‌एक घड़ी की आवाज़ आने लगी और तभी...


"कृ... कृ... कृ..." भूतनी की भयानक हँसी गूँजी।


मीरा ने अमित को झिंझोड़ते हुए कहा "अमित, हमें यहाँ से भागना होगा!!!"


लेकिन अमित अब अजीब तरह से काँपने लगा।


मीरा ने देखा अमित की आँखें फिर से काली पड़ रही थीं!!!


"न... नहीं... नहीं...!!!" मीरा ने ज़ोर से चिल्लाया, लेकिन अब अमित भूतनी के नियंत्रण में था।


अमित की भयानक आवाज़ आई "अब मैं... कभी तुम्हें नहीं छोड़ूँगा, मीरा..." और वो मीरा की तरफ बढ़ने लगा।


मीरा को समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करे।‌तभी अचानक...‌किताब का एक अधजला पन्ना ज़मीन पर गिरा मिला!!!


उस पर लिखा था "अगर शापित आत्मा को रोकना है, तो उस पर नमक और कुमकुम छिड़क दो..."


मीरा ने जल्दी से अपनी जेब में रखा लाल कुमकुम निकाला और अमित पर छिड़क दिया।


"आग्ग्ग्ग्घ्ह्ह्ह...!!!" अमित ज़ोर से चीखने लगा, और उसके शरीर से काला धुआँ निकलने लगा।


भूतनी फिर से ग़ुस्से में चिल्लाई "तुम मुझे हरा नहीं सकते... मैं हमेशा रहूँगी!!!"


लेकिन मीरा ने आखिरी पन्ने को भी जला दिया। "गुररररररर...!!!"


भूतनी की भयानक चीखों से पूरी गली हिलने लगी... और फिर... "धड़ाम!!!"


अचानक, सब कुछ शांत हो गया। अमित अब ज़मीन पर गिरा हुआ था... और उसकी आँखें फिर से सामान्य हो गईं।


मीरा ने रोते हुए कहा "अमित... तुम ठीक हो???"


अमित ने धीमी आवाज़ में कहा "हाँ... लेकिन... गली का खौफ खत्म हुआ या नहीं, ये कोई नहीं जानता..."


मीरा और अमित गली के कोने में खड़े थे। उन्हें लग रहा था कि उन्होंने उस भूतनी को कमजोर कर दिया है, लेकिन गली का अजीब सन्नाटा अब भी कुछ और इशारा कर रहा था।


अमित ने मीरा का हाथ पकड़ते हुए कहा, "हमें यहाँ से जल्द से जल्द निकलना होगा।"


वे दोनों धीरे-धीरे गली के बाहर जाने लगे, लेकिन जैसे ही उन्होंने 13वीं गली की सीमा पार करनी चाही...


"धड़ाम!!!" एक अदृश्य दीवार से टकराकर दोनों पीछे गिर पड़े।


मीरा ने काँपती आवाज़ में कहा, "अमित... हम... हम फँस गए हैं!"


अमित घबराकर दीवार को छूने लगा, लेकिन वह किसी अदृश्य शक्ति से बनी थी।


"कोई हमें यहाँ से बाहर नहीं जाने देगा..."


अचानक... गली के मकान हिलने लगे। "ठक... ठक... ठक..."


दरवाज़े अपने आप खुलने और बंद होने लगे। छतों से काले धुएँ की लहरें बहने लगीं। तभी... दीवारों पर कुछ उभरने लगा...


"अमित... देखो!!!" मीरा ने काँपते हुए ईंटों की ओर इशारा किया।


"ओह... नहीं... ये..." दीवारों पर मर चुके लोगों के चेहरे उभर आए थे!!!


उनकी आँखें सफ़ेद हो चुकी थीं, और वे तड़प रहे थे... "बचाओ... हमें बचाओ...!!!"


उनकी चीखें गली में गूँजने लगीं। अमित ने मीरा को कसकर पकड़ लिया, "हमें जल्दी से यहाँ से निकलना होगा!"


"कृ... कृ... कृ..." वही भयानक हँसी फिर से गूँजी। अंधेरे में एक काला साया उभरा। "तुमने सोचा था कि तुम मुझसे बच जाओगे?"


भूतनी अब पूरी शक्ति में थी!!! गली की छतों से बिना चेहरे के लोग उतरने लगे।


उनके शरीर काले थे... उनकी आँखों की जगह गहरे गड्ढे थे...


वे धीरे-धीरे अमित और मीरा की तरफ़ बढ़ने लगे।


"टिक... टिक... टिक..." अचानक... हवा में घड़ी की धीमी आवाज़ गूँजने लगी।


"तुम्हारे पास सिर्फ 15 मिनट हैं..." अगर वे सुबह के 3 बजे से पहले बाहर नहीं निकले, तो वे हमेशा के लिए इसी गली में फँस जाएंगे!!!


"हमें कुछ करना होगा!!!" मीरा ने जल्दी से चारों ओर देखा। तभी उसे एक पुराना कुआँ दिखा। उसके पास एक टूटी हुई लकड़ी की पट्टी पड़ी थी।


पट्टी पर लिखा था "जो इस गली का सच जान ले, वह यहाँ से जिंदा नहीं जाता..."


अमित ने पट्टी को उठाया और देखा कि उसके नीचे एक पुरानी किताब दबी थी।


"शायद हमें इस किताब में जवाब मिलेगा!!!" मीरा ने किताब को उठाया और उसके आखिरी पन्ने को खोला।


लेकिन जैसे ही अमित ने किताब के पन्ने पलटे "गुर्र्र्रर्रर्रररर...!!!"


भूतनी पूरी शक्ति में उनके सामने आ गई!!! "अब तुम बच नहीं सकते...!!!"


उसने मीरा का गला पकड़ लिया और उसे ऊपर उठाने लगी।


अमित ने तेज़ी से किताब के आखिरी मंत्र को पढ़ना शुरू किया‌"ओम मृत्योर्मे परायणाय स्वाहा!!!"


भूतनी ज़ोर से चीखने लगी!!! "नहीं... नहीं... नहीं...!!!"


गली की जमीन हिलने लगी। मकान गिरने लगे... दीवारों में कैद आत्माएँ मुक्त होने लगीं...

भूतनी एक तेज़ ग़ुस्से वाली चीख़ के साथ हवा में ग़ायब हो गई!!!


गली का सन्नाटा टूटा... और अमित और मीरा गली से बाहर निकल चुके थे... लेकिन... क्या सच में?



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