STORYMIRROR

Kunda Shamkuwar

Abstract Others

2  

Kunda Shamkuwar

Abstract Others

बेतरतीबी

बेतरतीबी

1 min
167

आज मैं किसी से मिलने उनके घर गयी। घर बड़ा था। वेल फर्निश्ड था। एक अच्छी लोकैलिटी में था। घर से अमीरी भी झलक रही थी...घर में सब कुछ था...सब आला दर्जे का....

लेकिन... इस लेकिन के पीछे वाली कहानी चाय पीते वक़्त वहाँ होनेवाली बातों से और उन ठहाकों की जोरदार आवाजों में दिखायी नहीं दी....रादर मुझे लगा कि घर के लोग उन ठहाकों से उसे छिपाने की कोशिश कर रहे थे। चाय के बीच मेरा ध्यान बार बार घर में बेतरतीबी से रखी उन सारी महँगी चीजों की तरफ़ जा रहा था। मेरे निगाहों को भाँपकर होस्ट कहने लगी कि अभी अभी हम शिफ्ट हुए है तो सामान ऐसे ही रखा हुआ है। थोड़े दिनों में ठीक कर लेंगे...वहाँ खुशी थी लेकिन वह खुशी सिर्फ मेहमानों के सामने दिखायी जानेवाली खुशी लग रही थी। न जाने क्यों मुझे वहाँ हर कमरे में पसरी बेतरतीबी खुद अपनी कहानी बयाँ करती सी लगी....बेआवाज़.....

मुझे कुछ कुछ अंदाज़ा हुआ कि जो ठहाके वहाँ अभी गूँज रहे थे वह मेरे निकलते ही शायद मंद पड़ जाएंगे.....



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract