Priyanka Gupta

Abstract Inspirational Others

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Priyanka Gupta

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अपराधिन day-20 crime

अपराधिन day-20 crime

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कोर्ट के बाहर आज और दिन से ज्यादा ही गहमागहमी थी। लोगों की भारी भीड़ जुटी हुई थी, आज धरा के मामले की सुनवाई थी। धरा, जिसने शादी की पहली रात ही अपने पति की हत्या कर दी और उसे इस बात का ज़रा भी अफ़सोस नहीं था। हत्या के बाद, उसके माथे पर एक शिकन तक नहीं आयी थी।

"एक भारतीय नारी भला ऐसा कैसे कर सकती है ?अपने सुहाग की सलामती के लिए व्रत -उपवास करने वाली नारी अपने सुहाग की जान कैसे ले सकती है ? सावित्री तो यमराज से अपने सुहाग के प्राण तक वापस ले आयी थी।" भीड़ में खड़े लोग आपस में बातचीत कर रहे थे।  

"लेकिन इस धरा को तो ज़रा भी शर्म नहीं, ऐसी पतिता अभी तक जीवित कैसे है ?इसे तो चुल्लू भर पानी में डूब जाना चाहिए था।" जितने मुँह उतनी ही बातें हो रही थी।  

"यह अपराधिन नहीं, पापिन है पापिन।" लोग अपराध और पाप का अंतर समझा रहे थे।  

"इन सब बातों से हमारे समाज पर कितना बुरा असर पड़ेगा ?", दहेज़ के लिए अपनी बहू क जलाकर मार देने वाले किसी व्यक्ति ने समाज की चिंता करते हुए कहा। यह बात और है कि सबूतों के अभाव में वह व्यक्ति बाइज़्ज़त बरी हो गया था।  

" इसके तो वकील पर भी थू है।" दसियों बलात्कार के आरोपियों के केस लड़ चुके एक वकील ने कहा।  

तब ही पुलिस की वैन ने सायरन बजाते हुए कोर्ट के प्रांगण में प्रवेश किया। सलवार सूट पहने धरा धीरे -धीरे वैन से नीचे उतरी। उसके निस्तेज चेहरे पर शान्ति का साम्राज्य था। उसके चेहरे को लाख टटोलने क बाद भी उस पर दुःख और चिन्ता की लकीरें नज़र नहीं आ रही थी बल्कि उसके चेहरे पर तो सुकून और संतोष था।  

पुलिस ने धरा के चेहरे को ढँकना चाहा, लेकिन उसने मना कर दिया। वह भीड़ की आँखों में अपने लिए गुस्सा, नफरत सब देखना चाहती थी।  

धरा के वकील के पास उसके बचाव के लिए कहने को कुछ नहीं था। धरा तो कोई वकील करना भी नहीं चाहती थी, उसे किसी से कोई शिकायत नहीं थी। वह तो हत्या के लिए मुकर्रर हर दंड भुगतने को तैयार थी। उसने अपराध किया था और उसका दण्ड उसे मिलना चाहिए। उसने कानून का उल्लंघन किया था, लेकिन उसने कोई पाप नहीं किया था। उसने जो भी किया था, अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए किया था।  

कोर्ट रूम में धरा पहुँच गयी थी। धरा के माँ-बाप और दूसरे रिश्तेदार भी वहीं थे। माँ -बाप की आँखों में आँसू थे। धरा क लिए गुस्सा ज्यादा और दुःख कम था। धरा की करतूत ने उनको भी तो अपमानित किया था। समाज उनकी परवरिश पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा था। धरा के ससुराल वालों क आँखों में उसके लिए घृणा थी।  

" माय लॉर्ड, मेरी मुवक्किल ने अपने पति की हत्या की है। लेकिन क्यों की ?यह जानना जरूरी है। जब तक हत्या के उद्देश्य का पता नहीं चलता, तब तक मेरे मुवक्किल को दंड नहीं दिया जा सकता। धरा आज आप बताइये कि आपने अपने पति की हत्या क्यों की ?", धरा के वकील ने सुनवाई की शुरुआत की।

धरा ने गीता को साक्षी मानकर सत्य बोलने की कसम खाई और कहना शुरू किया, "आप सब सत्य जानना तो चाहते हैं, लेकिन सच सुनने और उसे पचाने की हिम्मत आप में नहीं। आपको तो हमेशा से ही नारी को कटघरे में खड़ा करने और उससे स्पष्टीकरण लेने की आदत रही है। पुरुष कुछ भी करे, उसकी हर गलती माफ़, लेकिन नारी की छोटी सी बात को भी बतंगड़ बनते देर नहीं करती। आज सबकी नज़रों में मैं एक कुलटा बन गयी हूँ और मेरा गुनहगार, मेरा पति सोमेश देवता।  "

" आपने अपने पति की हत्या क्यों की ?आप सिर्फ यह बताइये।" वकील ने कहा।  

" हाँ, कोर्ट आपसे हत्या का कारण जानना चाहती है।" न्यायधीश ने कहा।  

" वह मेरा पति नहीं, मेरा बलात्कारी था। उसने मेरा बलात्कार किया था। मेरे माँ -बाप ने अपनी इज़्ज़त के नाम पर मुझे उसी से विवाह करने के लिए मजबूर कर दिया था। विवाह को उसने अपनी जीत समझा था। उसने मेरी अस्मिता को तो पहले ही तार -तार कर दिया था लेकिन उस शादी ने तो मेरी आत्मा को ही मार दिया था। उसे अपनी गलती का कोई पछतावा नहीं था। उसने कहा कि अब तो तुझे मेरे साथ ही नहीं बल्कि जिसके साथ भी कहूँ उसके साथ सोना होगा। शादी की रात उसने अपने एक दोस्त को बुला भी लिया था और दोनों ने मेरा उस दिन भी बलात्कार किया था। मेरे पास इसके अलावा कोई रास्ता नहीं था। उसके साथ ऐसी जिल्लत की ज़िन्दगी जीने से तो अच्छा है कि मैं जेल में रहूँ या कोर्ट मुझे फाँसी दे दे।" धरा ने कहा।  

कोर्ट रूम में सन्नाटा छा गया था। अब लोगों की नज़रों में धरा के माँ -बाप के लिए कई सवाल थे। उनकी झुकी हुई नज़रों ने सवालों के जवाब खुद बा खुद दे दिए थे।  

" चाहती तो आत्महत्या भी कर सकती थी, लेकिन मैं आप सब लोगों से पूछना चाहती थी कि कब तक आप अपनी घर की इज़्ज़त को अपने घर की औरतों की योनि में रखेंगे ?कब तक आप इज़्ज़त के नाम पर अपनी नारियों को पल -पल बेइज़्ज़त करेंगे। इससे ज्यादा मुझे कुछ नहीं कहना।" धरा ऐसा कहकर चुप हो गयी थी।  

कोर्ट ने पुलिस को पूरा केस दोबारा से इन्वेस्टीगेट करने के निर्देश दिए। धरा की कही एक -एक बात सत्य प्रमाणित हुई। कोर्ट ने धरा को 6 माह के कारावास की सजा सुनाई।  


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