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Archana Tiwary

Abstract

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Archana Tiwary

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अपनापन

अपनापन

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 अभी छः महीने पहले ही हमारे पड़ोस में सुरेखा आंटी रहने आई थी ।उम्र उनकी लगभग सत्तर की थी पर दिखती चालीस से ज्यादा की न थी ।सुबह शाम नियमित टहलना और योगा करना उनकी दिनचर्या में शामिल थी ।बहुत ही खुश मिजाज और हंसमुख स्वभाव की धनी थी ।मैं एक अच्छी पड़ोसन पाकर अपने आप को खुशनसीब मानती हूं क्योंकि यह भी एक सौभाग्य की बात है ।उनकी बहू नेहा जो अभी-अभी अमेरिका से वापस आई है ,उसने बताया की सुरेखा आंटी उनकी सास नहीं बुआ सास है ।मेरी सास का तो निधन तीन साल पहले हो चुका है ।मैंने पूछा "आंटी हमेशा तुम्हारे साथ ही रहती है वह अपने घर नहीं जाती उनके पति और बच्चे नहीं है क्या ?"यह प्रश्न पूछ कर मुझे खुद पर भी शर्म आने लगी यह भी तो उन्हीं का घर है फिर ऐसा प्रश्न क्यो? नेहा ने बताया "आंटी की शादी एक डॉक्टर के साथ हुई थी और वह खुद भी एक मनोचिकित्सक डॉक्टर हैं, पर यह विवाह लंबे समय तक टिक न सकी क्योंकि उनके पति इंग्लैंड में रहते थे और उन्होंने वहाँ एक दूसरी शादी भी कर रखी थी ।जिसका पता शादी के बाद बुआ को हुआ, इसलिए उन्होंने उनसे अलग होने का फैसला कर लिया।उस समय से वो हमारे साथ ही रहती है।"नेहा ने बताया कि "आंटी हमें अपने बच्चें जैसा प्यार करती है ।कभी हमें परायेपन का अहसास होने नही देती ।"

मेरे मन में सुरेखा आंटी के लिए सम्मान बहुत बढ़ गया ।सचमुच आज हर घर में कलह की बातें सुन कर ऐसे परिवार का होना ही अपनेआप में सौभाग्य की बात है।नेहा ने बताया कि आंटी को जानवरों से बहुत लगाव है इसलिए उन्होंने एक कुत्ता पाला है जिसका नाम टाइगर है।नाम के जैसा ही वो टाइगर की तरह ही डिल डॉल वाला भूरे रंग का चमकीली आँखों वाला कुत्ता था।अक्सर आंटी शाम में टाइगर के साथ टहलने निकलती थी।मुझे देख हँस कर अभिवादन करती।पिछले चार पांच दिनों से आंटी दिखाई नही दी तो मैंने नेहा से पूछा तो उसने बताया कि टाइगर की तबीयत अच्छी नही है इसलिए आंटी उसे बाहर नही लाती और खुद भी नही निकलती है।उसी से मुझे पता चला की आंटी वेजिटेरिअन है और उन्होंने टाइगर को भी वेजिटेरिअन ही रखा है ।मैं सोचने लगी इतना तगड़ा टाइगर वेजेटेरियन हो सकता है ये विश्वास से परे है।उसके खान पान का ख्याल अपने बच्चों की तरह ही आंटी रखती थी। उसे अरहर की दाल बहुत पसंद है ऐसा उन्होंने बताया।दो दिन पहले

सुबह सुबह रोने की आवाज़ आने से मन आशंकित हो उठा।बहुत ध्यानसे सुनने पर पर पता चला की आवाज़ आंटी के घर से आ रही है।वहाँ जाकर देखा तो आंटी जोर जोर से रो रही थी पास ही टाइगर का शव पड़ा था।घर के लोग उनको घेरे सांत्वना दे रहे थे।मुझे कुछ समझ न आ रहा क्या बोलूँ? जिस टाइगर को उन्होंने अपने बच्चे की तरह पाला था उसकी मौत पर कितना दर्द महसूस कर रही होगी।माहौल बहुत ही गमगीन था ।मैं ज्यादा देर वहाँ रुक न पायी ।घर आकर पूरे दिन सोचती रही की हमसब जीवन के इस कटु सत्य से परिचित है फिर भी ऐसी स्थिति में ईश्वर को कोसते हैं।दिल से आवाज़ आ रही थी कि आंटी भी अपनेआप को संभाल लेगी ।आखिर ममतामयी औरत होने के साथ साथ वो मनोचिकित्सक भी हैं। उन्होंने तो न जाने कितने लोगों के मन को पढ़ा होगा, पर कहते है न दूसरों को समझाना आसान होता है पर जब अपनी बारी आती है तो हम असमर्थ असहाय हो जाते है।

टाइगर के जाते ही आंटी की तबीयत खराब हो गयी।वो रात भर सोती न थी।बार बार एक ही बात दोहराती मेरे टाइगर को वापस ला दो।नेहा ने बताया उन्हें डायबेटीज़ और बीपी की भी बीमारी है।डॉक्टर ने हॉस्पिटल में भर्ती होने की सलाह दी है ताकि अच्छे से इलाज हो सके।रात में नेहा का फ़ोन आया बहुत घबराई आवाज़।उसने कहा आप अभी मेरे घर आ सकते हो आंटी को हॉस्पिटल से दोपहर में घर लाये हैं।दिन में ठीक थी पर अब उनकी सांसे बहुत तेज़ चल रही है।मुझे समझ नही आ रहा मैं क्या करूँ।नेहा के पति अब भी अमेरिका में थे घर में वो अकेली अपनी छोटी बेटी के साथ थी।मैंने घडी देखी तो ग्यारह बजे रहे थे।इतनी रात उसके घर जाना सही होगा पर न जाने पर भी सो नही पाऊँगी ,ये सोच मैं चली गयी।देखा तो आंटी की साँसे तेज़ चल रही थी।थोड़ी थोड़ी देर में ऑंखें खोल मुझसे कहती मेरे टाइगर को ले आओ।उनकी आंखोसे आंसू निकल पड़ते और वेदना से कराह पड़ती।मैंने समझाने की बहुत कोशिश की पर बार बार वो एक ही रट लगा रही थी।मैंने नेहा से पूछा की आंटी ने कुछ खाया कि नही तो उसने इशारे से बताया कि दो तीन चम्मच खिचड़ी खाया है।मैने कहा "आप ठीक से खाओगे नही तो ठीक कैसे होंगे।" मुझे अपने टाइगर के पास जाना है कहते हुए उन्होंने मेरी तरफ देखा औरआंख बंद कर ली। नेहा ने कहा अब आंटी सो जायेगी ।काफी देर तक जब उन्होंने आंखें न खोली कोई हरकत न हुई तो मैंने उन्हें जगाने की कोशिश की पर स्पर्श करते ही देखा उनका शरीर ठंडा हो गया था।इतनी आसानी से मन की उलझन को समझने वाली आंटी आज अपनी मन को समझाने में इतनी असहाय हो गयी थी।चिर निद्रा में सोई आँखों में सुकून था एक आस अपने टाइगर से मिलने की।



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