आईना
आईना
मीरा घर का काम जल्दी जल्दी खत्म कर रही थी ।आज पड़ोस में शादी है और मीरा की सास ने सख्त हिदायत दी थी कि वक्त पर वहां पहुंच जाना।
उसने अपनी बनारसी और भारी जरी वाली साड़ियों को निकाला ।अचानक सुरभि की याद आई। हां, वह उसको साड़ियों के चयन में मदद करेगी ।यह सोचकर उसने सुरभि को आवाज लगाई। सुरभि ने कमरे में आते हैं मां की निकाली गई सभी साड़ियों को देखकर मुंह बनाते हुए कहा_" इन साड़ियों में से ही आज कोई साड़ी पहनने वाली हो क्या"?
"हां ,क्यों यह अच्छी नहीं है?"
"यह सब पुराने फैशन के हैं। तुम्हें तो न फैशन की जानकारी है और न इसकी समझ और देखो जरा अपनी तरफ अब तुम्हारी उम्र तुम्हारे चेहरे से साफ झलकती है। यह चटकीले रंग की साड़ी पहनोगी तो लोग क्या कहेंगे ?" इतना कहकर सुरभि ने एक हल्के रंग की मामूली सी साड़ी उसे थमा दी। मीरा खुद को आईने में निहारने लगी तो क्या सचमुच वह बुढी हो गई है! क्या उसकी जतन से रखी साड़ियां अब उसके काम की नहीं?