Archana Tiwary

Drama

3  

Archana Tiwary

Drama

आधुनिकता

आधुनिकता

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कई दिनों से मैं महसूस कर रही थी कि सरोज के आंखों की चमक बोलने की खनक पहले जैसी नहीं रही । मैंने सोचा बच्चों की पढ़ाई और पति के सेहत की चिंता ही शायद इसकी वजह होगी पर जब सरोज ने आकर मुझसे इसकी वजह बताई तो मैं भी सोचने लगी कि क्या सचमुच आधुनिकता की अंधी दौड़ में शामिल हो आज की युवा पीढ़ी मर्यादा की हर सीमा को लांघ कर लेश मात्र भी शर्मिंदगी महसूस नहीं करती।


 यह सिर्फ सरोज कि नहीं उसके जैसे न जाने कितने अभिभावकों की समस्या है जिसे चाह कर भी वह बता नहीं पाते या बताने में भी शर्म महसूस करते हैं ।सरोज मेरे पड़ोस में रहती है। पति गवर्नमेंट ऑफिसर थे पर अब रिटायर होने के बाद अपना पूरा समय अपने घर की बगिया को समर्पित कर चुके हैं। सरोज का बेटा आकाश पढ़ाई के सिलसिले में पिछले पांच सालो से मुंबई में रहता था। तीन दिन पहले अचानक अपने घर एक लड़की को साथ लेकर आया। सरोज ने पूछा तो बताया कि यह मेरी अच्छी दोस्त है ।मुंबई में इसने मेरी बड़ी मदद की है इसलिए मैं इसे यहां आप लोगों से मिलाने ले आया। सरोज हमेशा से छोटे शहर में रहने वाली एक स्वतंत्र विचार की स्त्री है। अचानक आकाश के साथ एक लड़की को देख उसका माथा ठनका। उसने खुले दिल से रीटा हां यही नाम बताया था उसने उसका स्वागत किया। उन दोनों को आए दो दिन हो गए पर इन दो दिनों में रीटा आकाश को एक पल के लिए भी अकेला न छोड़ती । सरोज आकाश से अकेले में बात करना चाहती थी। मन में कशमकश और होंठों पर मुस्कुराहट लिए जैसे तैसे दो दिन और गुजर गए। अब तो सरोज और उसके पति के धैर्य की चरम सीमा आ गई। सरोज ने आकाश को अपने कमरे में अकेले आने के लिए जैसे ही कहा तो झट पास खड़ी रीटा ने पूछ लिया_ ऐसी कौन सी बात है आंटी जो आप मेरे सामने नहीं बोल सकती ।अब तो मेरे और आकाश के बीच कुछ भी छिपा नहीं है। सरोज ने कहा _कुछ ऐसी बातें होती है जो परिवार के लोग ही आपस में करते हैं उसमें किसी और की उपस्थिति की जरूरत नहीं होती।  मैं भी तो आपके परिवार की सदस्य ही बनने वाली हूं, क्यों ठीक कहा न कहते हुए उसने आकाश की तरफ देखा। आकाश ने झेंपते हुए मां की तरफ देखा और कहा_ हां ,मैं आपको बताने ही वाला था कि हम एक दूसरे को बहुत पसंद करते हैं और अब शादी करना चाहते हैं ।तो तुमने यह बात पहले क्यों नहीं बताई? बताना तो पहले ही चाहता था पर सही वक्त का इंतजार कर रहा था। जब तुम दोनों ने शादी का निर्णय कर ही लिया है तो फिर हमारे इजाजत की जरूरत ही क्या है कहते-कहते सरोज की आंखों से आंसू ढुलक आए। तुमने निर्णय लेने से पहले ये नहीं सोचा कि रीटा तुमसे उम्र में बड़ी है और उसकी जाति भी तो ....।इन सब से क्या फर्क पड़ता है ।दो साल से मुंबई में हम दोनों एक ही फ्लैट में रहते हैं। हां शादी का निर्णय लेने में हम लोगों ने कुछ देर कर दी पर अब आप लोग अपना आशीर्वाद देकर हमें शादी की अनुमति दें। अब वो क्या कहती। आकाश की बातों ने उसके दिल को छलनी कर दिया था। होठों पर फीकी मुस्कुराहट लिए वह सोचने लगी क्या सचमुच अब बड़े शहरों में और छोटे शहरों में इतना फासला आ गया है कि बच्चे अपनी जिंदगी के इतने बड़े फैसले में भी अभिभावकों को शामिल नहीं करना चाहते। ये कैसी आधुनिकता है जिसकी आंधी में संस्कार कांपते पत्ते की भांति अपनी वृक्ष से टूट कर बिखरते जा रहे हैं।


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