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Mukta Sahay

Abstract

4.5  

Mukta Sahay

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अनमोल ख़ज़ाना किताबों का

अनमोल ख़ज़ाना किताबों का

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माधुरी को हिंदी साहित्य पढ़ने का बड़ा शौक़ था। जब भी मौक़ा मिलता प्रेमचंद, शिवानी, दिनकर, महादेवी जी, शरत चंद आदि सभी की किताबें ख़रीदती रहती। धीरे धीरे उसके पास इतनी किताबें इक्कठा हो गई थीं कि पूरा भंडार बन गया था। मायका ससुराल एक ही शहर मैं था तो महीने में एक बार मायका आना तो हो जाता था। शादी के बाद जब भी मायके आती कुछ किताबें साथ ले जाती और समय मिलने पर पढ़ती।

शादी के बाद लगभग दस महीने हो गए थे पर कोई नया किताब नहीं लिया था माधुरी ने। ऐसा पहली बार हुआ था।इस बार जब वह मायके आई तो एक ग़त्ते के बक्से में भर कर अपने किताबों का ख़ज़ाना साथ में ससुराल ले गई। वहाँ इतने सारे किताबों को देख कर सासु माँ ने कहा ये क्या कबाड़ उठा लाई हो मायके से। पहले भी माधुरी को उसके पुस्तक प्रेम पर बहुत कुछ सुनने को मिल चुका है। एक बार तो उसकी सास ने कबाड़ी को भी बुला लिया था उसके पास की किताबों को बेचने के लिए। अब तो सास का ग़ुस्सा देख वह थोड़ी परेशान हो गई की कहीं उसकी किताबें बेच ना दी जाए।

रात भर उसे नींद नहीं आई।

माधुरी सोचती रही की क्या उपाय किया जाए की किताबें सुरक्षित रहें। सुबह उठते उठते उसे एक उपाय सूझ गया था। सुबह के नाश्ते के बाद माधुरी ने ननद को बुलाया और महादेवी जी की एक किताब उसे दे कर कहा, नीता आप इसे पढ़े बहुत ही अच्छी किताब है। इसमें मोती जैसे ही पालतू जानवर की कहानी है। मोती घर का पालतू कुत्ता है जो म

ाधुरी की ननद को बहुत प्यार है। माधुरी की ननद माधुरी से शायद पाँच साल तक छोटी होगी। एक प्रेमचंद की पुस्तक ससुरजी को पकड़ा दिया। थोड़ी आनाकानी के बाद उन्होंने भी पुस्तक रख ली। मौक़ा मिलते एक किताब पति को पढ़ने को दे दी। दरसल माधुरी ने कोशिश करी की सभी को किताब पढ़ने की लत लग जाए ताकि उसकी किताबों का ख़ज़ाना सुरक्षित हो जाए। हाँ इस दौरान माधुरी ने अपनी सास को पूरी तरह खुश रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी। 

दो दिन तक किसी ने माधुरी की दी किताब पढ़ना शुरू नहीं किया था पर उसने भी हिम्मत नहीं हारी। सभी को किताब पढ़ने को उकसाती रही। अगले दिन जब शाम की चाय देने माधुरी ससुर जी के कमरे में गई तो क्या देखती है ससुरजी सासु माँ को प्रेमचंद की किताब पढ़ कर सुन रहे है।

वह चाय रखने लगी तो ससुर जी ने कहा माधुरी ये किताब तो बड़ी अच्छी है हमारे समय का बड़ा ही सजीव वर्णन है इसमें। मुझे तो ये कहानी बड़ी अच्छी लगी इसलिए तुम्हीं सास को भी सुना रहा हूँ। इसपर सास भी कहती हैं सच में कहानी तो बहुत ही अच्छी है। माधुरी तेरे पास तो बहुत सी किताबें है, एक दो और अच्छी किताबें दे देना मैं इनसे कहूँगी पढ़ कर सुना दिया करेंगे। मज़ा भी आएगा और इनकी रोज़-रोज़ की किचकिच से छुटकारा भी मिलेगा। सासु माँ की बात सुन कर माधुरी की ख़ुशियों की कोई सीमा नहीं थी। उसका उपाय काम कर गया था और किताबों का ख़ज़ाना बच गया था। इसे ही कहते हैं जहाँ चाह वहाँ राह।


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