माँ ! मेरे मामा क्यों नहीं हैं-अध्याय 2
माँ ! मेरे मामा क्यों नहीं हैं-अध्याय 2


अमित, मेरा आठ वर्षीय बेटा, खेलने को निकला और मैंने मामा को फ़ोन लगाया। मेरे मायके के तरफ़ के किसी से मैं अगर बात कर सकती थी तो वह थे मामा। माँ से तो चोरी-छुपे बात होती थी, जब घर में कोई नही होता तो माँ फ़ोन करती थीं। कभी एक महीने में तो कभी तीन महीने बाद। मैं तो माँ को फ़ोन कर ही नही सकती थी क्योंकि अगर किसी को भी पता चला की माँ की मुझ से बात होती है तो फिर माँ के लिए तो बहुत परेशानी हो जाएगी। मेरे स्वयं के पसंद की शादी के कारण मेरे मायके वाले नाराज़ है मुझसे, सालों से।
मामा ने जैसे फ़ोन उठाया मैंने कहा, "मामा अमित को भी मामा चाहिए है" और इसके साथ ही मैं रुक नही पाई, मुझे रोना आ गया। उस तरफ़ से मामा मुझे चुप करने की कोशिश कर रहे थे और इधर मैं खुद पर क़ाबू पाने की। किसी तरह रोना थमा तो मैंने अमित की जिज्ञासा उन्हें बताई। उन्होंने कहा "तो उसे सब सच बता दे।" मैंने कहा," अमित अभी छोटा है शायद वह समझ ना पाए पूरी बात और फिर मैं नही चाहती कि उसके मन में किसी भी रिश्ते के प्रति कोई धारणा बने।' मामा ने कहा "बात तो तू सही कह रही है पर अमित के सवाल का निस्तारण भी ज़रूरी है। चल मैं तेरी माँ से बात करता हूँ और पता करता हूँ कि वहाँ इतने सालों में विचारों की कोई नरमी आई है या नही। तेरे पापा को भी टटोलता हूँ। शायद अमित के मन के भाव उसके ननिहाल तक पहुँच रहे हों।"
मामा से बात तो हो गई लेकिन अभी खेल कर आते ही अमित को कुछ तो समझाना ही होगा सो मैं मंथन के लिए बैठ गई। उसके बहलाने के तरीक़े ढूँढ रही थी साथ ही उसके लिए बर्गर बना रही थी। थोड़ी देर में अमित खेल कर आ गया और मेरा पूरा प्रयास था उसके मन को मामा वाली बात से दूर रखने का। आते ही मैंने उसे खाने को उसके पसंद की बर्गर दी और बताया की उसके दोस्त निमेश का फ़ोन आया था बात कर ले। घर आते ही अमित को मैंने व्यस्त कर दिया। जब वह दोस्त से बात कर फ़ोन देने मेरे पास आया तो फिर उसे मैंने कल के टेस्ट की पढ़ाई के लिए याद दिलाया और उसे पढ़ने बिठा दिया। किसी तरह आज मैंने अमित के सवाल को टाल दिया और राहत की साँस ली। मैंने सोंचा इस बारे में अनुराग जी से भी बात करती हूँ शायद वह कुछ युक्ति सुझाएँ और उनके आने का इंतज़ार करने लगी।
क्रमशः