Priyanka Sagar

Abstract

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Priyanka Sagar

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अधूरी जिदंगी से नई जिदंगी

अधूरी जिदंगी से नई जिदंगी

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शहर मे संजय का अपना बिजनेस हैं जिसमें संजय को बिजनेस मे लाखों रूपये का नुकसान उठाने के बाद उसको अहसास हुआ कि वह बिजनेस करने के लिये नहीं बना हैं।बिजनेस मे उसका मन नहीं लगता।बिजनेस करने के लिये संयम,सही वक्त ,समय और मेहनत चाहिए।इस समय तो संजय को अपनी जिदंगी की गाड़ी को चलाने के लिये किसी काम या नौकरी की तलाश थी।बिजनेस के लिये वह बैंक से लाख रूपया का लोन भी ले रखा था जिसका उसे हर महीना ब्याज भी देना पड़ता था।हर वक्त घर मे अजीब सा तनाव बना रहता ।बच्चे डरे सहमे से रहते।उन्हें हर वक्त यह सुनना पड़ता कि एडजस्ट करो,घर मे पैसे नहीं हैं।संजय अपना गुस्सा किस पर निकाले।पापा से लड़ा कि उन्होंने ऊँची शिक्षा नहीं दिलवाई।मम्मी पर गुस्सा निकाला कि उन्होंने उसे बोल्ड नहीं बनाया।पत्नी से भिड़ गया कि सिर्फ वो काम क्यों करे?पत्नी को भी कमाना चाहिए।संजय को लगता कि उसकी जिदंगी अधूरी रह गई।अब वह किसी काम का नही रह गया।अच्छे खासे खुशहाल परिवार को जैसे किसी की नजर लग गई।नौकरी की तलाश मे जाने के क्रम मे उसे अपने कॉलेज के समय के दोस्त से मूलाकात हुई।वह एक बड़ी कम्पनी का डायरेक्टर था।संजय की ऐसी स्थिति देखकर उसने अपनी कम्पनी मे संजय को अच्छी पोस्ट पर रख लिया। उसने संजय को अपनी तरफ से मानसिक एवं आर्थिक सहयोग प्रदान की।संजय नौकरी से अच्छा खासा पैसा कमाकर बैंक का लोन खत्म किया।फिर बच्चों को ऊँची शिक्षा दिलाई।पत्नी की भी रुकी पढाई शुरू करा कर सरकारी संस्थान से उसके कैरियर की शुरुआत करवाई।कभी कभी पुराने दोस्तों से भी सहारा मिलता हैं।संजय का दोस्त उसके कठिनाइयों के दिन मे सहारा बनके उसका साथ दिया।अब संजय के जिदंगी से दुख के बदरी हट गये।संजय को अधूरी जिदंगी से नई जिदंगी मिल गई।




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