मोतीचूर के लड्डू
मोतीचूर के लड्डू
दीपावली के दिन सुबह से काम की भरमार रहती है.. बच्चे अपने कॉलेज से छुट्टी पर घर आ गये हैं ..... घर मे रौनक ही रौनक है..घर मे दिन भर हल्ला-गुल्ला का माहौल बना रहता है....बच्चे अपनी मस्ती मे लगे रहते है....मै बच्चा लोग की फरमाइश पूरी करने मे किचेन मे व्यस्त रहती..हमारी बाजार की सभी शापिंग पूरी हो गई....केवल प्रसाद के लिये मोतीचूर का लड्डू लाना बाकी रह गया था.....मैने इनसे मोतीचूर का लड्डू लाने के लिये बोल दिया....ये भी जब समय मिला तो मोतीचूर के लड्डू लाके रख दिये ..... शाम मे पूजा के समय।
हम दोनों पूजा करने बैठे .....जब प्रसाद चढ़ाने के लिये मिठाई का डिब्बा खोला तो मोतीचूर के लड्डू न होकर काजू कतली मिठाई है....दूसरा मिठाई का डिब्बा देखा तो उसमे भी सूखा रसगुल्ला है.....मैने इनसे पूछा मोतीचूर के लड्डू कहाँ हैं आपने लड्डू नहीं लाया....ये असमंजस मे कभी मिठाई के डिब्बे को देखते कभी ये मुझे देखते.....ये परेशान हो गये कि लड्डू कहाँ रह गया....बाद मे मुझे इनकी परेशानी समझ आई ये मिठाई के दुकान पर गये वहाँ दीवाली की वजह से पहले से ही भीड़-भाड़ है...दुकानदार ने गलती से मोतुचूर के लड्डू के बदले इन्हें काजू कतली और सूखा रसगुल्ला दे दिया ।अब पूजा का समय हो चला है ये बोले कि मिठाई के दुकान से बदल कर मोती चूर के लड्डू लाता हूँ । मैने कहा फिर आने- जाने मे घंटा भर लगा दिजीये गा ......चलिये लक्ष्मी नरायण का पूजा करते हैं .......खैर ,इस बार मोतीचूर के लड्डू के बदले लक्ष्मी नारायण को काजू कतली का भोग प्रसाद मे लगाई....