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Priyanka Sagar

Tragedy

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Priyanka Sagar

Tragedy

पकड़म-पकड़ाई

पकड़म-पकड़ाई

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चलो बच्चों, अब पकड़म-पकड़ाई खेलते हैं। अंकल के कहते ही सब बच्चें हाँ....करते हुये पूरे जोश के साथ खड़े हो गये।अक्कड़ -बक्कड़ ब़बे बो अंकल पर आकर रूका।उन्हें सभी बच्चों मे से किसी एक को पकड़ना था।सारे बच्चे दूर -दूर छितर गये।अंकल कभी छोटे बच्चों की तरफ भागते कभी रीमा की तरफ।बच्चे बहुत फुर्तीले थे अंकल के हाथ नही आते।अंकल छोटे बच्चों को छोड़ कर रीमा की तरफ पीछे भागे।भागती रीमा को पेड़ो के झुरमुट के पीछे पकड़ लिया और जोर से चिल्लाए, " पकड़ लिया, पकड़ लिया..."

रीमा हँसती-हाँफती हुई खुद को उनकी गिरफ्त से छुड़ाने की कोशिश करती दोहरी हो गयी। अचानक रीमा बच्चों से बोली, "चलो, हमें नही खेलना अंकल के साथ...।" और गेंद उठाकर बच्चों के संग दादू की तरफ चल दी। 

"दादू, घर चलो।"

"चलते हैं रीमा, थोड़ी देर और खेलो अभी अंकल के साथ। "

"हमें नही खेलना अंकल के साथ, और कभी नहीं खेलेंगे इनके साथ।" 

"क्यों, क्या हुआ, रीमा ?" दादू ने रीमा का तमतमाया चेहरा देख पूछा।

"अंकल गंदे हैं !"

रीमा इतने जोर से चीखी की सब उसकी तरफ देखने लगे।

आप लोगों को "पकड़़म पकड़ाई" कहानी कैसा लगा ?आपके सुझावों का इंतजार रहेगा। आपकी दोस्त।


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