लँगड़ा भिखारी
लँगड़ा भिखारी
एक गाँव मे एक सेठ जी रहते। उसी गाँव मे एक चोर रहता। वह सेठ जी घोड़ों का बहुत ही शौकीन था। उनमें एक घोड़ा बहुत तेज दौड़ने वाला था। वह घोड़ा बहुत ही कीमती भी था। एक दिन एक चोर की नजर उस घोड़े पर पड़ी। वह चोर सेठ जी के पास आया। उसने कहा... सेठ जी,यह घोड़ा मुझे दे दो। सेठ जी ने मना कर दिया।चोर एक दिन लँगड़े वेश में भिखारी बन गया। जब सेठ जी किसी दूसरे गाँव जा रहा थे। वह बोला...बाबा, मुझे भी अगले गाँव जाना हैं। आप मुझे छोड़ने की कृपा करें। सेठ जी ने कहा...ठीक हैं, तुम भी पीछे बैठ जाओ। थोड़ी देर मे सेठ जी को प्यास लगी। वह चापा कल के पास रूक गया। इतने मे तो वह चोर घोड़ा को लेकर चला गया।
सेठ जी ने उसको आवाज दी तब चोर ने कहां..सेठ जी, मैं वहीं चोर हूँ, जिसने तुमसे घोड़ा माँगा था। तुमने घोड़ा नहीं दिया। सेठ जी ने कहा... बाबा, यह घोड़ा जो तुम चाहो तो ले जाओ पर यह बात तुम किसी और को मत कहना या बताना।
चोर ने पूछा...क्यों?
सेठ जी ने कहा... फिर कोई किसी लँगड़े भिखारी या बेबस इंसान पर भरोसा नहीं करेगा। चोर के हृदय का मनो भाव बदल गया। उसने घोड़े को सेठ जी को वापस कर दिया। चोर ने चोरी करना छोड़ दूसरा काम करने लगा।
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