हमारे घर बहू के साथ आना
हमारे घर बहू के साथ आना
अजय का अपनी पत्नी आशा से बात -बात मे झगड़ा हो गया।अजय ने आशा को गुस्से मे थप्पड़ मार दिया।आशा गुस्से मे घर छोड़ने और अजय को तलाक देने के लिये कह कर अपने मायके नाइटी मे ही चली गई।अजय और आशा की शादी को दो साल हुये हैं ।अजय मल्टीनेशनल कंपनी मे काम करता। आशा हाउसवाइफ हैं।आशा पढी-लिखी नारी हैं।वह शादी से पहले जॉब करती थी।पर शादी के बाद अजय के कहने पर आशा ने जॉब छोड़ दिया ।वह अपनी घर-गृहस्थी को संभालने लगी।
आशा और अजय की झगड़े की खबर अजय और आशा के मम्मी -पापा को लगी तो वे लोग चितिंत हो गये।क्योंकि आशा प्रेग्नेंट हैं।उसका सातवां महीना चल रहा हैं।
अजय के मम्मी-पापा सीधे-सादे इंसान हैं ।उन्होंने जब सुना तो आशा के पास चले गये।आशा को साथ चलने के लिये बोला तो आशा ने कहा... "अजय मुझे पसंद नहीं करते। मेरे प्रत्येक काम मे मीन-मेख निकालते रहते।मैं अब उनके साथ नहीं रहूँगी।" तब अजय के पापा मम्मी ने कहा... "घर मे छोटे- मोटे झगड़े होते रहते हैं पर उसको इग्नोर करके घर-गृहस्थी के मामले में आगे बढना चाहिये।"आशा के मम्मी पापा ने भी अपनी बेटी आशा को समझाया।आशा अपने ससुराल जाने के लिये तैयार हो गई ।पर वह बोली कि बच्चा हो जायेगा तब वह घर जायेगी।
इधर अजय अकेला पड़ गया।तब वह अपने मम्मी-पापा के पास मिलने गया।अजय के मम्मी-पापा ने अजय से बात भी नहीं की।अजय मम्मी-पापा से बात करना चाहता तोअभय के मम्मी-पापा उसकी कोई बात पर ध्यान नहीं देते।अजय खीझकर अपने मम्मी - पापा से कारण पूछता है।तब बिफर कर अजय की माँ बोलती है.... "यह हमारा घर है कोई धर्मशाला नहीं ।तुम अकेले क्यों आये हो? बहू कहाँ हैं? हमारे घर मे तुम्हें बहू के साथ आना होगा अन्यथा हमारे घर मत आना।" अपनी माँ का गुस्सा देख अजय फफक कर रो पड़ा।बोला..... "माँ आपकी बहू घर छोड़कर चली गई है। मैं क्या करूँ ?अजय के पापा ने कहा..."जाओ बहू को मनाकर अपने घर लाओ वह हमारे घर की लक्ष्मी है।तुम उसकी कद्र करना सीख लो वह तुमको सम्मान देने लगेगी।"अजय ने निश्चय किया कि वह अपनी पत्नी आशा को मनाकर जरुर घर लायेगा।