Priyanka Sagar

Inspirational

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Priyanka Sagar

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माटी का दीया

माटी का दीया

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बिहार के छोटे से गाँव का रहने वाला रामलाल कुम्हार का काम करता । रामलाल के हाथों माटी का दीया बहुत ही सुंदर- सुंदर बनता। उसके हाथों के बने दीये बाजार मे तुरंत बिक जाते। छोटा गाँव होने के कारण उसके दीये शहर के बाजार मे नहीं जा पाते। गाँव से शहर जाने का रास्ता बहुत ही जटिल था। वह अपने दीयों को बड़े शहर मे बेचना चाहता। इसी सिलसिले मे वह हरियाणा गया।वहां उसको यमुना सिंह के ईटभट्टे मे काम मिल गया। उसने अपने मालिक का विश्वास जीत लिया।

 मार्च के महीने मे कोरोना से लॉकडाउन हुआ तो सब मजदूर अपने घर को लौट आये। उसमे रामलाल भी अपने घर को लौट आया। रामलाल का परिवार मे आठ सदस्य हैं। गाँव आकर वह फिर से दीये बनाने लगा। पर अब कोरोना की मार से सब ब्यापार ठप्प पड़ा था।किसी तरह रामलाल का परिवार भगवान भरोसे चल रहा था।

अनलॉक होने पर फिर ईट भट्ठे का काम चालू हो गया। रामलाल अपना विश्वास अपने मालिक से बनाये हुये था।मालिक ने फोन किया तो रामलाल ने आने से मना कर दिया। कहां....मेरे माँ बाप का तबीयत खराब हो गया है मैं उनको छोड़ कर नहीं आ सकता। माँ बाप का तबीयत ठीक हो जायेगा तो मैं आ जाऊंगा।

 यमुना सिंह ने रामलाल के गाँव का पता मालूम कर वह उसके गाँव आया। रामलाल की छोटी सी झोपड़ी मे बुढे माँ-बाप के साथ आठ लोगों को रहते देख यमुना सिंह द्रवित हो गये।

उन्होंने रामलाल से कहां..तुम आज के श्रवण कुमार हो। तुम्हारे जैसा पुत्र सब माँ-बाप को मिले। सब कुछ खुलते ही मैं अपनी पूंजी से यहां ईटभट्टा लगवाऊंगा। जिसे तुम संभालना। लाभ के हिस्से मे से कुछ हमको दे देना। इतना कह यमुना सिंह ने विदा ली।

आप लोगों को "माटी का दीया" कैसा लगा ? आपके सुझाव का इंतजार रहेगा।आपकी दोस्त।


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