आतंक को हराना
आतंक को हराना
आज मैं आपको एक ऐसी सच्ची घटना बताने जा रही हूं, जिसे बताने से मुझे मना किया गया है कि बच्चों से डरावनी बात मत करना, कहीं आपके अंदर डर ना बैठ जाए। पर मुझे लगता है डर से जीतने का यही तरीका है कि डर का सामना करना l क्या आप इतना साहस दिखाने को तैयार हैं कि मैं अपने डर को तुम्हारे सामने रख सकूं।
कक्षा में सन्नाटा, की जवाब नहीं आता है। पर बच्चे अपने हाव भाव से बताते हैं कि वो मुझे सुनना चाहते हैं। डरते - डरते हुए ही सही पर वे थे।
ये डरावना केवल मेरे लिए नहीं था, काफी लोग शिकार हुए हैं इसके। मुझे बताया गया था की ये मेरे बस की बात नहीं है, मैं इस पर ध्यान ना दूं। लड़कियों को अपने मिजाज़ की पढ़ाई से वास्ता रखना चाहिए। आगे जाकर करना ही क्या है, घर ही तो संभालना है, बच्चे तो ही पालने हैं। घरवालों ने यही बात बार -बार बोलकर मेरे जेहन में डाल दी, रिश्तेदारों ने इसको इतना सुनाया की मेरे खून में ये बात बहने लगी कि मुझसे नहीं होगा। और ये बात मेरी रूह में जब उतर गई तब मेरे गणित के टीचर ने ही इसको ना केवल सिद्ध कर दिया बल्कि मेरे भविष्य की घोषणा भी कर दी। उन्होंने किसी और का पोर्टफोलियो ना बनाया हो पर मेरा तैयार था l मेरे मम्मी पापा के सामने, पूरे स्कूल के सामने मेरा काम दिखाया गया कि कैसे हर यूनिट टैस्ट में बदतर करती गई, मेरी गलतियों का मजाक बनाया गया। हां मैं सच नहीं बता पाई थी कि 9 सत्ते कितना होता है? मुझसे पूछा गया की 27 में से 17 घटा कर बताऊं। मैं रोने लगी मुझे होम साइंस लेने की सलाह दी गई।
और मैंने मन भी मना लिया था।
मेरे डर को जो मिलता खुराक ही देकर चला जाता। मुझे बताया गया कि बैंक की नौकरियां, पायलट, इंजिनियर, वैज्ञानिक, आर्किटेक्चर और भी ऐसी की कई नौकरियां केवल गणित वालों के लिए होती हैं। गणित वाले बेहतर तर्कशील होते हैं, वो बेहतर कल्पना कर सकते हैं, दुनियावी समझ का बेहतर इस्तेमाल करते हैं।
मैं जिनसे भी मिलती सब इस बात को पुख्ता ही करते की मुझसे गणित ना हो पाओगे।
ऐसा नहीं की ये सिर्फ मेरे साथ हुआ हो, आपने भी महसूस किया होगा और जिया होगा इस डर को।
ये डर खतरनाक इसलिए है कि ये आपकी क्षमताओं को बौना करने की कोशिश करता है, ये इतना व्यापक है की सब जगह फैला हुआ है जबकि यह तथ्य नहीं है। मैंने इस डर से लड़ाई की, मैंने डर-डर कर गणित से जुड़ने की कोशिश की, मुझे मेरे हिस्से के संबलन मिलें, और मिलते जा रहे हैं। अजीब है ये जिंदगी का नियम जब मैं खुद उस डर में यकीन कर रही थी मुझे उस डर को बढ़ाने वाले लोग ही मिल रहे थे, और जब मैंने लड़ाई शुरू की, खुद अपने जिंदगी की समस्याओं में गणित का उपयोग देखना शुरू किया, गणित का अनुप्रयोग करना शुरू किया, मुझे पता चलता गया की मुझे क्या सीखना है?, क्यों सीखना है?, मैंने तलाशना शुरू किया कि कौन मेरी मदद कर सकता है और आश्चर्य से मैंने अपनी मदद करने वालों को भी बड़ी मात्र में पाया। मैंने चलना शुरू किया तो सफ़र बढ़ता गया जिसे मुझे बताया गया था और मैंने यकीन भी किया था कि मैं गणित नहीं कर सकती। मैंने अपनी यात्रा कि, जो अभी भी जारी है, आपको अपनी करनी है।
हाँ, मैं जानती हूँ कि ये कहना आसान है कि डर से आगे बढ़ो, पर आगे बढ़ना मुश्किल। पर मैंने जो पाया, जो जाना कि डर, ये आतंक महज एक छलावा है, और हमारे विश्वास से भरे एक कदम बढ़ाने से ही छटना शुरू हो जाता है।
जब मैंने आज बात शुरू कि मैं आपको डरावनी बात बताने जा रही हूँ, तो आपने सोचा होगा कि किसी भूत, प्रेत, अंधविश्वास कि बात बताऊँगी, पर वो सब तो कपोल कल्पना हैं । मैंने जो साझा किया जो आपको भूत -प्रेत जैसा तो नहीं मिला पर इन भूतों और प्रेतों से ज्यादा डरावना है। ये सोच कि लड़कियां गणित नहीं कर सकती हैं या गणित में अच्छी नहीं होती हैं। ये नहीं कर सकती, वो नहीं कर सकती...। जब आपसे इस बार कोई ऐसी बात कहे तो उसकी आँखों में आंखें डालकर, मुसकराना और उसे अहसास कराना कि वो मानसिक रोगी है और झूठ को जी रहा है, उसे सच के मिलने में मदद करना। अपनी सफलता कि कहानी सुनाना, और ऐसे उदाहरण देना कि वो आगे किसी और को ना डराएँ।
हम लड़कियाँ, मानव कि क्षमताओं की प्रतिनिधि हैं.... हमें आंकना मानव को आंकना है। हमारे वजूद से ये कायनात है और हम इसे और खूबसूरत बनाते रहेंगे।