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Vikas Sharma

Inspirational Children

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Vikas Sharma

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दसवां भाग : चक्करदार गणित

दसवां भाग : चक्करदार गणित

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आपके पास समस्या का समाधान है आप उस समाधान से अचंभित भी होते हैं, उसकी सुंदरता से प्रसन्न भी होते हैं। पर और ज्यादा सोचते हो या कोई दूसरा आकर बता दे, की ये समाधान तो है ही नहीं, आप मिथ्या में जी रहे थे, कैसी दशा होगी आपकी। आप यकीन ही नहीं कर पाते की जो आप जानते हो वो सही नहीं है, उस पर थोड़ा -थोड़ा संदेह होने लगता है। ये ऐसी बात है की अब आप बेचैन होने लगे होंगे, जब बात शुरू की थी तो जरूर रुचिकर लगा होगा, पर एक -दो लाइन के बाद “ज्यादा हो गया” वाली फीलिंग आई होगी। और एक ही बात जहन में आई होगी की ये बताओ की कहना क्या चाहते हो?

ये जानने के लिए एक किस्सा सुनो, देखो थोड़ा बहुत गणित करना पड़ सकता है, पर इतना की सब कोई समझ सके । ये जो बात से मैंने आज की कहानी की शुरुआत की है ना, महसूस जरूर हो जाएगी। चलिये, भूमिका बहुत बांध ली, शुरू करते हैं।

एक बार की बात है, एक व्यापारी के पास कुछ ऊंट थे, तीन बेटे। सब कुछ अच्छा से चल ही रहा था, की व्यापारी जो बूढ़ा हो चला था, उसे लगने लगा की अब ज्यादा दिन नहीं जी पाऊँगा, दुनिया को अलविदा कहने का वक्त नजदीक है। उसने देखा की मेरे पास क्या है जो मैं अपने बेटों को अपने मरने के बाद दे कर जाऊंगा। बाकी चीजों में कई -कई हिस्सेदार थे, घर के, खेत के और बाकी समान के बस ये ऊंट ही थे जो उसके थे, इनको किसी को देने से बाकी के परिवार वालों को कोई गुरेज ना होती। मतलब उसके पास उसके केवल ऊंट ही थे – 17 ऊंट। उसने पाने मरने के बाद इनके बँटवारे के लिए एक वसीयत बनाई, जिस बेटे ने उसे जैसे इज्जत दी वैसे ही उसने बंटवारा किया, यहाँ बराबरी की कोई बात नहीं थी। बूढ़ा किताबी गणित का जानकार तो ना था पर जिंदगी के गणित से भरपूर सरोकार रखता था। उसने अपनी वसीयत को महफ़ूज रखवा दिया, और बेटों को बता दिया की मेरे मरने के बाद वसीयत के अनुसार ही बंटवारा करना।

समय बीतता गया, और वो समय भी आ गया जब बूढ़े व्यापारी को दुनिया से जाना पड़ा। इधर व्यापारी चला, उधर लड़के तुरन वसीयत को लेकर बैठ गये। देखें, किसके हिस्से में क्या आया?

“मेरे पास कुल 17 ऊंट है, मेरे सबसे बड़े बेटे को ½ भाग मिले, सबसे छोटे को 1/9 भाग मिले और मझले को 1/3 भाग मिले”।

अब तो तीनों चक्कर में पड़ गये, कैसे 17 ऊँटो में से ½ भाग निकाले या 1/3 या 1/9 क्यूंकी 17 तो 2 या 3 या 9 किसी से भी पूरा -पूरा भाग नहीं होता है। अजीब उलझन में छोड़ गये थे बाबा।

खैर, कोई ना कोई सहारा सभी को मिलता है। उन्हे भी मिला। एक समझदार आदमी अपने एक ऊंट के साथ उधर से गुजर रहा था। उसने उन तीनों को परेशान देखा तो उससे रहा ना गया। और उनकी मदद के लिए उनके पास गया। मामले को समझा, कुछ देर शांत रहकर कहा – हो गया, आसान है। देखो, जितना तुम्हें वसीयत के अनुसार मिलने वाला है उससे ज्यादा ही दूंगा, किसी को भी वसीयत में लिखे से कम नहीं मिलेगा। बोलो तो शुरू करूँ।

हाँ, हमें मंजूर हैं, आप शुरू करें।

समझदार आदमी ने अपने एक ऊंट को भी उन 17 ऊंटों के साथ खड़ा कर दिया। बोलो, अब कुल कितने ऊंट है, सबने गिने – 18 ऊंट। अच्छा, बड़े को वसीयत के मुताबिक मिलना है – ½ भाग तो 18 का ½ मतलब 9 ऊंट आप अपने साइड कर कर लो। मझले को मिलना है 1/3 भाग, 18 का 1/3 मतलब 6 ऊंट अपने अलग कर लो। और छोटे बचे हो गये तेरे, समझ में आया की समझाऊँ, तुझे मिले थे वसीयत के मुताबिक 1/9 भाग मतलब 18 का 1/9, ले पाने 2 ऊंट।

बड़े को मिले 9, मझले को 6, छोटे को 2 ऊंट। कुल 9, 6 और 2 हो गये 17 ऊंट, एक ऊंट बचा जो समझदार आदमी का था, उसे लेकर वो अपनी यात्रा पर आगे चल पड़ा।

कहा था ना समस्या होगी, समाधान होगा, अच्छा लगेगा पर फिर भी कुछ रह जाएगा जैसे अगर सोचोगे तो पाओगे की वसीयत में तो 7 ऊंट बांटने की बात हुई थी, पर समझदार आदमी ने तो 18 बांटे, कुछ तो लोचा है, पर रहने दो ये मेरे तुम्हारे मगज से परे की बात है, तुम तुम इस किस्से का अगला भाग सुनो, जो दिमाग की बत्ती को जलबुझ -जलबुझ ना कर दे तो कहना। ठीक है ना, थोड़ा ब्रेक लेना हो तो लो, नहीं तो शुरू करते हैं।

अभी जो किस्सा सुना, इस सब घटना को होते हुये एक आदमी छिपकर देख रहा था। उसे लगा की समझदार आदमी ने क्या ही किया। ये तो वो भी कर सकता था। बे मतलब का सम्मान दे दिया उस समझदार आदमी को, इतना, नहीं इतने से ज्यादा तो समझदार मैं भी हूँ।

होता क्या है इससे मिलती -जुलती सिचुएशन इस नए आत्मघोषित आदमी के सामने आ जाती है, जिसका इसे था इंतजार, वो समझदारी भी क्या, जिसे दूसरों को दिखाया ना जा सकें।

इस बार कुछ बदल था, कहा ना मिलती -जुलती, हूबहू पहले जैसी नहीं। इस बार भी एक बूढ़ा, तीन बेटे पर वसीयत। पर इस बात की वसीयत कुछ ऐसी थी –

“मेरे पास कुल 29 ऊंट है, मेरे मरने के बाद मेरे सबसे बड़े बेटे को 1/2 , मझले को 1/3 और सबसे छोटे को 1/5 भाग मिले”।

तीनों बेटे परेशान बैठे थे की 29 ऊँटो को ½ या 1/3 या 1/5 में कैसे बांटे? क्यूंकी 29 तो 2 या 3 या 5 किसी से भी पूरा -पूरा जाता ही नहीं।

बस यही नए समझदार आदमी की बारी थी, अपनी समझदारी दिखाने की।

इसमें क्या बड़ी बात है, नाहक ही परेशान हो रहे, आओ इधर, सारे ऊंट ले आओ।

ये आपके 29 ऊंट, मेरा 1 ऊंट इनमें मिला दो, कुल हो गये 30 ऊंट। अब सबसे बड़े को मिलने है कुल का ½ यानि 30 का ½ मतलब 15 ऊंट, लो भाई अपने 15 ऊंट।

मझले भैया, आपको मिलना है कुल का 1/3 यानि 30 का 1/3 मतलब 10 ऊंट, ले भाई मझले

और छोटे तेरे हिस्से आयें हैं, कुल का 1/5 यानि 30 का 1/5 मतलब 6 ऊंट।

देखा, हो गया हिसाब, याद करोगे की किस समझदार से पाला पड़ा, मैं चलता हूँ अपना ऊंट लेकर, बस -बस ज्यादा धन्यवाद देने की जरूरत नहीं।

पर तीनों ने उसे रोका, और कहा बड़े को मलिए 15, मझले को 10 मतलब पच्चीस तो बंट गये ना। छोटे को तुम्हारे अनुसार मिलने थे 6 पर हमारे पास ऊंट थे 29, एक आपका तो 30, पच्चीस बांटने के बाद इसके पास तुम्हारे ऊंट समेत रहे 5, मिलने थे 6

एक ऊंट और लाओ भाई।

नया समझदार आदमी बड़े असमंजस में पड़ गया, सब कुछ तो वैसे ही किया जैसा पहले वाले समझदार आदमी ने किया था, पर वो तो बाद में अपना ऊंट लेकर चलता बना था, और यहाँ मैं अपना ऊंट देकर भी पूरा ना बाँट पाया, एक और ऊंट लाने की बात हो रही है।

मुझे माफ कर दो, खुद कर लो अपना बंटवारा। मेरा ऊंट दो और मुझे जाने दो।

ऐसे -कैसे, आप तो हमारा बंटवारा करने के लिए ही रुके थे ना, अब लाओ एक और ऊंट। जैसे -तैसे ये नया समझदार आदमी वहाँ से नौ दो ग्यारह हुआ।

अब आप ही सोचो जो ट्रिक पहले किस्से में एक को हीरो बना गई वहीं किस्से के दूसरे भाग में नए समझदार को पिटवा गई। घूम तो तुम सबका सर भी गया होगा ना। एक तो किसी की नकल वो बिना अक्ल मत करना, ये नसीहत ध्यान रखना, दूसरा इसका गणित थोड़ा गणित वाला है, कोशिश करता हूँ ठिड़े गणित में समझाने की, समझ में कम ही आएगा तो क्या हुआ, गणित की खूबसूरती यही है की जहां मैं रुकूँगा आपके घोड़े दौड़ने शुरू हो जाएंगे, इस किस्से के हिसाब से कहें तो ऊंट दौड़ने शुरू हो जाएंगे।

पहले केस में ½ , 1/3 और 1/9 को दशमलव में बदलने पर .5, .3 और .11 तीनों को जमा करेंगे तो .9

दूसरे केस में ½ , 1/3 और 1/5 को दशमल में बदलने पर .5 , .3 और .2 तीनों को जमा करेंगे तो 1.0

मतलब ये निकाला मैंने इसका की तीनों को जमा करने पर 1 से छोटा रहेगा तो ये ट्रिक काम करेगी, तीनों का जमा 1 या 1 से अधिक होगा तो ये ट्रिक काम नहीं करेगी। अपने पास ऊंट को मिलाकर बांटने वाली।

कुछ और आपको समझ में आया तो बताएं, इसलिए तो ये किस्सागोई की जा रही है ना, ना समझ में आए तो बुर क्या मानना, कहानी के मजे लो, अगले अंक में फिर नए गणित का इंतज़ार को करोगे ना।

 



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