बारहवाँ भाग : गलतियाँ सबकी हैं
बारहवाँ भाग : गलतियाँ सबकी हैं
इस अंक के अर्थ को समझने के लिए आपको गिनपरि के पिछले अंक को फिर से याद करना होगा, मोटा -मोटा भी याद करोगे तो याद आएगा तीन बच्चे, चार अमरूद और मेरा समाधान जिसमें मैंने हर एक अमरूद के चार भाग किए और तीनों मेँ चार -चार भाग बराबर -बराबर बाँट दिये।
यहाँ तक अगर आप कहानी में साथ हो तो अब आगे की बात बनेगी, कहानी को पढ़ना सिर्फ पढ़ना नहीं होता, उसे समझना भी होता है। बिना समझे को पढ़ना मान लोगे क्या? पढ़ने की जरूरी शर्त है समझना।
चलो, अब फिर से समझना मतलब पढ़ना शुरू करो, मैंने हर एक अमरूद को चार भागों में बाँटा था, अमरूद थे चार मतलब कुल भाग हुये चार गुणा चार सोलह। हर एक को दिये चार, तीन को मिले चार -चार मतलब बंट गए बारह, तो चार भाग कहाँ गए?
मतलब मैं उन भागों को देख ही रही थी की वो तीनों खुशी -खुशी वहाँ से चले गए। जबकि मेरे पास भी चार भाग रह गए थे, मैंने 4 अमरूदों को 4 में ही बाँटा – तीनों में – गार्गी, भारती और ओम को और खुद को। जबकि मुझे बांटना तीन में ही था।
मैं कोई आर्यभट्ट तो हूँ नहीं की जो पर्फेक्ट गणना कर पाती, हर कोई भी आर्यभट्ट नहीं हो सकता मतलब पर्फेक्ट नहीं हो सकता। दुनिया में अगर कोई चीज है जो सबके हिस्से में आयीं है तो वो हैं गलतियाँ। गणित में विशेष तौर, आप गणित करोगे तो गलतियाँ करना लाज़िमी है।
गणित में तो कभी -कभी गलतियाँ समझ में ही नहीं आती है की है भी या नहीं। एक दो उदाहरण देखिये –
64/16
को हल करना हो तो, 6 से 6 कट गया बचा 4 अब सोचो जवाब तो आया पर कैसे समझाओगे की गलती को, जब ऐसे आदमी के पास और भी उदाहरण हों,
95/19
9 से 9 काट दिया रह गया 5, जवाब तो फिर से सही है, आप कुछ बोलों इससे पहले ही वो और उदाहरण दें जैसे –
26/65 को हल करने पर मिलता है 2/5, 13 से ऊपर- नीचे भाग करने पर, पर 26/65 में 6 को 6 से काट दिया, 2/5 ही रह जाता है।
49/98 में 9 को 9 से काट दिया शेष रहा 4/8 मतलब ½ ।
ये सब ऐसा ही है जैसे मेरा अमरूद बांटना।
गणित की भाषा में इसे बोलते हैं गणितीय फैलेसी। आपको ये उदाहरण भी कुछ हल्के लग रहे हों तो गणित को हल्के में मत लेना, अब देखो 1 को 2 के बराबर सिद्ध करके दिखाती हूँ, मेरे अमरूद बांटने की गलती को तो आपने तुरंत पकड़ लिया पर अब बूझो तो जाने –
1.
मान लेते हैं
x = 1
2.
दोनों पक्षों में x से गुणा करते हैं
x² = x
3. दोनों पक्षों में
1 को घटाते हैं
x² − 1 = x − 1
4.
दोनों ही तरफ x – 1 से भाग करते हैं
x² − 1/ x − 1 = 1
5.
हल करने पर
(x − 1)(x + 1)/ x − 1 = 1
x + 1 = 1
6.
दोनों पक्षों में से 1 हटाने पर
x = 0
7.
पहले स्टेप से x का मान रखने पर
1 = 0
पड़ गये सोच में, देखो कैसे 0 = 1 हो गया, आप किसी भी संख्या को किसी भी संख्या के बराबर दिखा सकते हैं, और हाँ यहाँ मामला अमरूद बांटने जैसा आसान नहीं है।
यहाँ भ्रांति सूक्ष्म है। चरण 2 में, दोनों पक्षों को x से गुणा करने पर, x = 0 के समीकरण का एक बाहरी हल मिल जाता है। फिर, चरण 4 में, x - 1 से एक विभाजन होता है, जो एक अवैध संक्रिया है क्योंकि x - 1 = 0 और शून्य से भाग गणित में अवैध है । इस अवैध संचालन में समीकरण के एकमात्र समाधान के रूप में बाहरी समाधान x = 0 को छोड़ने का प्रभाव है।
जी हाँ, किसी भी संख्या को हम किसी भी संख्या के बराबर दिखा सकते हैं, इस झूठे तर्क के द्वारा - उदाहरण के लिए, 7 = −4
x = 7
x − 7 = 0
(x − 7)(x + 4) = 0 [ x + 4 से दोनों और गुणा करने पर ]
x + 4 = 0 [ x – 7 से दोनों पक्षों में भाग करने पर ]
x = −4
गणित में ऐसे झूठे तर्क के ढेरों उदाहरण हैं, आप इस अंक को समझिए, ज्यादा पेचीदा नहीं करते हैं, अगले अंक में गणित के नए किस्से के साथ मिलते हैं।